भारत के नवनिर्वाचित विदेश मंत्री ने शनिवार को कहा कि एशिया के लोग सबसे अधिक आतंकवाद का खतरा झेल रहे हैं। आतंकवादी और उसके पीड़ितों की कभी बराबरी नही की जा सकती है। कांफ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मैसर्स इन एशिया के पांचवे संस्करण को संबोधित करते हुए तजाकिस्तान की राजधानी में जयशंकर ने कहा कि सीआइसीए के अधिक सदस्य आतंकवाद से पीड़ित है।
उन्होंने कहा कि सीआईएसए ने हमेशा आतंकवाद और चरमपंथ के निपटान के लिए सख्त प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है और आतंकवाद के खात्मे के लिए विस्तृत रणनीति को अपनाया है। जयशंकर का बयान तब आया जब किर्गिजस्तान में एससीओ की सभा को संबोधित कर रहे हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आतंकवाद को समर्थन और वित्तीय सहायता मुहैया करने वाले को जिम्मेदार ठहराना ही होगा। उन्होंने किसी विशेष देश का नाम नही लिया था। सीआइसीए एक आंतरिक सरकार मंच है जो एशिया में शांति, सुरक्षा कर स्थिरता के प्रचार की तरफ सहयोग को विस्तृत करता है।
तजाकिस्तान में उनकी पंहुच पर विदेश मंत्री का स्वागत तजाकिस्तान के राष्ट्रपति एमोमली रहमोन ने किया था। मुलाकात में जयशंकर ने अफगानिस्तानी नियंत्रित और अफगानी समावेशी शांति और सुलह प्रक्रिया को दोहराया है।
उन्होंने कहा कि मेरे ख्याल से सभी पहल और प्रक्रियाओं में अफगान समाज के सभी भागों को शामिल करना चाहिए इसमे वैध तरीके से चयनित सरकार भी शामिल है। नई और उभरती हुई बहु राजनीतिक और बहू आर्थिक भ्रंश रेखा के कारण वैश्वीकरण दबाव में हैं।
जयशंकर ने कहा कि हाल ही में भारत-मध्य एशिया पांच स्तरीय वार्ता बेहद सकारात्मक विस्तार था और इसे सिर्फ हमारे क्षेत्रों में सहयोग और स्थिरता से विस्तृत किया जा सकता है।
नए विदेश मंत्री शुक्रवार को सम्मेलन में शामिल होने के लिए पंहुचे थे। इस समारोह का थीम “शेयर्ड विज़न फ़ॉर ए सिक्योर एंड मोर प्रोस्पेरोस सीआइसीए रीजन” यानी एक सुरक्षित और अधिक समृद्ध सीआइसीए क्षेत्र के लिए साझा नजरिया थी। साल 1999 में इसकी स्थापना के बाद से ही भारत सक्रियता से इसकी विभिन्न गतिविधियो में शामिल हो रहा है। जयशंकर वियतनाम के उपराष्ट्रपति डांग थी नगोक थिन्ह से सम्मेलन के इतर मुलाकात करेंगे।