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    म्यांमार बांग्लादेश रोहिंग्या

    रोहिंग्या संकट को लेकर अब अंतरराष्ट्रीय संकट समूह (आईसीजी) ने एक चेतावनी जारी की है। आईसीजी ने रोहिंग्या शरणार्थियों के ऊपर गंभीर सुरक्षा जोखिम का खतरा बताया है। अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) की वजह से रोहिंग्या लोगों पर संकट गहरा हो सकता है।

    म्यांमार का चरमपंथी संगठन अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी व म्यांमार सेना के बीच में ही जातीय हिंसा शुरू हुई थी। इनके बीच हिंसा होने की वजह से ही लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा था।

    अब अंतरराष्ट्रीय संकट समूह (आईसीजी) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चरमपंथी संगठन अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को वापस से बहला-फुसलाकर अपने समूह में शामिल कर रहे है।

    म्यांमार सरकार के खिलाफ भविष्य में खतरनाक ऑपरेशन करने के लिए शिविरो में मौजूद सुस्त व हताश रोहिंग्या मुसलमानों एआरएसए समूह में शामिल होने के लिए आकर्षित किया जा रहा है। इनका मकसद आतंकी गतिविधियो को उकसाना भी हो सकता है।

    हिंसात्मक हमलों का दिया जा रहा प्रशिक्षण

    आईसीजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानों व शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या को ये चरमपंथी समूह अपने संगठन में भर्ती की कोशिश कर रहा है साथ ही इन्हें हमलों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

    रोहिंग्या लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें अपने समूह में शामिल करके आतंकवादी गतिविधियों व हिंसा को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।

    गौरतलब है कि म्यांमार का चरमपंथी संगठन अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी की वजह से ही रोहिंग्या की ये दुर्दशा हुई है। ये समूह अब वापिस से आतंकवादी व हिंसात्मक गतिविधियों को करने में सक्रिय हो सकता है। ऐसे हमलों से गंभीर नकारात्मक असर पड़ सकते है।

    वहीं अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी का कहना है कि वह केवल रोहिंग्या लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहा है। उनका मकसद आतंकवाद फैलाना नहीं है।

    अब म्यांमार व बांग्लादेश दोनों ही देशों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। दोनो देशों के बीच कुछ समय पहले ही रोहिंग्या की घर वापसी को लेकर समझौता हुआ है।