कुछ ही समय में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी लगातार तृणमूल कांग्रेस को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा चुकी है। तृणमूल कांग्रेस अपने अस्तित्व और साख बचाने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन इसमें सफल होती नहीं दिख रही। इसी बीच आज पश्चिम बंगाल के मशहूर एक्टर मिथुन चक्रवर्ती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद मिथुन चक्रवर्ती की राजनीति में आने की अटकलें तेज हो गई हैं। पहले भी मिथुन चक्रवर्ती राजनीति में रहे हैं लेकिन वे वहां कुछ खास काम नहीं कर पाए।
मिथुन चक्रवर्ती की एक बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है और उनका संघ प्रमुख से मिलना बीजेपी का तृणमूल कांग्रेस के प्रति एक और दांव की तरफ इशारा कर रहा है। लेकिन मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी तरफ से इन अटकलों से पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने कहा है कि उनका राजनीति में आने का कोई मकसद अभी नहीं है।
मिथुन और भागवत की मुलाकात मिथुन चक्रवर्ती के मुंबई स्थित घर पर हुई है। इस मुलाकात के बाद लोग राजनीतिक अटकलें लगाना शुरू कर चुके हैं। इस मुलाकात को सीधे-सीधे पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। बीजेपी इस बात को लेकर स्पष्ट है कि यदि बंगाल में बीजेपी की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री वही होगा जो बंगाल की मिट्टी से जुड़ा होगा।
कोई बाहरी आकर बंगाल की सत्ता नहीं संभालेगा और बीजेपी अभी तक अपने चेहरे को लेकर स्पष्ट भी नहीं है। मिथुन चक्रवर्ती अपनी तरफ से राजनीति में आने की अटकलों को पहले ही खारिज कर चुके हैं लेकिन उन्होंने अपनी और मोहन भागवत की मुलाकात का कारण दिया है कि मोहन भागवत से उनका आध्यात्मिक लगाव है और यह एक सामान्य मीटिंग है। इसको राजनीति से ना जोड़ कर देखा जाए।
बीजेपी बंगाल में बंगाल के ही किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी देना चाहती है। लेकिन अभी तक बीजेपी के पास ऐसा कोई सशक्त चेहरा नहीं है। कुछ समय पहले उम्मीद की जा रही थी कि सौरव गांगुली को बंगाल के मुख्यमंत्री बनाने के प्रयास हो सकते हैं लेकिन उनके स्वास्थ्य के स्थिर ना होने के चलते उनके नाम पर मुहर लगना संभव नहीं है। फिर बीजेपी अब अपने चेहरे की तलाश को तेज कर चुकी है।
मिथुन चक्रवर्ती की राजनीति में कुछ समय तक सक्रिय रहे हैं लेकिन उन्होंने राजनीति तृणमूल कांग्रेस के साथ ही शुरू की और उसी के साथ खत्म कर दी थी। 2011 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का साथ थामा था। वहीं वे राज्यसभा के सांसद भी बनाए गए थे। लेकिन 2016 में उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा और राजनीति से संयास ले लिया। उनकी मोहन भागवत से मुलाकात इन अटकलों को मजबूत कर रही है कि वे दोबारा सियासी गलियारों में आ सकते हैं।
मिथुन चक्रवर्ती का नाम शारदा चिटफंड घोटाले में भी आया था क्योंकि वे उस कंपनी के ब्रांड एंबेसडर थे। लेकिन इस घोटाले में नाम आने के बाद से उन्होंने खुद को राजनीति से अलग करना शुरू कर दिया था। साथ ही उन्होंने राज्यसभा में भी खास भागीदारी नहीं दिखाई। वे कई बार खुद को वामपंथी भी बता देते थे।