मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र का अध्यक्ष चुना गया और उन्हें 143 मत मिले जबकि 191 सदस्यों ने मतदान में भाग लिया। शाहिद सितंबर में शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की अध्यक्षता करेंगे। 193 सदस्यीय महासभा ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सोमवार को मतदान किया। चुनाव में शाहिद के साथ ही अफगानिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री डॉ जलमई रसूल भी उम्मीदवार थे और उन्हें 48 मत मिले।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने ट्वीट कर शाहिद को उनकी जीत पर बधाई दी। महासभा के अध्यक्ष पद के लिए हर साल गुप्त मतदान के जरिए चुनाव किया जाता है और जीत के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है। शाहिद तुर्की के राजनयिक वोल्कान बोज़किर का स्थान लेंगे जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष थे।
डिप्लोमैट हैं शाहिद
शाहिद एक कामयाब डिप्लोमैट माने जाते हैं। मल्टीनेशनल फोरम्स को हैंडल करने का उन्हें अनुभव है। भारत और मालदीव के रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं। यही वजह है कि जब मालदीव ने शाहिद को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया तो भारत ने उनका समर्थन किया। सोमवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया के जरिए शाहिद को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
जनवरी 2021 तक शाहिद के सामने कोई नहीं था, लेकिन इसके बाद अफगानिस्तान के विदेश मंत्री जालमेई रसूल इस दौड़ में शामिल हो गए। उन्हें भी समर्थन हासिल हो सकता था, लेकिन उन्होंने दौड़ में शामिल होने का फैसला बहुत देर से किया। अफगानिस्तान 21वीं महासभा की अध्यक्षता कर चुका है। यह 1966-67 में हुआ था।
पाकिस्तान को झटका
भारत और मालदीव के करीबी रिश्ते हैं। शाहिद के पहले तुर्की के वोल्कन बोजकिर इस पद पर थे। पिछले दिनों वे पाकिस्तान गए थे और कश्मीर पर विवादित बयान दिया था। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने इस मसले पर कहा- हम बोजकिर के बयान को मान्यता नहीं देते। उन्होंने भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को लेकर जो कुछ कहा है हम उसका कड़ा विरोध करते हैं। अब शाहिद के इस पद पर आने के बाद पाकिस्तान का महासभा में पक्ष काफी कमजोर हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में महासभा अध्यक्ष पद सबसे बड़ा ओहदा माना जाता है। कुल 193 देश इसके सदस्य हैं।