ताइवान एशिया का शुक्रवार को समलैंगिक विवाह को मंज़ूरी देने वाला पहला राष्ट्र बन गया है। संसद ने ऐतिहासिक प्रस्ताव को पारित कर एक नया इतिहास रच दिया है। द्वीप के सांसदों ने बेहद सरलता इस प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी थी जिसमे समलैंगिक जोड़ो को विवाह की अनुमति होगी और वे सरकारी विभागों में शादी के लिए पंजीकरण का आवेदन कर सकते हैं।
ताइवान के एलजीबीटी समुदाय के लिए यह मतदान एक बड़ी जीत है जो सालो से समलैंगिक जोड़ो के लिए समान विवाह अधिकारों के लिए अभियान कर रहे थे। इस प्रस्ताव के सैकड़ो समर्थक भारी बारिश में भी तेपेई में स्थित संसद के बाहर एकत्रित हुए थे।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में इस द्वीप की संवैधानिक अदालत ने फैसला लिया था कि समलैंगिक जोड़ों को आपस में शादी करने का कानूनी अधिकार है।
इस बारे में संसद को दो साल की समय सीमा दी गई थी और 24 मई तक आवश्यक बदलाव पारित करने की आवश्यकता थी।
सांसदों ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के लिए तीन अलग-अलग विधेयकों पर बहस की और इनमें से जो सबसे प्रगतिशील रहा, उसे पारित किया।
सैकड़ों की संख्या में समलैंगिक अधिकारों के समर्थक संसद के बाहर एकत्रित होकर निर्णय के आने का इंतजार करते दिखे।
यह बदलाव साल 2017 में अदालत के फैसले के खिलाफ सार्वजनिक स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद आया। इस प्रतिक्रिया ने सरकार पर जनमत संग्रह कराने का दबाव डाला।
सांसदों के बीच कई मसलो पर बहस ने द्वीप को बुरी तरह दो भागो में विभाजित कर दिया था। हालिया महीनो में रूढ़िवादी इस प्रस्ताव से विवाह से सम्बंधित कानून से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा था। सदन में इस प्रस्ताव को पर्याप्त मत हासिल करने के लिए काफी जूझना पड़ा था।
नवंबर में हुए जनमत संग्रह में मतदाताओं ने समलैंगिक विवाह का विरोध किया था। समलैंगिक विवाह अब एक जटिल मसला बन रहा है जबकि संवैधानिक अदालत ने पिछली बार कहा कि इस पर प्रतिबंधित लगाना गैरकानूनी है। दो-तिहाई से अधिक मतदाता नागरिक कानून के तहत समलैंगिक विवाह की परिभाषा पर रोक लगाना चाहते हैं।
ताइवान में समलैंगिक विवाह राष्ट्रपति त्साई इंग वेन के लिए चुनौती बनता जा रहा था क्योंकि उन्होंने चुनावी प्रचार के दौरान विवाह समानता अधिकार दिलाने का वादा किया था।