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    मिसाइल सौदा

    इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत को एक रक्षा निर्माण केंद्र बनाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के लिए इजरायल सरकार के साथ हुए 500 मिलियन डॉलर के सौदे को रद्द करने का निर्णय लिया है।

    रक्षा मंत्रालय की मंशा

    रक्षा मंत्रालय चाहता है कि स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को इजरायल से खरीदने के बजाय स्वदेश में ही निर्मित किया जाए। इसलिए अब मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) के निर्माण की जिम्मेदारी डीआरडीओ यानि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को दी गई है। हांलाकि इस मिसाइल डील की सारी प्रकियाएं पूरी हो चुकी थी, केवल हस्ताक्षर करना बाकी था।

    एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल

    आप को जानकारी के लिए बता दें कि इस मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के निर्माण से पहले भी डीआरडीओ देश को ‘नाग’ और ‘अनामिका’ जैसी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल दे चुका है। डीआरडीओ का कहना है कि इस मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को ​बनाकर वह देश को तीन से चार साल के भीतर सौंप देगा।

    डील रद्द करने का कारण

    इंडियन एक्सप्रेस को मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब भारत स्वयं ही अत्याधुनिक हथियारों का निर्माण करना चाहता है। यही नहीं इजरायल से एमपीएटीजीएम के आयात करने पर रक्षा मंत्रालय के स्वदेशी कार्यक्रमों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। स्वदेशी हथियार निर्माण में सक्षम होने के लिए भारत इजरायल डील को रद्द करने से पूर्व भी जेवेलिन एटीजीएम के लिए अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर चुका है।

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    मनोहर पर्रिकर को गोवा का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद वित्त मंत्रालय के साथ रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले अरूण जेटली ने 28 मई को कहा था कि बगदाद जैसी विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए कोई भी देश अपनी रक्षा आपूर्ति के लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं रह सकता है।

    उस दौरान जेटली ने यह भी कहा था कि हम अपने पड़ोसी नहीं बदल सकते, पिछले 70 सालों से हम विद्रोह और युद्ध का सामना करने आ रहे हैं। इसलिए भारत को एक महत्वपूर्ण रक्षा निर्माण केंद्र बनने की जरूरत है। दरअसल अरूण जेटली ने यह बात रक्षा संस्थान ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी (डीआईएटी) के 9वें दीक्षांत समारोह में कही थी।

    उन्होंने कहा कि देश में आईआईटी, डीआरडीओ जैसी विभिन्न संस्थाएं हैं, जो लक्ष्य हासिल करने में हमारी मदद कर सकती हैं। यह नया भारत पहले से ज्यादा आत्मविश्वासी और आॅफेन्सिव हो चुका है, यह अब पहले की तरह ‘डिफेंसीव इंडिया’ नहीं है। भारत अब नया ज्ञान प्राप्त करने तथा दुनिया को नई तकनीक देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। हमारे पास विशाल संसाधन है​, जिसका हमें उपयोग करना है।

    स्पाइक मिसाइल की खासियत

    भारत के पास अभी दूसरी पीढ़ी की ही एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल हैं जो रात के समय लक्ष्य भेदन में असमर्थ हैं, जबकि स्पाइक मिसाइल तीसरी पीढ़ी की बेहद खतरना​क मिसाइल है। स्पाइक मिसाइल ढाई किमी के रेंज में आने वाले दुश्मन के किसी भी ठिकाने को दिन हो या रात कभी भी तबाह कर कसती है।

    समय की मांग

    अभी थोड़े ही दिन पहले सेना मुख्यालय ने रक्षा मंत्रालय को लिखे पत्र में इस बात पर जोर दिया था कि हमें सीमा रेखा पर तैनात सैनिकों की ताकत बढ़ाने के लिए स्पाइक ​मिसाइलों की जरूरत है। ऐसे में हालिया तौर पर इजरायल के साथ स्पाइक मिसाइल डील के रद्द होने से कुछ सालों के लिए भारतीय सेना के आधुनिकीकरण पर थोड़ा प्रभाव पड़ सकता है।