Sat. Nov 23rd, 2024
    आधार कार्ड सुप्रीम कोर्ट

    आधार कार्ड की अनिवार्यता और उसमे नागरिको की निजी जानकारी की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर उठा है। सुप्रीम कोर्ट मे याचिकाकर्ता शिवम दिवान द्वारा दायर याचिका मे आधार कार्ड और नागरिको की निजी जानकारी की सुरक्षा को लेकर कई सवाल किए गए है।

    इस पर चुटकी लेते हुए जस्टिस ऐ के सिकरी ने कहा “आपके मुताबिक, अगर मै अपना पासबुक उन्हे दूँ, तो वह मेरे लेनदेन की सारी सूची जान लेंगे।”

    गुरुवार को हुई सुनवाई मे सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओ से पूछा कि “जब उन्हे निजी संस्थानो मे एड्रेस प्रूफ देने मे आपत्ति नही है तो सरकार से जानकारी साझा करने मे क्या समस्या है?”

    आगे की सुनवाई मे जस्टिस डी.वाई चंद्रचुड ने कहा कि “यदि हम बीमा लेने जाते है, या मोबाइल फोन लेने जाते है तो निजी संस्थान मे, और ऐसे संस्थान जब हमसे हमारा एड्रेस प्रूफ माँगते है, तब हमे कोई आपत्ति नही होती तो सरकार को यह जानकारी देना आपकी निजता पर हमला कैसे?”

    जिसके जवाब मे याचिकाकर्ता दिवान का कहना था कि “निजी संस्थान के बारे मे हमे जानकारी होती है परंतु सरकार का कोई चेहरा नही होता, वह बदलती रहती है।”

    सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के आंकड़ो से दिवान ने बताया कि सरकार द्वारा आधार उन नागरिको के लिए लाया गया था जिनका किसी प्रकार का पहचान पत्र नही था, और उन्हे परिचयकर्ता प्रणाली से आधार जारी होने थे। परंतु आकड़े बताते है कि 93 करोड़ आधार धारको मे से सिर्फ 219,096 आधार ही परिचयकर्ता प्रणाली से जारी हुए है।

    याचिकाकर्ताओ की चिंता इसलिए भी मान्य है, क्योंकि अप्रैल 2017 को जारी सरकारी आंकडे बताते है कि पिछले 6 सालों मे 34,000 ऐसे आॅपरेटरो को ब्लैकलिस्ट किया गया था जो कि आधार कार्ड के सिस्टम मे जालसाजी कर रहे थे।