Sat. Nov 23rd, 2024

    जीतेन्द्र भारतीय फिल्मो के जाने माने अभिनेता हैं। जीतेन्द्र को उनके अभिनय की शुरुआत से ही लव रोमांटिक किरदारों को दर्शाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने अभिनय की वजह से कई सारी लोकप्रियता को अपने नाम किया है। जीतेन्द्र ‘बालाजी टेलीफिल्म्स’ के अध्यक्ष के रूप में भी जाने जाते हैं।

    जीतेन्द्र के द्वारा अभिनय की गई फिल्मो की बात करे तो उन्होंने ‘सुहाग रात’, ‘दो भाई’, ‘जिगरी दोस्त’, ‘हिम्मत’, ‘मेरे हमसफ़र’, ‘नया रास्ता’, ‘शादी के बाद’, ‘परिचय’, ‘दुल्हन’, ‘नागिन’, ‘जय विजय’, ‘चौकी न. 11’, ‘लोक परलोक’, ‘नीयत’, ‘इंसान’, ‘सम्राट’, ‘जानी दोस्त’, ‘हैसियत’, ‘सरफ़रोश’, ‘सोने पे सुहागा’, ‘न्यू दिल्ली’, ‘मजबूर’, ‘हो जाता है प्यार’ जैसी फिल्मो में अभिनय किया था।

    जीतेन्द्र ने ना केवल भारतीय जनता का प्यार और अवार्ड्स को अपने नाम किया है बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा में दिए अपने योगदान की वजह से भी कई सम्मानों को अपने नाम किया है।

    जितेन्द्र का प्रारंभिक जीवन

    जीतेन्द्र का जन्म 7 अप्रैल 1942 को अमृतसर,पंजाब में हुआ था। जीतेन्द्र ने एक पंजाबी परिवार में जन्म लिया था। उनके पिता का नाम ‘अमरनाथ कपूर’ था और उनकी माँ का नाम ‘कृष्णा कपूर’ था। जीतेन्द्र के एक भाई थे जिनका नाम ‘प्रसन कपूर’ था। जीतेन्द्र का नाम पहले ‘रवि कपूर’ था जिसे उन्होंने फिल्मो की दुनिया में आने से पहले ‘जीतेन्द्र’ किया था।

    जीतेन्द्र ने अपने स्कूल की पढाई ‘सट. सेबेस्टियन’स गोयं हाई स्कूल’, मुंबई से पूरी की थी। अभिनेता राजेश खन्ना और जीतेन्द्र ने एक ही स्कूल में एक ही क्लास में पढाई की थी। वह दोनों बचपन से ही एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे। जीतेन्द्र ने इसके बाद ‘सिद्धार्थ कॉलेज’, मुंबई और फिर ‘के. सी. कॉलेज’, मुंबई से अपने ग्रेजुएशन की पढाई पूरी की थी।

    जीतेन्द्र के पीता जेवरों का कारोबार करते थे। एक दिन जीतेन्द्र फिल्म निर्माता और निर्देशक ‘वि. शांताराम’ के घर पर कुछ गहने पहुंचाने गए थे। वही वि शांताराम को जीतेन्द्र पसंद आए थे और उन्होंने जीतेन्द्र को अपनी फिल्म में काम करने का मौका दिया था। जीतेन्द्र फिल्म इंडस्ट्री में अपने नाच की वजह से सबसे अधिक प्रसिद्ध माने जाते हैं।

    व्यवसाय जीवन

    जितेन्द्र का फिल्मो का शुरुआती सफर

    जीतेन्द्र ने साल 1964 में अपने व्यवसाय जीवन की शुरुआत की थी। उनकी पहली फिल्म का नाम ‘गीत गाया पत्थरों ने’ था जिसके निर्देशक ‘वि. शांताराम’ थे। इस फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘विजय’ नाम के किरदार को दर्शाया था। फिल्म में जीतेन्द्र ने अभिनेत्री राजश्री के साथ मुख्य किरदार को दर्शाया था।

    साल 1967 में जीतेन्द्र ने फिल्म ‘गुनाहों के देवता’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘देवी शर्मा’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘कुंदन’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म में भी जीतेन्द्र के साथ राजश्री ने ही मुख्य किरदार दर्शाया था। इसके बाद उस साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘फ़र्ज़’, ‘बूँद जो बन गए मोती’ और ‘परिवार’ में अपने अभिनय को दर्शाया था।

    साल 1968 की शुरुआत जीतेन्द्र ने फिल्म ‘सुहाग रात’ के साथ की थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘आर भट्टाचार्य’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘जीतेन्द्र’ और ‘जीत’ नाम के किरदारों को दर्शाया था। इसके बाद जीतेन्द्र ने फिल्म ‘औलाद’ में अभिनय किया था जहाँ उनके किरदार का नाम ‘अरुण’ और ‘सोहन’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘कुंदन कुमार’ थे।

    साल 1969 की जीतेन्द्र जी पहली फिल्म ‘धरती कहे पुकारके’ थी जिसके निर्देशक ‘दुलाल गुहा’ थे। फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘शिव कुमार’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘दो भाई’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘ब्रिज सदनहा’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘विजय वर्मा’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को अशोक कुमार, माला सिन्हा और जीतेन्द्र ने अभिनय किया था।

    जितेन्द्र का फिल्मो का बाद का सफर

    उसी साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘जीने की राह’ में भी अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘एल. वि. प्रसाद’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘मोहन’ नाम के किरदार को दर्शाया था। फिल्म में जीतेन्द्र, तनूजा और संजीव कुमार ने मुख्य किरदारों को दर्शाया था। उसी साल की जीतेन्द्र की बाकी फिल्मों की बात करे तो उन्होंने फिल्म ‘बड़ी दीदी’, ‘जिगरी दोस्त’, ‘अनमोल मोती’, ‘विश्वास’, ‘वारिस’ और ‘द गोल्ड मेडल’ में भी अपने अभिनय को दर्शको के बीच पेश किया था।

    साल 1970 में जीतेन्द्र ने फिल्म ‘खिलौना’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘चन्दर वोहरा’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘मोहन सिंह’ नाम के किरदारों को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल जीतेन्द्र को फिल्म ‘माँ और ममता’ में देखा गया था। इस फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘राम’ नाम के किरदार को दर्शाया था। उस साल की जीतेन्द्र की तीसरी फिल्म का नाम ‘हिम्मत’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘रविकांत नगाइच’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘रघु’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    उसी साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘जवाब’, ‘हंजोइल’, ‘मेरे हमसफ़र’ और ‘नया रास्ता’ में अभिनय किया था।

    साल 1971 से साल 1975 तक जीतेन्द्र ने कुल 25 फिल्मो में अभिनय किया था। उन फिल्मो में से जो फिल्मे बॉक्स ऑफिस में सफल रहीं थीं उनके नाम ‘बिखरे मोती’, ‘चाहत’, ‘एक नारी एक ब्रह्मचारी’, ‘बनफूल’, ‘एक हसीना दो दीवाने’, ‘शादी के बाद’, ‘भाई हो तो ऐसा’, ‘रूप तेरा मस्ताना’, ‘सज़ा’, ‘बिदाई’, ‘रोटी’, ‘दुल्हन’, ‘खुशबू’, ‘उम्र क़ैद’, ‘आखरी दाओ’ और ‘रानी और लालपरी’ थे।

    साल 1976 में सबसे पहले जीतेन्द्र ने फिल्म ‘नागिन’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘नाग’ का किरदार दर्शाया था। इसके बाद उसी साल उन्होंने फिल्म ‘संतान’ में अभिनय किया था जिसमें उन्होंने ‘रवि’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    साल 1977 में जीतेन्द्र ने फिल्म ‘जय विजय’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘एल. वि. प्रसाद’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘प्रिंस जय’ और ‘डाकू शेर सिंह’ नाम के किरदारों को दर्शाया था। उसी साल जीतेन्द्र ने एक और हिट फिल्म में अभिनय किया था जिसका नाम ‘धरम वीर’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘मनमोहन देसाई’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘वीर सिंह’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    उसी साल जीतेन्द्र को फिल्म ‘किनारा’ में अभिनय करते हुए देखा गया था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘दिलदार’ में अभिनय किया था जिसके निर्देशक ‘के बपैअह’ थे। फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘बांके लाल’ नाम का किरदार अभिनय किया था और फिल्म में मुख्य किरदारों को जीतेन्द्र, रेखा और नाज़नीन ने अभिनय किया था। उसी साल की जीतेन्द्र की बाकी फिल्मो के नाम ‘एक ही रास्ता’, ‘ज़मानत’, ‘कसम खून की’, ‘प्रियतं’, ‘पलकों की छाओ में’ और ‘अपनापन’ हैं।

    साल 1978 में जीतेन्द्र ने फिल्म ‘तुम्हारी कसम’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘रवि चोपड़ा’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘आनंद’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘कर्मयोगी’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘राम माहेश्वरी’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘अजय’ नाम के किरदार को दर्शाया था। उस साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘दिल और दीवार’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘के. बपैअह’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘विजय’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    उस साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘बदलते रिश्ते’, ‘चौकी न. 11’, ‘स्वर्ग नर्क’ और ‘नालायक’ में भी अपने अभिनय को दर्शको के बीच दर्शाया था।

    साल 1979 में जीतेन्द्र ने सबसे पहले फिल्म ‘आतिश’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘अम्ब्रीश संगल’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘आनंद’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद जीतेन्द्र ने उस साल फिल्म ‘जानी दुश्मन’ में भी अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘राजकुमार कोहली’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘अमर’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    उसी साल जीतेन्द्र को फिल्म ‘खानदान’ में भी देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘अनिल गांगुली’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘रवि’ नाम के किरदार को दर्शाया था। फिल्म में मुख्य किरदारों को जीतेन्द्र, सुलक्षना पंडित और बिंदिया गोस्वानी ने अभिनय किया था। साल का अंत जीतेन्द्र ने फिल्म ‘लोक परलोक’ के साथ किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘तटिनेनी रामा राओ’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘अमर’ नाम के किरदार को दर्शाया था।

    साल 1980 की शुरुआत जीतेन्द्र ने फिल्म ‘जल महल’ के साथ की थी। इसके बाद जीतेन्द्र को फिल्म ‘द बर्निंग ट्रैन’ में देखा गया था। जीतेन्द्र की साल की तीसरी फिल्म का नाम ‘टक्कर’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘के. बपैअह’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘विजय’ नाम के किरदार को दर्शाया था। उसी साल जीतेन्द्र को फिल्म ‘ज्योति बनी ज्वाला’, ‘जुदाई’, ‘नीयत’, ‘निशाना’, ‘मांग भरो सजना’ और ‘आशा’ में अभिनय करते हुए देखा गया था।

    साल 1981 से साल 1985 तक जीतेन्द्र ने कई फिल्मो में अभिनय किया गया था। इनमे से फिल्म ‘वक़्त की दीवार’, ‘खून और पानी’, ‘खून का रिश्ता’, ‘प्यासा सावन’, ‘अपना बना लो’, ‘इंसान’, ‘बदले की आग’, ‘लक्ष्मी’, ‘सम्राट’, ‘हिम्मतवाला’, ‘तोहफा’, ‘मक़सद’, ‘हैसियत’, ‘सरफ़रोश’, ‘मेरा साथी’, ‘बलिदान’ जैसी फिल्मो को बॉक्स ऑफिस में सफलता मिली थी। इनमे से कुछ फिल्मे जैसे ‘ज़ख़्मी शेर’, ‘पातळ भैरवी’, ‘बॉन्ड 303’, ‘अर्पण’, ‘धरम कांता’, ‘फ़र्ज़ और कानून’, ‘चोरनी’, ‘कहानी एक चोर की’, ‘ज्योति’ जैसी फिल्मो को दर्शको ने ना पसंद किया था।

    साल 1986 में सबसे पहले जीतेन्द्र ने फिल्म ‘जाल’ में अभिनय किया था। इसके बाद उसी साल उन्होंने फिल्म ‘दोस्ती दुश्मनी’ में भी अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘तटिनेनी रामा राओ’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘डॉ. संदीप कुमार’ नाम का किरदार अभिनय किया था। इसके बाद जीतेन्द्र को उसी साल फिल्म ‘घर संसार’, ‘लॉकेट’ और ‘स्वर्ग से सुन्दर’ में भी देखा गया था।

    साल 1987 में जीतेन्द्र ने फिल्म ‘सिन्दूर’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘प्रेम कपूर’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल उन्होंने फिल्म ‘औलाद’ में अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘आनंद’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद जीतेन्द्र को फिल्म ‘खुदगर्ज़’ में देखा गया था जहाँ उनके किरदार का नाम ‘अमर सक्सेना’ था। साल का अंत जीतेन्द्र ने फिल्म ‘इंसाफ की पुकार’ के साथ किया था।

    साल 1988 में सबसे पहले जीतेन्द्र ने फिल्म ‘तमाचा’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘रमेश आहूजा’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘राजू’ और ‘राजीव सिंह’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल जीतेन्द्र ने फिल्म ‘सोने पे सुहागा’ में अभिनय किया था जहाँ उनके किरदार का नाम ‘विजय कुमार’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘के. बपैअह’ थे। इसके बाद उसी साल जीतेन्द्र को फिल्म ‘मर मिटेंज’ और ‘न्यू दिल्ली’ में अभिनय करते हुए देखा गया था।

    साल 1990 की शुरुआत जीतेन्द्र ने फिल्म ‘तक़दीर का तमाशा’ के साथ की थी। इस फिल्म के निर्देशक ‘आनंद गायकवाड़’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘सत्य देव’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इसके बाद उसी साल उन्होंने फिल्म ‘ज़हरीला’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘ज्योतिन गोयल’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘कैप्टेन जशवंत कुमार’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस साल की जीतेन्द्र ने अगली फिल्म का नाम ‘अमीरी गरीबी’ था।

    उसी साल जीतेन्द्र को फिल्म ‘शेषनाग’ में अभिनय करते हुए देखा गया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘प्रीतम नाग’ के किरदार को दर्शाया था। फिल्म में जीतेन्द्र के साथ रेखा, ऋषि कपूर और अनुपम खेर ने मुख्य किरदारों को दर्शाया था। उसी साल उन्हें फिल्म ‘आज का शहनशा’, ‘जय शिव शंकर’, ‘अग्निकाल’, ‘न्याय अन्याय’ और ‘थानेदार’ में भी मुख्य किरदारों को दर्शाते हुए देखा गया था।

    साल 1991 से साल 1995 के सफर में जीतेन्द्र ने फिल्म ‘शिव राम’, ‘माँ’, ‘इन्साफ की देवी’, ‘जय काली’, ‘सोने की लंका’, ‘रिश्ता हो तो ऐसा’, ‘गीतांजलि’, ‘रंग’, ‘संतान’, ‘पापी देवता’, ‘घर की इज़्ज़त’, ‘बेगुनाह’, ‘जनम कुंडली’, ‘ज़माना दीवाना’, ‘हम सब चोर हैं’, ‘कलयुग के अवतार’ जैसी फिल्मो में अपने अभिनय को दर्शाया था।

    साल 1996 में जीतेन्द्र ने एक ही फिल्म में अभिनय किया था जिसका नाम ‘दुश्मन दुनिया का’ था। इस फिल्म के निर्देशक ‘मेहमूद’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘महेश’ नाम के किरदार को दर्शाया था। साल 1997 में जीतेन्द्र को फिल्म ‘जज मुजरिम’ में देखा गया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘जगदीश ए शर्मा’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘जस्टिस प्रताप सिन्हा’ नाम का किरदार अभिनय किया था। उसी साल उन्होंने फिल्म ‘महानता’, ‘लव कुश’, ‘कृष्णा अर्जुन’, ‘धर्म कर्म’ और ‘चुप्प’ में अभिनय किया था।

    साल 2003 में जीतेन्द्र ने फिल्म ‘कुछ तो है’ में अभिनय किया था। इस फिल्म के निर्देशक ‘अनुराग बासु’ थे और फिल्म में जीतेन्द्र ने ‘रवि कपूर’ नाम के किरदार को दर्शाया था। इस फिल्म में मुख्य किरदारों को तुषार कपूर, ईशा देओल और अनीता हस्सनंदनी ने अभिनय किया था। साल 2006 में भी जीतेन्द्र को फिल्म ‘जो जाता है प्यार’ में ‘रवि कपूर’ नाम के किरदार को दर्शाते हुए देखा गया था।

    पुरस्कार और उपलब्धियां

    • साल 1998 में ‘गेस्ट ऑफ़ ऑनर अवार्ड्स’ से सम्मानित किया गया था।
    • साल 2000 में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवार्ड से सम्मानित किया था।
    • साल 2002 में ज़ी गोल्ड बॉलीवुड अवार्ड्स द्वारा ”लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवार्ड से सम्मानित किया था।
    • साल 2003 में ‘फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवार्ड से सम्मानित किया था।
    • साल 2005 में ‘स्क्रीन अवार्ड्स लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवार्ड से सम्मानित किया था।
    • साल 2012 में ‘ज़ी सिने अवार्ड्स द्वारा ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवार्ड से सम्मानित किया था।

    जितेन्द्र का निजी जीवन

    जीतेन्द्र के लव लाइफ की बात करे तो उनका नाम एक बार अभिनेत्री हेमा मालिनी के साथ जुड़ा था। दोनों के शादी की चर्चा भी सुनी जा रही थी लेकिन हेमा ने जीतेन्द्र को छोड़ कर आगे बढ़ने का फैसला लिया था। इसके बाद जीतेन्द्र ने ‘सोभा कपूर’ को डेट करना शुरू किया था। साल 1974 में जीतेन्द्र ने सोभा के साथ शादी की थी। जीतेन्द्र और सोभा के दो बच्चे हैं। उनके बेटे का नाम ‘तुषार कपूर’ है और बेटी का नाम ‘एकता कपूर’ है।

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