अयोध्या में कई दशकों से चल रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर बनी फिल्म “राम जन्मभूमि” भी विवादों में फंस गयी है। इसकी रिलीज़ पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की गयी है जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि फिल्म किसी भी तरह से अयोध्या में विवाद को सुलझाने के लिए लेकरचल रही मध्यस्थता को प्रभावित नहीं करेगी।
जस्टिस एस.ए बोबडे और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की बेंच ने ऐसा कहा जब उन्होंने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से मना कर दिया जिसमे इलज़ाम लगा था कि फिल्म से सांप्रदायिक हमले होंगे और इससे फैज़ाबाद में चल रही मध्यस्थता प्रभावित होगी।
ये आंकलन करते हुए कि फिल्म निराशावादी नहीं है, कोर्ट ने कहा कि अगर पार्टियां विवाद सुलझाना चाहती हैं तो कोई भी फिल्म उनके रास्ते में नहीं आएगी।
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याचिकाकर्ता प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी जो खुद को अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फर का वंशज होने का दावा करता है, उनकी तरफ से पेश हुए वकील लिली थॉमस जिन्होंने याचिका दर्ज़ कराई थी, उसकी सुनवाई करते वक़्त बेंच ने सवाल किया-“क्या आपको लगता है कि एक फिल्म मध्यस्थता के परिणाम को प्रभावित करेगी अगर पार्टियां इसे सुलझाना चाहती हैं?”
जब दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग को ठुकरा दिया तो तुसी ने टॉप कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एफ.एम.आई कलीफुल्ला के नेतृत्व में चलने वाला पैनल जिसके ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ संस्थापक श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू सदस्य हैं, वह वर्तमान में फैज़ाबाद में विवादास्पद विवाद के कुछ सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए मध्यस्थता कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का आदेश दिया था और पैनल ने 13 मार्च को अपने प्रयास शुरू कर दिए।
अब फिल्म की बात की जाये तो, इसका निर्देशन सनोज मिश्रा ने किया है जिसमे मनोज जोशी और गोविन्द नामदेव मुख्य भूमिका निभाते दिखाई देंगे।