Tajinder Bagga Arrest: दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा की गिरफ्तारी और फिर इसके बाद हो रही राजनीति ने न सिर्फ देश के संघीय ढाँचे की मर्यादा पर सवाल खड़ा किया है बल्कि पुलिसिया तौर तरीकों को एक बार फिर बेनक़ाब कर दिया है।
Bagga Arrest: ….जैसे कोई फ़िल्म की शूटिंग हो
पूरा वाकया ही ऐसा रहा मानो कोई दक्षिण भारत की फ़िल्म हो। दिल्ली निवासी बीजेपी प्रवक्ता तजिंदर बग्गा एक चुनावी बयानबाज़ी के प्रवाह में ट्विटर पर आम आदमी पार्टी के नेता व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए अमर्यादित बयान देते हैं।
चुनाव हुए और बात आई गई मान ली गयी। फिर उस बयान को लेकर बग्गा के खिलाफ पंजाब में एक FIR दर्ज करवाया जाता है। इसी FIR को आधार बनाकर पंजाब पुलिस बग्गा को गिरफ्तार करने दिल्ली आती है।
रात भर जनकपुरी थाने में पंजाब पुलिस दिल्ली की पुलिस से सहयोग व रोजनामचे में गिरफ्तारी की प्रक्रिया को दर्ज करवाने की कोशिश करती है पर दिल्ली पुलिस, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है, का सहयोग नहीं मिलता है जो संघीय ढांचे में एक राज्य की पुलिस का दूसरे राज्य की पुलिस से सहयोग अपेक्षित होता है।
फिर अगली सुबह 8 बजे पंजाब पुलिस की दूसरी टीम तजिंदर बग्गा के घर जाकर उनको गिरफ्तार कर लेती है और उन्हें सड़क मार्ग से चंडीगढ़ ले जाया जाता है।
There is a proper video recording (of his arrest). An FIR is registered with us at cybercrime Mohali. We served proper notice&arrested him as he didn’t join the probe. We arrested him at 9 am today: Manpreet Singh, SP Rural, SAS Nagar, Punjab on the arrest of BJP’s Tajinder Bagga pic.twitter.com/jTNq4QYRfe
— ANI (@ANI) May 6, 2022
इधर बग्गा के परिवार वाले दिल्ली में बग्गा के अपहरण का केस दर्ज करवाते हैं। दिल्ली पुलिस ने पंजाब पुलिस के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज करती है और फिर बग्गा का लोकेशन ट्रेस करती है। बग्गा का लोकेशन हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पास मिलता है जिसके बाद हरियाणा पुलिस (तीसरे राज्य की पुलिस) पंजाब पुलिस को रोक लेती है।
They picked him up (Tajinder Bagga) from his home at 5 am. His father filed FIR (in Delhi) that he has been kidnapped by some people who took him away in a vehicle. Delhi Police informed Haryana Police that people from Punjab picked him up: Haryana CM on Tajinder Bagga’s arrest pic.twitter.com/vFuEcMxkS5
— ANI (@ANI) May 6, 2022
फिर दिल्ली पुलिस थोड़ी देर में कुरुक्षेत्र पहुँच जाती है और कुरुक्षेत्र के इलाके में तीन राज्यों की पुलिस आमने सामने थी।
इसके बाद तय हुआ कि ट्रांजिट रिमांड के बिना पंजाब पुलिस तजिंदर बग्गा को नहीं ले जा सकती।
चूँकि बग्गा के परिवार द्वारा FIR अपहरण की धाराओं के अंतर्गत दर्ज करवाया गया था, इसलिए बग्गा को लेकर दिल्ली पुलिस वापस दिल्ली हो गयी जहाँ उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।
संघीय ढांचे की मर्यादा के प्रतिकूल
कुरुक्षेत्र के मैदान… 3 राज्यों की पुलिस टकराव… माफ़ करिये, मैं कोई द्वापर युग के महाभारत की कहानी नहीं सुना रहा हूँ। दरसअल यह नए भारत कब राजनीतिक महाभारत की कहानी है।
राजनीतिक पार्टियों द्वारा राज्य की पुलिस का इस्तेमाल इन दिनों ऐसे हो रहा है जैसे पुलिस न हो, कोई प्राइवेट मिलिशिया हो… ऐसा नहीं है कि यह सब कोई पहली दफ़ा हो रहा है लेकिन विगत कुछ वर्षों में राज्यों की पुलिस का टकराव बढ़ा है।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में बिहार पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस आमने-सामने थी। ऐसा सिर्फ इसलिए था कि उन दिनों बिहार में चुनाव सिर पर था और दोनों राज्यों की सरकार चलाने वाली पार्टियां उस चुनाव में एक दूसरे की प्रतिद्वंदी थी।
फिर अभी जिग्नेश मवानी के गिरफ्तारी के केस में भी यही हुआ जो तजिंदर बग्गा मामले में देखने को मिला। जिग्नेश के किसी बयान को लेकर असम में FIR दर्ज करवाया जाता है और असम पुलिस गुजरात जाकर जिग्नेश को गिरफ्तार कर असम ले जाती है।
यहां असम पुलिस इसलिए सफल रही क्योंकि गुजरात और असम दोनों राज्यो में एक ही पार्टी बीजेपी की सरकार थी। जबकि अभी तजिंदर बग्गा मामले में ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि पंजाब और दिल्ली/हरियाणा पुलिस अलग अलग राजनीतिक पार्टी के सरकार के इशारे पर काम कर रही थी।
इन उदाहरणों के आधार पर कहा जा सकता है कि राजनीतिक दलों और उनके आकाओं द्वारा राज्य की पुलिस का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है। एक राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य की पुलिस के सामने महज़ राजनीतिक बदले या नफा नुकसान के खड़ा कर देना निश्चित ही संघीय ढांचे के मर्यादा के लिए ठीक नहीं है।
संविधान के अनुच्छेद 256 से 262 तक केंद्र और राज्य के बीच समन्वय तथा राज्य और राज्य के बीच के संबंध को परिभाषित करता है ताकि सहयोगी संघीय ढांचे (Cooperative Federalism) को मज़बूत बनाया जा सके। परन्तु इन दिनों राज्य और केंद्र के बीच टकराव बढ़ रहा है। चाहे वो GST को लेकर, या CAA हो या फिर कोविड प्रबंधन हो… केंद्र और राज्य बीते दिनों बात बात पर आमने सामने दिखे हैं।
अब ये बात इस से आगे निकलती दिख रही है कि राज्यों की सरकारें एक दूसरे के सामने हैं। राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित सरकारें अपने विरोधियों को आड़े हाँथ लेने के लिए पुलिस का इस्तेमाल वैसे ही कर रहे हैं जैसे पुराने जमाने मे जमींदारों ने निजी लठैतों का इस्तेमाल किया था।
पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी सवाल
तजिंदर बग्गा वाला प्रकरण हो या जिग्नेश मवानी की गिरफ़्तारी मामला- दोनों मामले में जो हुआ यह पुलिसिया कार्यवाही पर भी सवाल खड़ा करता है।
एक राज्य की पुलिस (पंजाब पुलिस) दूसरे राज्य की पुलिस (दिल्ली) से सहयोग मांगती है कि एक व्यक्ति जिसके ख़िलाफ़ उनके राज्य में FIR दर्ज है, की गिरफ्तारी के ऑर्डर को रोजनामचे में अंकित किया जाए। दिल्ली पुलिस का सहयोग ना करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर पहला सवाल खड़ा करता है।
फिर, दिल्ली पुलिस से सहयोग नहीं मिलने पर पंजाब पुलिस की एक टीम बीजेपी नेता तजिंदर बग्गा को उनके घर से गिरफ्तार कर पंजाब ले जाती है। जबकि नियमतः 30km से लंबी दूरी तक आरोपी को ले जाने के लिए ट्रांसिट रिमांड की आवश्यकता होती है।
पंजाब पुलिस ने इसे जरूरी नहीं समझा। तर्क दिया गया कि 24 घंटे के अंदर आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने चंडीगढ़ में पेश करना था। जो कि अपनी जगह सही तर्क है लेकिन तब जब दूरी 30km से कम होती। अब यह बात पंजाब पुलिस के बड़े अधिकारियों को मालूम ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है।
इसके बाद बग्गा परिवार के द्वारा पंजाब पुलिस के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज करवाया जाता है। दिल्ली पुलिस पहले तो पंजाब पुलिस का सहयोग नहीं किया; फिर बीजेपी प्रवक्ता तजिंदर बग्गा के परिवार की तहरीर पर पंजाब पुलिस के ख़िलाफ़ अपहरण की धाराओं के अंदर मुक़दमा दर्ज कर त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी।
Delhi | FIR filed at Janakpuri PS u/s 452, 365, 342, 392, 295 34, on complaint of BJP’s Tajinder Bagga’s father, Preet Pal Singh Bagga, seeking urgent action into events before his son’s arrest. FIR states that a group of men, some of them carrying weapons barged into their house
— ANI (@ANI) May 6, 2022
फिर इसमें हरियाणा की पुलिस भी शामिल हो गयी और पंजाब पुलिस को दिल्ली पुलिस के आदेश पर कुरुक्षेत्र में रोक लिया . पहले तो पंजाब पुलिस ने एक मामूली से मामले को तिल से ताड़ बनाया।
तजिंदर बग्गा ने कोई गुनाह किया भी था तो उसे कोर्ट का नोटिस भेजते , कुछ 2 या 4 दिन की मोहलत देकर नोटिस के जवाब के साथ कोर्ट में हाज़िर होने को कहते और फिर जैसा कोर्ट का आदेश होता, वैसी कार्रवाई करते।
हिंदी के प्रसिद्द कवि व पूर्व आप नेता कुमार विश्वास के खिलाफ इसी तरह के मामले में ऐसी ही कार्रवाई की थी। पर तजिंदर बग्गा मामले में राजनीतिक बदले का भाव के लिए पुलिस का इस्तेमाल साफ़ झलक रहा है।
फिर दिल्ली पुलिस ने पंजाब पुलिस के खिलाफ अपहरण का मामला कैसे दर्ज कर लिया जबकि यह साफ तौर पर गैरकानूनी कैद (Illegal Detention) का मामला था।
कुल मिलाकर इस मामले मे न सिर्फ राज्य का असहयोग दिखा बल्कि पुलिस की कार्य कुशलता और मूलभूत धाराओं का दुरुप्रयोग हुआ।