नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदने के लिए कुछ अहम पहलुओं पर विचार करना चाहिए, जो पूरी जानकारी के साथ एक समझदारी भरा फैसला करने में मदद करेंगे। प्रत्येक हेल्थ प्लान के अलग-अलग फीचर होते हैं और इसे खरीदते वक्त विभिन्न प्लान्स और उनके फीचर की तुलना करते हुए ही पॉलिसी खरीदनी चाहिए।
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंस के प्रमुख अमित छाबड़ा बता रहे हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
आमतौर पर जब भी कोई हेल्थ इंश्योरेंस खरीदता है, तो वह पॉलिसी के प्रीमियम के हिसाब से सबसे सस्ता प्लान चुनता/चुनती है। कभी भी हेल्थ प्लान की तुलना सिर्फ प्रीमियम दर के आधार पर करना ठीक नहीं होता क्योंकि प्लान के फीचर देखने भी जरूरी हैं। अक्सर यह देखा गया है कि सबसे सस्ता प्लान सीमित सुरक्षा प्रदान करता है।
एक एजेंट आपको हेल्थ प्लान खरीदने में जरूर मदद कर सकता है, लेकिन आपको पूरी तरह से उस पर निर्भर नहीं होना चाहिए। इसकी बजाय ऑनलाइन जाकर पॉलिसी खरीदना काफी अधिक मददगार है क्योंकि यहां आप अलग-अलग प्लान और उनके क्लेम सेटलमेंट दर की तुलना कर सकते हैं। इसके बाद सबसे अच्छे फीचर और कीमतों के आधार पर अपने लिए सही प्लान चुन सकते हैं।
एक आम गलतफहमी यह है कि अगर हमें कोई बीमारी है, तो हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते वक्त इसकी जानकारी देना नहीं चाहते। लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें अपना पॉलिसी आवेदन खारिज होने या प्रीमियम राशि बढ़ जाने का डर होता है। लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि जब आप कोई क्लेम करने जाएंगे और बीमा कंपनी को यह पता चलता है कि आपने कोई जानकारी छिपाई है, तो आपका क्लेम खारिज भी हो सकता है। आपको अपने स्वास्थ्य से जुड़े सभी जरूरी तथ्य बताने चाहिए क्योंकि भले ही इससे प्रीमियम की राशि बढ़ जाएगी लेकिन कम से कम आपका क्लेम तो खारिज नहीं होगा।
यह जरूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के लिए प्रीमियम के साथ ही प्लान के फीचर्स की तुलना भी करनी चाहिए। एड-ऑन और राइडर के साथ आने वाले प्लान थोड़े महंगे जरूर होंगे, लेकिन आपको इसे जरूर खरीदना चाहिए ताकि अस्पताल से जुड़े सभी खर्चे इसमें कवर किये जा सकें।
प्रत्येक हेल्थ प्लान में शामिल न होने वाली चीजों की अपनी लिस्ट होती है, जो पॉलिसी दस्तावेज में दर्ज होती है। इसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए अब आपको यह तुरंत जानना चाहिए कि आपके हेल्थ प्लान में कौन से खर्च शामिल नहीं है ताकि क्लेम खारिज होने पर आपको ऐसा न लगे कि आपके साथ धोखा हुआ है।