पिछले 24 घंटे राजनीतिक परिदृश्य से बिहार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। पहले नीतीश कुमार का इस्तीफ़ा, फिर भाजपा का समर्थन और अब नीतीश कुमार की ताजपोशी की खबरें देश के राजनीतिक परिदृश्य पर छा गए हैं। बिहार में अपनी जड़ें जमा चुका महागठबंधन अचानक अर्श से फर्श पर आ गया है। नीतीश कुमार ने आज भाजपा के समर्थन से सरकार बनाकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। सुशील मोदी ने उपमुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। पर मुख्य चुनौती अब नीतीश के सामने है। नीतीश कुमार को कल राज्यपाल के समक्ष अपना बहुमत सिद्ध करना होगा। जेडीयू, भाजपा और अन्य सहयोगी दलों को मिलकर नीतीश के पास कुल 132 विधायक हैं पर उनके इस्तीफे के बाद से ही जेडीयू में बगावत के स्वर फूटने लगे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश अपना बहुमत साबित कर पाते हैं?
अपने ही बने बाग़ी
कल शाम नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद से ही जेडीयू में असंतोष दिखाई देने लगा। किसी ने इसे जल्दबाजी में उठाया कदम बताया तो किसी ने इसे अनैतिक करार दिया। भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने की घोषणा के बाद पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव और राज्यसभा सांसद अली अनवर नीतीश कुमार के विरोध में खड़े हो गए। शरद यादव ने कहा कि इस फैसले से राज्य की जनता में गलत सन्देश जायेगा। पार्टी कि छवि धूमिल होगी और लोगों का भरोसा घटेगा। वहीं राज्यसभा सांसद अली अनवर ने कहा कि भाजपा के साथ जाने के लिए उनकी अंतरात्मा गवाही नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि पिछले काफी दिनों से नीतीश के भाजपा के साथ जाने के संकेत मिल रहे थे। 23 जुलाई को नेशनल कॉउन्सिल की बैठक होनी थी जो रद्द हो गई। अगर उन्हें मौका मिलता तो वो यह बात जरूर सबके सामने रखते। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने फ़ोन कर शरद यादव को मनाने कि कोशिश की है। जेडीयू अध्यक्ष पद से हटने के बात पार्टी में शरद यादव की भूमिका सीमित हो गई है और वो इससे खुश नहीं हैं। ऐसे में उन्हें मनाना सबसे जरुरी है।
आंकड़ों की बात करें तो 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों का समर्थन चाहिए। नीतीश कुमार कि जेडीयू के पास 71 विधायक हैं और भाजपा(+) के पास 58 विधायक हैं। ऐसे में नीतीश आसानी से बहुमत के आंकड़ें तक पहुँच जा रहे हैं। पर पार्टी में उठ रहे विरोधी सुरों ने उनका समीकरण बिगाड़ दिया है। पार्टी में यादव बिरादरी के 11 और मुस्लिम समुदाय के 5 विधायक हैं। ऐसे में अगर वो पार्टी से टूटकर लालू से जा मिलते हैं तो नीतीश के लिए बहुमत सिद्ध करना मुश्किल होगा। लालू यादव राजनीतिक वनवास काट रहे हैं और वह बागी जेडीयू विधायकों को अपनी ओर मिलाने की हर संभव कोशिश करेंगे।