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    सीरिया में प्रॉक्सी वॉर

    सीरिया में जंग की जटिलता बढ़ती जा रही है और देश के उत्तर भाग में कई विदेशी ताकतों के बीच नयी जंग छिड़ रही है। सरकारी सूत्र ने अल मसदर को बताया कि उत्तरी सीरिया में दो नए गठबंधन बने हैं, जिसमे एक का नेतृत्व ईरान और तुर्की कर रहे हैं और दुसरे का सऊदी अरब और रूस कर रहे हैं।

    सूत्र के मुताबिक, तुर्की और ईरान ने एक संधि की है कि वे न सिर्फ उत्तरी इराक पर संयुक्त अभियान करेंगे बल्कि उत्तरी सीरिया में भी इसे आजमाएंगे। सऊदी अरब और रूस एक समझौते को करने के लिए प्रयास कर रही है जिसमे कुर्दिश के नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फाॅर्स और सीरिया की सरकार के बीच शांतिपूर्ण सुलाहो जाए।

    एसडीएफ के सहयोगियों के सतह सऊदी अरब के करीबी सम्बन्ध बरक़रार है इसमें शम्मार ट्राइब भी शामिल हैं, जो उत्तरी सीरिया की सबसे ताकतवर जनजाति है।

    सीरिया में तेल संकट

    सीरियन अरब रिपब्लिक में तेल का निर्यात करने वाला सबसे बड़ा विदेशी निर्यातक ईरान है। अलबत्ता दोनों देशों पर प्रतिबंधों के कारण ईरान लताकिया और टार्टूस पर तेल के टैंकर भेजने में असमर्थ है। सीरिया की सरकार के विरोध के बावजूद तेहरान के साथ मिलकर तुर्की मुल्क में तेल की आपूर्ति के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाश रही है।

    सूत्र के मुताबिक सीरिया में तेल के आयात का एकमात्र मार्ग तुर्की के पश्चिमी बंदरगाह है। विद्रोहियों के नियन्त्र वाले क्षेत्र से तेल के निर्यात के बदले सीरिया की सरकार तुर्की को कीमत अदा करेगी। ईरान के विदेश मंत्री ने बीते हफता डमस्कस की यात्रा की थी और इसके तुरंत बाद वह अंकारा चले गए थे जहां उन्होंने अपने समकक्षी को सीरिया की सरकार का सन्देश दिया था।

    सऊदी अरब का प्रभाव

    मध्य एशिया की सबसे ताकतवर देशों में सऊदी अरब का नाम शुमार है और क्षेत्र में हर संघर्ष का शान्तिपूर्ण समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। रूस के खाड़ी सल्तनत के साथ मज़बूत सम्बन्ध है। रूस ने मध्य एशियाई देशो के बीच शान्ति वार्ता के लिए सीरिया की सरकार को भरोसा दिया था।

    सऊदी अरब की क़तर और तुर्की से छत्तीस का आंकड़ा है, खासकर बीते वर्ष अक्टूबर में जमाल खशोगी की हटाया के बाद काफी मतभेद उपजे हैं। इस मौके को सीरिया और सऊदी अरब के बीच शत्रुता का अंत करने के तौर पर देखा जा रहा है। सीरिया की सरकार को पुनर्निर्माण के लिए फंड की जरुरत है और अमेरिका के साथ संभावित समझौते के लिए उन्हें सऊदी अरब के प्रभाव की जरुरत है।

    ईरान का सबसे नजदीकी सहयोगी सीरिया है तुर्की व क़तर का विरोध करता है क्योंकि यह दोनों देश सीरिया की सरकार के दुश्मनो के बड़े सहयोगी है। तुर्की, ईरान और क़तर का मध्य एशिया में खुद का गठबंधन है और इसका फोकस फिलिस्तानी विवाद पर है।

    सीरिया में जारी ईंधन संकट और पुनर्निर्माण फंड में कमी ने सीरिया की सरकार को रूस के दिखाए मार्ग पर चलने को मज़बूर कर दिया है क्योंकि इस गठबंधन से सीरिया को कोई फायदा नहीं हुआ है।

    रूस और तुर्की

    तुर्की और रूस की सेना उत्तरी पश्चिमी सीरिया में शान्ति कायम रखने के लिए एक-दुसरे के साथ मिलकर कार्य कर रही है। रुसी सेना टूटने की कगार पर है क्योंकि विद्रोही समूह की असैन्य क्षेत्रों में उपस्थिति बढ़ रही है। 17 सितम्बर को सोची समझौते के मुताबिक बीते अक्टूबर में विद्रोही समूहों को असैन्य क्षेत्रों से बाहर निकलना था लेकिन इसे उन्होंने ख़ारिज कर दिया था।

    सीरिया और रूस की सरकार ने समझौते का उल्लंघन करने के लिए विद्रोही सेना को आड़े हाथो लिया है और कहा कि “असैन्य क्षेत्र में किसी भी जिहादी की उपस्थिति समझौते का उल्लंघन होगा।”

    सीरिया की स्थिति

    सरकारी सूत्र के मुताबिक, सीरिया की सरकार सऊदी अरब तक दोबारा पंहुच को ईरान के गठबंधन में प्रवेश करने से बेहतर समझती है जो मुस्लिम ब्रदरहूड की कट्टर समर्थक है। कई वर्षो तक मुस्लिम ब्रदरहुड ने सीरिया के साथ जंग लड़ी थी जब तक साल 1982 में हमा पर कब्ज़ा कर उन्हें निर्वासन के लिए मज़बूर नहीं कर दिया गया था।

    क़तर और तुर्की मुस्लिम ब्रदरहूड का समर्थन करते हैं जबकि सऊदी अरब और उनके खाड़ी देश इसे आतंकी संगठन मानते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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