Fri. Apr 19th, 2024

    बहुत सालों की मशक्कत के बाद आखिरकार जी-7 देश इस बार पर राजी हो गई हैं कि ग्लोबल मिनिमम टैक्स को न्यूनतम 15 फीसदी रखा जाएगा। इसके तहत ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स कम से कम 15 फीसदी होगा, जिसका भुगतान उसी देश में करना होगा, जहां पर व्यापार किया जा रहा है। अभी टैक्सेशन क्लीयर नहीं होने की वजह से कई देशों के नुकसान होता था। विकसित देशों को गूगल, एमेजॉन, फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों से बहुत कम टैक्स मिलता है। ग्लोबल मिनिमम टैक्स के लागू होने बाद उन पर भारत को 15 फीसदी तक का टैक्स लगाने की ताकत मिल जाएगी। आइए जानते हैं ग्लोबल मिनिमम टैक्स से जुड़ी अहम बातें।

    अधिकतर देश चाहते हैं कि वह मल्टीनेशनल कंपनियों की तरफ से अपना प्रॉफिट और टैक्स रेवेन्यू कम टैक्स वाले देशों में डायवर्ट करने को रोकें। यह कंपनियां सेल्स कहीं भी करें, प्रॉफिट को कम टैक्स वाले देश में डायवर्ट कर देते हैं। इस तरह दवाओं के पेटेंट, सॉफ्टवेयर और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी पर रॉयल्टी आदि से हुई कमाई पर कंपनियां अधिक टैक्स देने से बचते हुए उसे कम टैक्स वाले देश में डायवर्ट कर देती हैं। इससे अपनी कमाई को बचाने के लिए ग्लोबल मिनिमम टैक्स की जरूरत पड़ी है।

    सरकारों के सामने लंबे वक्त से अलग-अलग देशों में कारोबार चला रहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों से टैक्स वसूलने की चुनौती रही है। फिर अमेजन और फेसबुक जैसी दिग्गज टेक कंपनियों में आए उछाल के बाद चुनौती और बड़ी हो गई। कंपनियां ऐसे देशों में अपनी शाखाएं स्थापित कर सकती हैं, जहां कम कॉर्पोरेट टैक्स चुकाना पड़ता है और वो वहीं अपना मुनाफा दिखाती हैं।

    अमीर देशों ने गूगल, अमेजन और फेसबुक जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से अधिक राजस्व जुटाने के तरीके पर सहमत होने के लिए लंबा संघर्ष किया है। ये कंपनियां हर देश से बड़ा मुनाफा कमाती हैं और संबंधित देश को इसके एवज में किसी कर (टैक्स) के रूप में रकम का भुगतान भी नहीं करती हैं। अब इन कंपनियों को अपने मुनाफे का एक हिस्सा सरकारों को भी देना होगा।

    अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में इन कंपनियों से कम से कम 15 फीसदी टैक्स वसूलने का सुझाव दिया। इसके मुताबिक अगर किसी कंपनी ने कहीं कम दर के साथ कर का भुगतान किया है, तो शायद उसे टॉप-अप करों का भुगतान करना होगा।

    बाइडन प्रशासन इससे पहले घरेलू कॉरपोरेट टैक्स दर को बढ़ाकर 28 फीसदी करने पर विचार कर रहा था, लेकिन बृहस्पतिवार को उसने इसे घटाकर न्यूनतम 15 फीसदी करने का सुझाव दिया ताकि आने वाले खर्चों में उसे रिपब्लिकन का सहयोग मिल सके।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *