भारत अपने पड़ोसी देश नेपाल के साथ संबंधों को मजबूत करने के प्रयास में अब उसकी यात्रा पर जाएगा। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गुरूवार से नेपाल की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा शुरू करेगी। नेपाल में कम्युनिस्ट गठबंधन द्वारा नयी सरकार की गठन से पहले भारत पड़ोसी देश नेपाल में राजनीतिक नेतृत्व तक अपनी पहुंच को बढ़ाना चाहता है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय व भारतीय दूतावास ने विदेश मंत्री की इस यात्रा कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ नए विदेश सचिव विजय केशव गोखले व विदेश सचिव (उत्तर) सुधाकर डालेला भी नेपाल दौरे पर जाएंगे।
नेपाल दौरे के दौरान विदेश मंत्री नेपाल की राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी व निवर्तमान प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से मुलाकात करेगी। इसके साथ ही सीपीएल-यूएमएल प्रमुख के.पी. ओली व माओवादी नेता प्रचंड के साथ भी विदेश मंत्री मुलाकात करेगी।
नेपाल मे चुनाव सम्पन्न होने के बाद भारत की यह पहली नेपाल यात्रा होगी। नेपाल में भारतीय राजदूत मंजीव पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत, नेपाल में नई सरकार के साथ काम करने और सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि नेपाल में सरकार वामपंथी-माओवादी गठबंधन के नेतृत्व में बनने जा रही है। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व में सीपीएन-यूएमएल व पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व में सीपीएन माओवादी पार्टी के गठबंधन ने नेपाल चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी।
अब नेपाल के आगामी प्रधानमंत्री केपी ओली बनेंगे। केपी ओली जब पहले नेपाल के प्रधानमंत्री थे उस समय भारत व नेपाल के बीच संबंधों में तनाव देखा गया था। इसलिए अब भारत पडोसी देश नेपाल के साथ सभी तनावों व मतभेदों को भूलाकर संबंधो को मजबूत करना चाहता है।
मधेसी आंदोलन की वजह से भारत व नेपाल के बीच में संबंध खराब हो गए थे। जिस वजह से नेपाल ने चीन के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ाई और भारत से दूरी बनाई।