लीबिया की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार ने शुक्रवार को अपने दुश्मन खलीफा हफ्तार को एक सैन्य तानाशाह करार दिया है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हफ्तार के समर्थको की सहायता को बंद करने का आग्रह किया है। त्रिपोली की गवर्मेंट ऑफ़ नेशनल एकॉर्ड के प्रधानमंत्री फ़ाएज़ सर्राज ने कहा कि “हफ्तार के अमेरिकी सहयोगी समर्थक लीबिया को एक छंद युद्धक्षेत्र में परिवर्तित कर रहे हैं और इससे नागरिकों को यूरोप की तरफ प्रवास कारण पड़ सकता है।”
हफ्तार की लिबयन नेशनल आर्मी ने अप्रैल के माह में त्रिपोली की तरफ कूच किया था। उन्होंने कहा कि “जीएनए को आतंकी नियंत्रित कर रहे हैं लेकिन वह शहर की रक्षा करने में असफल हुए हैं। वाल स्ट्रीट जनरल में लिखे लेख में सर्राज ने कहा कि “सैकड़ो लीबिया के नागरिकों को मृत्यु चुकी है, 40000 को मज़बूरन अपना घर छोड़ना पड़ा है और सैकड़ो यूरोप की तरफ भाग गए हैं।”
उन्होंने कहा कि “जीएनए एक आकांक्षी सैन्य तानाशाह खलीफा हफ्तार से युद्ध लड़ रही है है जिसकी विरोधी सरकार विदेशों से धन और हथियार लेकट अपने हितों को साध रही है। वैश्विक निहितार्थो के साथ खूनी गृह युद्ध से बचने के लिए लीबिया को अमेरिका की जरुरत है कि वह विदेशी मुल्कों को लीबिया के आंतरिक मामले में दखलंदाज़ी करने से रोके।”
उन्होंने कहा कि “मैं अभी भी आशावादी हूँ कि जहां पीछे राष्ट्रपति विफल हुए थे वहां डोनाल्ड ट्रम्प सफल होंगे। लीबिया एक बार फिर गद्दाफी जैसी सैन्य तानाशाही को स्वीकार नहीं करेगा।” त्रिपोली की सेना को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन है जबकि हफ्तार को अमेरिकी सहयोगी मिस्र और यूएई का समर्थन है। जो हफ्तार के सैनिकों को प्रशिक्षण देने में मदद करते हैं।”
फ्रांस ने हफ्तार को साल 2011 में मुअम्मर गद्दाफी की हत्या के बाद देश में चरमपंथियों के खिलाफ लड़ने के लिए सहयोग किया था। जीएनए ने आतंकवाद से संबंध होने के हफ्तार के आरोपों का खंडन किया है और कहा कि वह उनके सहभागी नहीं थे और न ही हफ्तार था। हफ्तार साल 2016 में तटीय शहर सिर्टी में आईएस का अभियान चला रहा था।
हफ्तार की आक्रमकता को समझने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प ने अप्रैल में खलीफा हफ्तार से बातचीत की थी और जारी टाक रोधी अभियान के बाबत चर्चा की थी और कहा कि लीबिया में शान्ति और स्थिरता को हासिल करने की जरुरत है।”
हफ्तार की आक्रमक कार्रवाई के बाद संयुक्त राष्ट्र दोनों के बीच संघर्षविराम संधि करने में असफल साबित हुआ है। यूरोपीय देश इटली और फ्रांस लीबिया में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं और यह उनके प्राकृतिक संसाधन और यह यूरोप में प्रवेश करने वाले अधिकतर प्रवासियों का एकमात्र निकास मार्ग है। बीते कुछ हफ्तों में ट्राइपोलि की स्थिति में परिवर्तन आया है। रमजान के पाक माह की शुरुआत से संघर्ष में कमी आयी है।