अफगानिस्तान के चरमपंथी तालिबान ने बुधवार को इमरान खान के बुलावे पर पाकिस्तान की यात्रा और इमरान खान से मुलाकात करने की इच्छा व्यक्त की है। तालिबान का यह बयान पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री के मुल्क वापस लौटने के बाद आया है। अमेरिका की अधिकारिक यात्रा में उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अफगान शान्ति प्रक्रिया पर वार्ता की थी और इस जंग को खत्म करने के लिए एकजुट होकर कार्य पर सहमती व्यक्त की थी।
पाक पीएम के निमंत्रण पर जरुर जायेंगे
मुलाकात के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि “अफगानिस्तान से बाहर निकलने में अमेरिका की मदद पाकिस्तान करेगा। वांशिगटन और इस्लामाबाद के बीच संबंधो में काफी प्रभावी क्षमता है। इमरान खान के साथ व्हाइट हाउस में वार्ता के दौरान सेना के अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा, ख़ुफ़िया विभाग के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद भी थे।”
क़तर की राजधानी दोहा में स्थित तालिबान के अधिकारिक दफ्तर के प्रवक्ता सोहेल शाहीन ने बीबीसी उर्दू को बताया कि “अगर इमरान खान एक अधिकारिक निमंत्रण भेजते हैं तो वे इसे स्वीकार कर लेंगे। हमने उस क्षेत्र के देशों की यात्रा की है और हम निसंदेह पाकिस्तान की भी यात्रा करेंगे, वह हमारा मुस्लिम पड़ोसी है बशर्ते पाकिस्तान की तरफ से अधिकारिक निमंत्रण भेजा जाए।”
मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका 1 सितम्बर से समझौते के लिए बातचीत कर रहा है। तालिबान की सुरक्षा गारंटी के बदले अफगानी सरजमीं से अंतरराष्ट्रीय सेना की वापसी का समझौता किया जायेगा। तालिबान ने संकल्प लिया है कि वह अफगानिस्तान को किसी भी आतंकवादी समूह के लिए सुरक्षित पनाह नहीं बनने देंगे।
अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस में इमरान खान ने कहा कि “मैं तालिबान से मुलाकात करूँगा और अफगान सरकार के साथ बातचीत को उन्हें राजी करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूँगा। अफगानिस्तान में चुनाव समावेशी चुनाव होना चाहिए जहां तालिबान भी दावेदार हो।”