ईरान (Iran) ने वैश्विक ताकतों के साथ किये गए परमाणु समझौते के पालन करने की समयसीमा को बढ़ा दिया है। अन्य दस्तखत करने वाले देशो के लिए यह सकारात्मक संदेश है। यह बात ईरान के राष्ट्रपति ने रूस (Russia), चीन (China) और अन्य एशियाई देशो के साथ बातचीत के दौरान कही थी।
ईरान ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि का आंशिक रूप से पालन करने मे में छोड़ने का ऐलान किया था।क्योंकि अमेरिका ने इस संधि को तोड़ दिया था और सभी प्रतिबंधों को वापस ईरान पर थोप दिया था।
तेहरान ने मई में कहा था कि ईरान दोबारा यूरेनियम को उच्च स्तर पर समृद्ध करना शुरू करेगा अगर वैश्विक ताकते 60 दिनों के भीतर अमेरिकी प्रतिबंधों से उनकी अर्थव्यवस्था का संरक्षण नही करती।
राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि जाहिर है ईरान अकेले इस समझौते में नही रह सकता है। ईरान को इस संधि से जुड़े अन्य देशों की तरफ से भी सकारात्मक संकेत मिलने की जरूरत है।इसमे जर्मनी, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल है। हालांकि उन्होंने सकारात्मक संदेश के बाबत जानकारी नही दी है।
फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों का मकसद ईरान के परमाणु मंसूबो को खत्म करना था। उन्होंने कहा कि वे इन संधि को बचाना चाहते है लेकिन उनकी अधिकतर कंपनियों ने तेहरान के साथ किये समझौते को रद्द कर दिया है क्योंकि उन पर अमेरिका का वित्तीय दबाव था।
पश्चिमी ताकतों ने ईरान पर परमाणु हथियारों ला विस्तार करने के आरोप लगाए हैं। तेहरान ने इससे इनकार करते हुए कहा कि उन्हें शांतिपूर्ण इरादों के लिए परमाणु तकनीक की जरूरत है।
हाल ही में होरमुज़ जलमार्ग पर टैंकरों पर हमले के लिए तेहरान को जिम्मेदार ठहराया है। हमले का आरोप ईरान पर लगाते हुए माइक पोम्पिओ ने कहा कि “13 जून को टैंकर पर हुए हमला ईरान या ईरानी समर्थी हमले की सूची में शुमार था। यह स्पष्ट तौर पर शान्ति, सुरक्षा और नौचालन की स्वतंत्रता के लिए खतरा है।