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    उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव

    उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर भाजपा अपनी दावेदारी को मजबूत बताने में जुटी हुई है। पार्टी का कहना है कि पिछले दो चुनाव में उसे जिस उद्देश्य के लिए जनादेश मिला है वह उसी के मुताबिक काम कर जनता में अपनी पकड़ और मजबूत कर चुकी है। बीजेपी ने विकास को अपना मुख्य मुद्दा बनाकर राज्य में सभी पार्टियों को घेरना शुरू कर दिया है। मेरठ निकाय चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपने अपने मेयर प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।

    मेरठ निकाय चुनाव में भाजपा की दावेदारी काफी मजबूत नजर आ रही है। नगर निकाय चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी रैली करने मेरठ पहुँचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब नगर निकाय स्वतंत्र होकर काम करेंगे। योगी ने कहा कि सभी निकाय अपने कार्य योजना को स्वयं करेंगे और अपने ठेके भी अपने हिसाब से छोड़ेंगे। योगी ने दावा कि मेट्रो लाने के साथ-साथ मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाएंगे। इसके साथ ही अवैध धंधों, अपराधों पर लगाम लगेगी, वहीं प्रदेश में आने वाले दिनों में विकास की रफ्तार भी तेज होगी। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व में अर्थव्यवस्था के मामले में सबसे तेजी से उभरता हुआ देश है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने व्यापक कदम उठाए है।

    उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी भाजपा सरकार की तारीफ करते हुए योगी ने कहा कि सरकार ने जो वादे किए थे उसके परिणाम दिखने लगे है। उत्तर प्रदेश अब अपराध मुक्त राज्य हो रहा है। पहले आम जनता और व्यापारियों को अपराधियों के डर से पलायन करना पड़ता था लेकिन अब राज्य का दृश्य कुछ और ही कहानी बयान कर रहा है। हमने प्रशासनिक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया, आह भी वही पुलिस और प्रशासन है। योगी ने सख्त तेवर दिखते हुए कहा कि अपराधी हो या अवैध काम करने वाला कोई भी अब नहीं बचेगा।

    आपको बता दें कि मेरठ के वर्तमान मेयर हरिकांत अहलूवालिया है जो भाजपा नेता है। मेरठ में कुल 90 वार्ड है। पूर्व में मेरठ में 80 वार्ड थे लेकिन जनसँख्या वृद्धि को देखते हुए वार्डों की संख्या में इजाफा किया गया। 2012 में मेरठ की जनसंख्या 12,00,000 से कम थी लेकिन जनसंख्या में हुई वृद्धि के कारण वार्डों की संख्या बढ़ानी पड़ी।

    मेरठ की बढ़ती जनसँख्या के आधार पर वार्डों की सूची

    1971 – 15 वार्ड
    1981 – 30 वार्ड
    1991 – 70 वार्ड
    2001 – 80 वार्ड
    2011 – 90 वार्ड

    मेरठ के निकाय चुनाव में 90 वार्डों में प्रस्तावित है। इसमें कोई फेरबदल नहीं किया गया है।

    मेरठ निकाय चुनाव में पार्टियों ने जारी की मेयर की सूची

    भारतीय जनता पार्टी – कांता कर्दम
    समाजवादी पार्टी – दिप्पू मानतेहिया
    कांग्रेस पार्टी – ममता सूद बाल्मीकि
    बहुजन समाजवादी पार्टी – सुनीता वर्मा

    मेरठ की कुल जनसंख्या 1,305,429 है। इसमें हिन्दुओं की आबादी 63 फीसदी है वहीं मुय्स्लिमों की आबादी 34.43 फीसदी है । भाजपा के लिए मुसीबत बनी बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। बसपा अपने पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा है। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में जब से बहुजन समाजवादी पार्टी ने अपने आगमन का ऐलान किया है, तब से भाजपा में चुनावी प्रचार को लेकर काफी तेजी दिख रही है। दरअसल उत्तर प्रदेश में 40% ओबीसी जातियां निवास करती है जिसका फायदा हर पार्टी उठाना चाहती है। बसपा के आ जाने से मेरठ की सियासी समीकरण बिल्कुल अलग दिखने लगा है। मेरठ में मुस्लिम और अनुसूचित जाति बाहुल्य आबादी है, जिसका पूरा फायदा बहुजन समाजवादी पार्टी को मिलेगा। बसपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा अपने चुनाव प्रचार में तेजी दिखा रही है। उन्होंने अपने चुनावी मुद्दों में मेरठ नगर निगम को दुरुस्त करने की बात कही है। वर्मा ने पिछले मेयर को घेरते हुए कहा कि नगर निगम में कोई भी विकास का कार्य नहीं हुआ है।

    आपको बता दें कि मेरठ संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल है। उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली थी। वहीं दूसरे स्थान पर बहुजन समजवादी पार्टी के मोहम्मद शाहिद थे। शाहिद के खातें में 3,00,655 वोट आये थे, वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा दूसरे स्थान पर रही थी। पहले स्थान पर भाजपा ही काबिज रही थी।

    2017 उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के रफीक अंसारी ने भाजपा उम्मीदवार डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को पराजित किया था। पिछले विधानमसभा चुनाव के नतीजे 2017 विधानसभा नतीजे से बिल्कुल उलट थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को जीत मिली थी और वहीं रफीक अंसारी को शिकस्त का मुँह देखना पड़ा था।

    भाजपा ने इस बार मेयर प्रत्याशी के लिए कांता कर्दम को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांता कर्दम 25 साल से भाजपा की दामन थामे रही है। पार्टी का मानना है कि कर्दम को मेरठ क्षेत्र की जानकारी है और स्थानीय लोगों से उनका अच्छा-खासा जुड़ाव है, जिसको देखते हुए पार्टी ने उन्हें चुना है। मेरठ का शहरी इलाका मुस्लिम बाहुल्य और अनुसूचित जाति का क्षेत्र है। जानकारों का मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर की वजह से बीजेपी ने यहाँ जीत दर्ज करी थी। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजे से मेरठ की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव आया है। सपा और बसपा ने भी शहरी क्षेत्रों में जीत दर्ज की है। अगर देखा जाए तो शुरूआती दौर से ही बहुजन समाजवादी पार्टी की दावेदारी मेरठ में मजबूत रही है। वहीं समाजवादी पार्टी को विधानसभा में मिली जीत से एक नई किरण नजर आ रही है।

    भाजपा अपने संकल्प पत्र के जरिए मेरठ की जनता को लुभाने में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में अपने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर भाजपा को निकाय चुनाव में बहुमत मिला तो पार्टी नगरीय क्षेत्रों का विकास नए सिरे से करेगी। आपको बता दें कि मेरठ का क्षेत्रफल 141 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ की कुल जनसँख्या 13,09,023 है जिसमें से 63% हिंदू और 34.43% मुस्लिम है। यहाँ की साक्षरता दर 74.80% है वहीं लिंग अनुपात 886 है।

    सियासी पंडितों का मानना है कि भाजपा जैसा पहले सोच रही थी अब वैसा कुछ नहीं होगा। अगर बसपा चुनाव मैदान में नहीं होती तो इसका फायदा बीजेपी को जाता लेकिन अब वैसा कुछ भी नहीं होगा। इसके पहले चुनाव में हिंदुत्व का मुद्दा बनाकर बीजेपी अपने आप को पेश करती थी, लेकिन निकाय चुनाव में यह बँटता दिख रहा है। यादव समुदाय समाजवादी पार्टी का दामन नहीं छोड़ने वाला और मुस्लिमों का भी समर्थन मिलना निश्चय है। उधर बसपा के साथ अनुसूचित जाति का साथ और पिछड़े मुस्लिमों का भरोसा है। इन दोनों पार्टियों के चलते भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे को उठाना चाहेगी।

    वैसे देखा जाए तो भाजपा की तरफ से कोई बड़े चेहरे इस चुनाव में प्रचार करते नहीं दिख रहे हैं। पार्टी ने मुख्यमंत्री को निकाय चुनाव का कमान सँभालने को दे दिया है। सियासी पंडितों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव राज्य में मुख्यमंत्री की लोकप्रियता को दर्शाएंगे। एक तरफ योगी अपने हिंदुत्व वाले एजेंडे को बरकरार रखने तो दूसरी तरफ पार्टी के विकास को बताकर अपना काम निकलने की कोशिश में है। वहीं दूसरी पार्टियां योगी सरकार को जातिगत मुद्दों पर घेरना चाहती है। अब देखना यह है कि योगी मेरठ निकाय चुनाव में अपने पार्टी को कितना आगे तक ले जाते है। मेरठ शहर के मौजूदा मेयर भाजपा से है।