सोमवार शाम को राष्ट्रपति चुनावों के बाद हुई बैठक में भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए दक्षिण में पार्टी के बड़े चेहरे वेंकैया नायडू के नाम पर मुहर लगा दी। नायडू इस सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं और अपने अभी तक के कार्यकाल में बहुत ही प्रभावी रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर विपक्ष को करारा जवाब दिया है और इसी वजह से वो मोदी सरकार के पसंदीदा हैं। उनकी उम्मीदवारी को दक्षिण में भाजपा के पाँव ज़माने की दिशा में एक अहम् कदम माना जा रहा हैं। राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं चाहें जो हो पर नायडू की उम्मीदवारी सर्वसम्मति से लिया गया एक प्रशंसनीय निर्णय हैं।
शुरुआती जीवन
वेंकैया नायडू का जन्म आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के चावतपालेम में 1 जुलाई 1949 को हुआ था। उनका पूरा नाम मुप्पावारपु वेंकैया नायडू है।उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा नेल्लोर के ही वी. आर. हाईस्कूल से की और वी. आर. कॉलेज से राजनीति शास्त्र और राजनयिक शिक्षा में स्नातक की उपाधि ली। वे विशाखापत्तनम में स्थित आंध्र विश्वविद्यालय के विधि महाविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विशेषता के साथ एल.एल.बी. ग्रेजुएट हैं।
वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय स्वयंसेवक की भूमिका में रह चुके हैं और कॉलेज के दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े रह चुके हैं। वह 1972 के जय आंध्र आंदोलन से सुर्ख़ियों में आये थे और 1974 में भ्रष्टाचार विरोधी जयप्रकाश नारायण छात्र संघर्ष समिति में आंध्र के संयोजक रह चुके हैं। वह इस समिति के आंध्र युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। आपातकाल के दौरान वो जेल भी जा चुके हैं।
राजनीतिक जीवन
एक छात्र नेता और एक राज नेता, दोनों भूमिकाओं में नायडू ने ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में किसानों और पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए बहुत कार्य किया है और उनकी यह विशेषता ही उन्हें एक लोकप्रिय नेता बनाती है। उनकी जमीन से जुड़ी राजनीति का ही परिणाम था कि उन्होंने 1978 में आंध्र प्रदेश की उदयगिरि सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और प्रतिनिधि चुने गए। शीघ्र ही वह दक्षिण में भाजपा के बड़े चेहरे बनकर उभरे। दक्षिण भारत के इलाकों खासकर आंध्र , तेलंगाना और तमिलनाडु में उनकी बिरादरी बड़ी संख्या में मौजूद हैं और उन्होंने हर स्तर पर अपने तबके का प्रतिनिधित्व भी किया है। यही वजह है कि उनका चुनाव भाजपा का जनाधार बढ़ाने में अहम् भूमिका अदा कर सकता है।
राज्यसभा का है लम्बा अनुभव
वेंकैया नायडू पिछले चार बार से राज्यसभा सांसद हैं और उन्हें राज्यसभा की कार्यप्रणाली का लम्बा अनुभव है। उनके अंदाज की विरोधी दलों के नेता भी प्रशन्सा करते हैं और ऐसे में वे राज्यसभा में भाजपा का पक्ष मजबूत करेंगे। निश्चित रूप से उनका चुनाव मंत्रिमण्डल को कमजोर करेगा क्यूँकि कई मौकों पर वो सरकार के लिए संकटमोचक बन कर उभरे हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में वेंकैया नायडू ग्रामीण विकास मंत्री की भूमिका अदा कर चुके हैं और वर्तमान सरकार में भी उन्होंने शहरी विकास मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर कार्य किया है। ऐसे में उनकी राजनीतिक समझ पर कोई सवाल उठाना निरा मूर्खता होगी और उनकी दावेदारी को गलत कहना अनुचित होगा।
संघ की पसंद है, पहली बार दिखेगी त्रिमूर्ति
वेंकैया नायडू की उम्मीदवारी पर संघ की भी मुहर लग चुकी है। नायडू पहले संघी रह चुके हैं और उनका चुनाव देश के तीन सर्वोच्च पदों पर तीन संघियों को विराजमान कर देगा। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हिन्दू राष्ट्र की कल्पना को चरितार्थ करता कदम दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व में संघ कार्यकर्ता रह चुके हैं और संभावित राष्ट्रपति भी स्वयंसेवक रह चुके हैं। ऐसे में वेंकैया नायडू की उम्मीदवारी दक्षिण में भाजपा का जनाधार बढ़ने के साथ-साथ भाजपा के आधार स्तम्भ सवर्णों के वोटबैंक में उसकी पकड़ को और मजबूत करेगी।