मध्य प्रदेश का मंदसौर, राजस्थान का सीकर और महाराष्ट्र का नासिक किसानों का सरकार के प्रति आक्रोश का ताजातरीन उदाहरण हैं। यही नहीं अभी हाल में ही संपन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ मतदाताओं का जबरदस्त आक्रोश दिखा है।
ग्रामीण क्षेत्रों मेंं भाजपा के खिलाफ इस नाराजगी के चलते कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा है। किसानों की बढ़ती समस्याएं देश की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है। संभवत: पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा और एनडीए सरकार हालिया चुनावों से सबक ले चुकी है। ऐसे में केंद्र सरकार ने अब किसानों को बड़ी राहत देने की पूरी तैयारी कर ली है।
उम्मीद जताई जा रही है कि बजट 2018 में मोदी सरकार का मुख्य ध्यान किसानों की आर्थिक सहायता देने को लेकर ही होगी। इसके लिए मोदी सरकार अब राज्य सरकारों से राय-मशवरा करके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दरों पर बिकने वाली फसलों से हुई नुकसान की कीमत स्वयं वहन करेगी।
समाचार चैनल न्यूज18 के अनुसार, इसके लिए केंद्र सरकार किसानों के लिए मार्केट एश्यूरेंस स्कीम (एमएएस) शुरू करने जा रही है।
प्रस्तावित मार्केट एश्यूरेंस स्कीम (‘बाजार आश्वासन योजना’) के राज्य सरकारें किसानों से सभी फसलों की खरीद के लिए स्वतंत्र होंगी। चावल और गेहूं को छोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम रेट के अनाजों की खरीददारी किसानों से राज्य सरकार करेगी।
‘बाजार आश्वासन योजना’ के तहत केंद्र की तरफ से किसानों को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई की जाएगी। मार्केट एश्यूरेंस स्कीम के तहत फसलों की खरीददारी राज्य सरकारें करेंगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दरों पर खरीदी गई फसलों की 30 फीसदी भरपाई केंद्र सरकार राज्यों को करेगी, जबकि पहाड़ी राज्यों के लिए यह राशि 40 फीसदी निर्धारित की गई है।
केंद्र सरकार की मार्केट एश्यूरेंस स्कीम के जरिए एक ओर किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम मिल जाएगा दूसरी ओर सरकार अप्रत्यक्ष तरीके से राज्य की मदद भी करेगी। राज्य सरकारें इन फसलों को मिड डे मिल जैसे स्कूली पोषाहार कार्यक्रम अथवा खुले बाजारों में बेचने को स्वंतत्र होंगी।
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बिबेक देबोरॉय की अगुवाई में गुरूवार को बैठक आयोजित की गई जिसमें रोजगार और कृषि मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। यही नहीं फसलों की नीति को लेकर विशेष बातचीत की गई। नाम ना छापने की शर्त पर समिति के एक सदस्य ने कहा, “किसानों को उनके फसलों की उचित कीमत उपलब्ध कराना तथा फसली सुरक्षा सरकार का आगामी प्राथमिक एजेंडे में शामिल है।”
अगले साल आठ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार किसानों के लिए विशेष नीतियां तैयार कर रही है। पूरे साल किसानों द्वारा किए जाने वाले विरोध-प्रदर्शनों की असली वजह ऋण में छूट और फसल की उचित कीमतों की मांग रही है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक जैसे राज्यों ने किसानों के कर्जमाफी के घोषणा का वादा कुछ पूरा कर चुके हैं, तो कुछ विभिन्न चरणों में हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने कम रेट पर फसल बिकने की स्थिति में किसानों को आर्थिक मदद देने का फैसला किया है।