यदि रिटेलर कम कीमत पर दैनिक उत्पादों को नहीं बेच रहा है, इस परिस्थिति में आप राष्ट्रीय एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्राधिकरण (एनएए) के यहां अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आपको बता दें कि वित्त मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को जीएसटी कटौती का लाभ दिलवाने के लिए कवायदें तेज कर दी है।
अभी पिछले महीने वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि एफएमसीजी फर्म और बड़े कार्पोरेट्स यह सुनिश्चित करें कि रिटेलर अपने उपभोक्ताओं को जीएसटी दर में की गई कटौती का लाभ दिलाएं। गौरतलब है कि पिछले महीने में सरकार ने एफएमसीजी कंपनियों को निर्देश जारी कर कहा था कि मौजूदा स्टॉक पर नए प्राइस टैग लगाकर उपभोक्ताओं को जीएसटी कटौती का अंतर दिखाएं।
जीएसटी कटौती लाभ उठाने के लिए ऐसे दर्ज कराएं शिकायत
जीएसटी कटौती का लाभ उठाने के लिए आप स्थायी समिति या फिर राज्य स्तर की स्क्रीनिंग कमेटी के सामने एक फॉर्म भरकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए आप को पहचान पत्र, चालान, मूल्य सूची तथा वर्किंग शीट आदि की स्वप्रमाणित छाया प्रति संलग्न करनी होगी। आप केन्द्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क की वेबसाइट से इस फॉर्म को डाउनलोड कर सकते हैं।
जांच के संबंध में सरकार का हालिया बयान
- सरकार ने अपने एक बयान में कहा है कि सप्लायर्स को जीएसटी कटौती दरों के तहत अपने उपभोक्ताओं को कम कीमत पर वस्तुएं उपलब्ध करानी होगी। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उपभोक्ता इसकी शिकायत राष्ट्रीय एंटी-प्रॉफिटिंग को कर सकता है। जहां उसके अधिकारों को संरक्षित किया जाएगा।
- नई जीएसटी दर के तहत किसी भी संस्था द्वारा अनुचित लाभ उठाने के संबंध में शिकायत की सुनवाई के लिए केंद्र और राज्य में कर अधिकारियों की एक चार सदस्यीय स्थायी समिति की स्थापना की गई है।
- जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी करने वाले स्थानीय तत्वों की शिकायत राज्य स्तर की स्क्रीनिंग समिति को भेजी जाएगी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर मामले की शिकायत ‘स्थायी समिति’ के पास दर्ज कराई जाएगी।
- यदि समितियों को लगता है कि यह शिकायत जांच योग्य है तो इसे जांच के लिए निदेशालय जनरल ऑफ सेफगार्ड्स (डीजीएस) के पास भेज दिया जाता है।
- आमतौर पर डीजीएस जांच को पूरा करने में लगभग तीन महीने का समय लेता है, इसके बाद जांच की रिपोर्ट एंटी-प्रॉफिटयरिंग प्राधिकरण को भेज दी जाती है।
- एंटी-प्रॉफीटयरिंग प्राधिकरण को जैसे ही पता चलता है कि उक्त कंपनी अथवा फर्म ने जीएसटी कटौती नियमों का पालन नहीं किया या उपभोक्ता को जीएसटी लाभ से वंचित रखा, इस परिस्थिति में फर्म को एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर ‘उपभोक्ता कल्याण निधि’ में पैसे स्थानांतरित करना होगा।
गौरतलब है कि 10 नवंबर 2017 को गुवाहाटी में आयोजित जीएसटी काउंसिंल की 23 वीं बैठक में 28 फीसदी जीएसटी स्लैब की करीब 178 वस्तुओं को हटाकर 18 फीसदी स्लैब में करने का निर्णय लिया था।