Dinesh Karthik Returns:
“जब मैं मैदान में बैटिंग करने गया था, मैं बस पूरे बचे ओवर्स खेलना चाहता था और यही मेरे कप्तान मुझसे चाहते थे”
साल 2006, भारत Vs दक्षिण अफ्रीका T20 मैच…. यह स्पेशल मैच था…भारत का पहला T20 मैच… उपर की लाइन इस “मैन ऑफ द मैच” चुने गए खिलाड़ी ने मैच के बाद कहा था।
अभी 16 साल बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम फिर से भारत के दौरे पर है और 09 जून को दोनों टीमों के बीच दिल्ली के अरुण जेटली (पुराना नाम फिरोज़ शाह कोटला स्टेडियम) में पहला मैच खेला जाएगा। इस सीरीज़ में जिस खिलाड़ी पर सबसे ज्यादा नज़र रहेगी जो 16 साल पुराने मैच यानि भारत के पहले T20 में मैन ऑफ द मैच चुना गया था।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं भारत के “दिनेश कार्तिक” की। कार्तिक मौजूदा भारतीय क्रिकेट जगत में एकमात्र ऐसे क्रिकेटर हैं जो भारत के प्रथम T20 का हिस्सा रहे और आज भी भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हैं।
Dinesh Karthik : पार्ट टाइम क्रिकेटर, फुल टाइम कमेंटेटर…?
कार्तिक को जब क्रिकेट दुनिया के बड़े विश्लेषकों और पंडितों नने “पार्ट टाइम क्रिकेटर और फुल टाइम कमेंटेटर” का तमगा दे दिया और सबने यह मान लिया था कि उनका अंतरराष्ट्रीय कैरियर अब खत्म हो गया।
आईपीएल 2022 ने कार्तिक को वह मंच दिया जिसपर उनका बल्ला चला और ऐसा चला कि 4 साल के लंबे अरसे के बाद भारतीय क्रिकेट टीम में T20 में उनकी वापसी के दरवाजे खुले।
18-member #TeamIndia squad for the upcoming five-match Paytm T20I home series against South Africa.#INDvSA @Paytm pic.twitter.com/tK90uEcMov
— BCCI (@BCCI) May 22, 2022
दिनेश कार्तिक ने आईपीएल 2022 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेलते हुए 16 मैचों में 330 रन बनाए और इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट रहा- 180 से भी ज्यादा। फिनिशर के रोल में कार्तिक ने जबरदस्त बल्लेबाजी की और छोटे मगर काफी अहम रन बनाए।।
इसके साथ ही कार्तिक के आलोचक भी उनके मुरीद बन गए। आगामी सीरीज मे कथित पार्ट टाइम क्रिकेटर एक बार फिर फुल टाइम क्रिकेटर की भूमिका में दिखेगा।
जब जिंदगी ने DK से कड़े सवाल किए..
दिनेश कार्तिक को उनके साथी खिलाड़ी DK बुलाते हैं। नाम मे तो D फ़ॉर दिनेश ही है पर जब कार्तिक के जिंदगी के फ़लसफ़े पढ़ा जाएगा, तो D फ़ॉर Determined (दृढ़ निश्चयी) पढ़ा जाएगा।
दरअसल कार्तिक- द क्रिकेटर की जिंदगी इतनी आसान रही नहीं है जितनी होनी चाहिए थी। कार्तिक भारतीय टीम में पूरे कैरियर अंदर बाहर होते रहे लेकिन कभी किसी वक़्त ऐसा नहीं लगा कि वे भारतीय टीम के दरवाजे से बहुत दूर गए हों।
कुदरत के दिये नैसर्गिक प्रतिभा के धनी क्रिकेटर कार्तिक भारत के लिए काफ़ी कम उम्र में खेल गए। महेंद्र सिंह धोनी जैसा क्रिकेटर उनके बाद भारतीय टीम में चयनित हुए थे।
यह वो दौर था जब तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली लगातार कई विशेषज्ञ विकेटकीपर बल्लेबाजों को आजमा रहे थे। दिनेश कार्तिक, पार्थिव पटेल, महेंद्र सिंह धोनी आदि इसी दौर में भारतीय टीम में खेले।
कहते हैं कि कार्तिक और पार्थिव इसलिए दरकिनार कर दिए गए क्योकि सबसे देर एंट्री लेने वाले धोनी ने अपनी जगह पुख्ता की और ऐसे किया कि अन्य विकेटकीपर बल्लेबाज बमुश्किल टीम के आस पास भी पहुंच सकते थे।
कार्तिक यहाँ भी नहीं रुके और 2005-06 के दौर में बतौर बल्लेबाज भारतीय टीम में जगह बनाई। टीम के जरूरत के हिसाब से उन्होंने अपनी पसंद की जगह छोड़कर किसी भी जगह खेलना स्वीकार किया। फिर पूरे कैरियर वे कुछेक मौकों को छोड़ दे तो इसी भूमिका में टीम में खेले।
ओपनर कार्तिक से फिनिशर दिनेश कार्तिक तक का सफर
दिनेश कार्तिक ने अपने शुरुआती दिनों मे भारतीय टीम में जगह बनाई थी बतौर विकेटकीपर जो मध्यक्रम में बल्लेबाजी करता था। लेकिन टीम की जरूरत के हिसाब से उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में ओपन भी किया। फिर टीम ने उन्हें जिस नंबर पर बल्लेबाजी करने कहा, कार्तिक ने एक संपूर्ण टीम मैन की तरह सहर्ष स्वीकार किया।
16 साल में खेल बदला तो कार्तिक भी..
दिनेश कार्तिक का करियर काफ़ी लंबा रहा है। अलहदा बात है कि उन्होंने करियर में उतने मैच नहीं खेले जितना उन्हें खेलना चाहिए था, पर कार्तिक हर वक़्त भारतीय टीम के आस पास ही रहे।
उनके लम्बे करियर मे क्रिकेट के कई स्वरूप व कायदे-कानून बदले। क्रिकेट के बदले स्वरूप कब साथ दिनेश कार्तिक भी खुद को खेल के अनुसार बदलते रहे। कभी ओपनर कभी मध्यक्रम बल्लेबाज तो कभी फिनिशर… कभी विकेटकीपर तो कभी बाउंडरी पर बेहतरीन फील्डर के रूप में कार्तिक ने हमेशा से अवसर और चुनौतियों के हिसाब से खुद को फिट किया।
उनकी यही क्षमता उन्हें खास बनाती है और यही वजह है कि जिस उम्र में लोग वापसी की उम्मीद खो देते हैं और क्रिकेट को अलविदा कह देते हैं, दिनेश कार्तिक भारतीय टीम में वापसी कर रहे हैं।
निःसंदेह, अगर उनकी वापसी सही सलामत हुई और उनका प्रदर्शन चयनकर्ताओं के उम्मीद के मुताबिक रहा तो उनकी यह कहानी कई क्रिकेटरों और अन्य खेल के धुरंधरों के लिए उदाहरण साबित होगा।
कई यादगार लम्हें दिए हैं भारतीय क्रिकेट को
भारत क्रिकेट टीम का पहला T20 मैच हो या फिर आईपीएल में मुम्बई के लिए 2013 में दिल्ली के ख़िलाफ़ 86 रन (48 बॉल) या फिर अकेले दम पर भारत के लिए निदाहास ट्रॉफी जिताना… दिनेश कार्तिक ने भारतीये क्रिकेट प्रेमियों को झूमने के कई मौके दिए हैं।
2018 में बांग्लादेश के खिलाफ निदाहास ट्रॉफी के फाइनल में कार्तिक ने अजूबा कारनामा करते हुए आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर भारत को जीत दिलाई थी। उनकी यह पारी शायद ही कोई भारतीय क्रिकेट प्रेमी भूल पायेगा।
हालाँकि करियर में कई ऐसे दौर भी आये जब कार्तिक असफल हुए और उनके प्रदर्शन पर सवाल उठे। कई दफा उन्हें टीम से बाहर का रास्ता भी दिखाया गया। लेकिन जब-जब कार्तिक को टीम से बाहर किया गया, तब-तब कार्तिक पहले की तुलना में ज्यादा परिपक्व व प्रभावी होकर टीम में लौटे।
एक बार फिर एक लंबे अंतराल के बाद दिनेश कार्तिक भारत की ब्लू जर्सी ने नजर आएंगे और शायद एक नई भूमिका में… उनके अनुभव का फायदा शायद पूरी टीम को मिलेगा।
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