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    भारत रूस वासेनर व्यवस्था एनएसजी

    वासेनर व्यवस्था में जल्द ही भारत के भी शामिल होने के आसार लग रहे है। अगर भारत वासेनर व्यवस्था में शामिल हो जाता है तो न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने में भारत की दावेदारी मजबूत हो सकेगी। वर्तमान में इसके 41 देश सदस्य है।

    हाल ही में रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा है कि अगर सब कुछ अपेक्षित परिणामों के तहत रहा तो भारत इस गुरूवार को वासेनर व्यवस्था में शामिल हो सकता है। भारत इसमें शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।

    रयाबकोव ने भी भारत के शामिल होने की संभावना जताई है। वियना में बुधवार व गुरूवार को वासेनर व्यवस्था संबंधित बैठक हो रही है। इसमें भारत की सदस्यता को लेकर भी जोर दिया गया है। रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई ने संभावना जताई है कि भारत वासेनर व्यवस्था में शामिल होने के बेहद करीब है।

    उल्लेखनीय है कि इस साल के शुरूआत में भारत ने एससीओएमईटी (विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और टेक्नोलॉजीज) से संबंधित वस्तुओं की वासेनर व्यवस्था के तहत मंजूरी भी दी है।

    वासेनर व्यवस्था के बारे में संक्षिप्त जानकारी

    वासेनर व्यवस्था एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण शासन है जो क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया है। इसमें फिलहाल 41 देश शामिल है। लेकिन चीन वासेनर व्यवस्था में सम्मिलित नहीं है। वहीं भारत इसमें शामिल होने के पूरे प्रयास कर रहा है।

    इस व्यवस्था के तहत सदस्य देशों के बीच हथियारों के हस्तांतरण में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाता है। हो सकता है कि इस गुरूवार को ही भारत इसका आधिकारिक सदस्य बन जाए। वासेनर व्यवस्था में शामिल होने से चीन का विरोध दरकिनार किया जा सकेगा।

    वासेनर व्यवस्था में शामिल होने की भारत कर रहा कोशिश

    वासेनर व्यवस्था में शामिल होना भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण व जरूरी है। दरअसल भारत के वासेनर व्यवस्था में शामिल होने से एनएसजी सदस्यता के लिए भारत का पक्ष मजबूत हो जाएगा। वासेनर व्यवस्था में शामिल होने से भारत का दबदबा भी बढ़ेगा।

    वासेनर व्यवस्था में चीन इसका सदस्य देश नहीं है। चीन के द्वारा एनएसजी में भारत के शामिल होने पर अडंगा लगाया जा रहा है। वासेनर व्यवस्था में शामिल होने से भारत के पास अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए बिना सदस्य देशों के साथ करीब से संवाद स्थापित करने का अवसर होगा।

    ये विभिन्न देश भारत के एनएसजी सदस्यता के लिए उसके दावे को मजबूत कर सकते है। इसके अलावा भारत ऑस्ट्रेलियाई समूह मे शामिल होने का प्रयत्न कर रहा है।

    ऑस्ट्रेलियाई समूह व वासेनर व्यवस्था में शामिल होने से भारत को एनएसजी में सदस्यता दिलवाने के लिए सदस्य देशों द्वारा चीन पर दबाव बनाया जा सकता है।

    वहीं भारत पिछले वर्ष 35 वां एमटीसीआर का सदस्य भी बन गया है। जिसके माध्यम से भारत संभावित रूप से मिसाइल और ड्रोन प्रौद्योगिकी तक पहुंच हासिल कर सकता है।