देश भर में पेट्रोल और डीजल के दाम अचानक से आसमान छू गए हैं। कई प्रदेशों व राज्यों में पेट्रोल सौ रुपये से ऊपर बेचा जा रहा है। तेल की कीमतों में अचानक से आए उछाल से जनता परेशान है। विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को इसके लिए जिम्मेदार बता रहा है। इसी बीच नितिन गडकरी ने एक बड़ा बयान दिया है। सरकार को भी पता है कि एकदम से पेट्रोल और ईंधन की कीमतों में इतना ज्यादा इजाफा जनता पर कितना बड़ा बोझ डाल सकता है। लेकिन फिर भी अभी तक किसी तरह की राहत मिलने का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। हालांकि अब बात की जा रही है कि हमें वैकल्पिक ईंधन की तलाश करनी होगी।
गाड़ी चलाने के लिए अभी तक सबसे ज्यादा पेट्रोल, डीजल व सीएनजी प्रयोग की जाती थी। लेकिन उसके बाद अब इलेक्ट्रिक कारों का विकल्प सामने आ रहा है। पर समस्या यह है कि इलेक्ट्रिक कार अभी भी आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं। सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर एक सुझाव दिया है। उनका कहना है कि अब वक्त आ चुका है कि देश वैकल्पिक ईंधन की ओर चलें। नितिन गडकरी का कहना है कि वह बहुत पहले से ही बिजली को ईंधन की तरह इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे हैं। भारत बिजली उत्पादन में काफी आगे है और इतनी बिजली उत्पादित कर सकता है जिससे गाड़ियां भी चलाई जा सकें।
हालांकि पेट्रोल और डीजल आदि जैसे ईंधनों से प्रदूषण भी काफी होता है, लेकिन यह सबसे ज्यादा आम है व सामान्य लोगों की पहुंच में है। इसीलिए इनका प्रयोग एक बड़े स्तर पर किया जाता है। लेकिन यदि बिजली से वाहन चलते हैं तो पर्यावरण पर एक सकारात्मक असर पड़ेगा। नितिन गडकरी का कहना है कि विश्व बाजार में तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है और भारत को बाहर से 70 फ़ीसदी ईंधन आयात करना पड़ता है। इसकी वजह से कीमतों में तेजी देखी जा रही है।
लगातार 9 दिन से पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं और दिल्ली में पेट्रोल अब तक के सबसे महंगे रेट पर पहुंच चुका है। लगभग ₹80 प्रति लीटर दिल्ली में पेट्रोल बिक रहा है। केंद्रीय मंत्री ने वैकल्पिक ईंधन का सुझाव दिया है। वैकल्पिक ईंधन से पर्यावरण प्रदूषण पर तो सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा ही, साथ ही पेट्रोल व डीजल की मांग में कमी आने की संभावना है। इससे ईंधन की कीमतों में भी स्थिरता देखी जा सकेगी।
लेकिन इसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि वैकल्पिक ईंधन की कोई व्यवस्था भारत के पास अभी उप्लब्ध नहीं है। भारत पूरी तरह से अभी फॉसिल फ्यूल पर ही निर्भर है और अचानक से इसकी कीमतों में इतनी तेजी आना आम आदमी के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। सरकार अपने स्तर पर इसको कंट्रोल करने का पूरा प्रयास कर रही है। लेकिन विपक्ष की पार्टियां लगातार सरकार को इस मुद्दे पर घेर रही हैं। सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह महंगाई को कंट्रोल करने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है।