27 जुलाई को बीजिंग में होने वाली ब्रिक्स की बैठक में चीन भारत को घेरने की रणनीति बना रहा है। इसके तहत उठाये गए अपने हालिया कदम में उसने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पर निशाना साधा है। अपने हालिया लेख में भारत पर आक्रामक रुख अपनाते हुए चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने डोभाल को डोकलाम विवाद के पीछे का मुख्य कर्ता-धर्ता बताया है। इसे ड्रैगन के उकसावे की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
इससे पहले भी अपने लेखों के जरिये ग्लोबल टाइम्स भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और भारतीय सेना को निशाने पर ले चुका है। उसने भारतीय सेना को कमजोर बताते हुए 1962 के भारत-चीन युद्ध को याद करने को कहा था। जवाब में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन को भारतीय सेना को 1962 वाली भारतीय सेना ना समझने की नसीहत दी थी। उन्होंने कहा था कि सेना देश का गौरव है और वह अपनी सीमाओं की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। वह किसी की गीदड़भभकी से डरने वाली नहीं है और हर विरोधी कदम का माकूल जवाब देगी।
27 जुलाई को बीजिंग पहुँचेंगे डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल 27 जुलाई को ब्रिक्स देशों के एनएसए की बीजिंग में होने बैठक में हिस्सा लेने चीन जा रहे है। उनके यहाँ अपने चीनी समकक्ष से मिलकर सीमा विवाद पर बात करने की भी सम्भावना जताई जा रही है। इससे भारत चीन सम्बन्ध में कुछ सरलता आ सकती है।
वहीं चीनी मीडिया ने इसे गलत समय पर किया गया दौरा करार दिया है। चीनी मीडिया के अनुसार इन हालातों में यह दौरा निरर्थक साबित होगा। सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकलने वाला है। चीन अपने पुराने रुख पर कायम है।
चीनी सेना की तारीफ़ में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि पीएलए मुस्तैदी से डोकलाम में खड़ी है और उसे वहाँ से पीछे हटाना समभाव नहीं है। उसने सेना का हौसला बढ़ाते हुए लिखा है कि पहाड़ को उसकी जगह से हटाना मुश्किल है पर पीएलए को उसकी जगह से पीछे हटाना नामुमकिन है। भारत से सीमा विवाद पर बातचीत केवल एक ही सूरत में सम्भव है जब वह डोकलाम से अपनी सेना बिना शर्त के हटा ले। इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुका है और उसने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि भारत डोकलाम से अपनी सेना तभी हटाएगा जब चीन भी अपनी सेना वापस बुला ले। ऐसे हालातों में डोभाल का चीन दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसके सकारात्मक परिणामों की उम्मीद की जा रही है।