अमेरिका के रक्षा उप सचिव रैंडाल स्क्रीवर ने कहा कि “रूस की एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम के विकल्प के लिए भारत के साथ अमेरिका कार्य कर रहा है।” वांशिगटन के मुताबिक रूस के साथ 5.4 अरब डॉलर के समझौते पर अमेरिका नई दिल्ली को कोई सज़ा नहीं देगा।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक इंडो पैसिफिक में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों की सुनवाई के दौरान आर्म्ड फाॅर्स कमिटी के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि “अगर वह इस समझौते कोई जारी रखते हैं तो यह बेहद खेदजनक होगा। हम उन्हें वैकल्पिक मार्ग चुनते हुए देखने के इच्छुक है। हम उन्हें क्षमतावान विकल्प मुहैया करने के लिए कार्य कर रहे हैं।”
इंडो पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल फिलिप डेविडसन ने भी भारत को अमेरिकी रक्षा उपकरण खरीदने की सलाह दी है। स्क्रीवर ने कहा कि “रूस के साथ एस-400 डील पर कास्टा के प्रतिबंधों की दण्डात्मक तलवार लटक रही है। लेकिन हम इस पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे क्योंकि भारत हमारे लिए एक उभरता हुआ साझेदार है। यह कानून भारत के साथ उभरती हुई रणनीतिक साझेदारी में बाधा के लिए नहीं बनाया गया था। यह रूस के लिए तय किया गया था।”
साल 2017 में अमेरिकी चुनावों में रूस की दखलंदाज़ी के कारण द्विदलीय सहयोग के साथ रूस के खिलाफ कास्टा कानून पारित किया गया था। इसके तहत रुसी रक्षा उपकरणों को खरीदने वालों पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है।
डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि ने पूछा कि अब नई दिल्ली रूस से एस-400 को खरीद और रुसी परमाणु पनडुब्बी को किराये पर खरीद रही है, तो क्या इससे भारत और अमेरिका के सम्बन्ध भी प्रभावित होंगे। स्क्रीवर ने कहा कि “एस-400 का अनुबंध नहीं हुआ या पूरा नहीं हुआ है। चीन इंडो-पैसिफिक में चुनौती दे रहा है और अमेरिका कड़ा जवाब दे रहा है। महान ताकत के रूप में उभरने की प्रतिद्वंदता को अगर सावधानीपूर्वक व्यवस्थित नहीं किया गया तो खुले और मुक्त इंडो पैसिफिक पर चुनौती की स्थिति बन जाएगी जो शांति और समृद्धता के लिए घातक होगी।”
आर्म्ड सर्विस कमिटी के अध्यक्ष एडम स्मिथ ने कहा कि “भारत के साथ संबंधों में सुधार बीते कुछ वर्षों में विदेश नीति का सबसे प्रमुख सकारात्मक विकास है। मुझे उम्मीद है हम इसका निर्माण और सुधार करेंगे।”
स्क्रीवर ने कहा कि “यह साझेदारी का बेहतरीन उदाहरण है जिसमे हम बहुत अधिक निवेश कर रहे हैं। सितम्बर में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच हुई 2+2 वार्ता ने रक्षा क्षेत्र में सबंधों को काफी कामयाबी दी है।” इस मुलाकात के दौरान कम्युनिकेशन कैपबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये गए थे।
उन्होंने कहा कि “हम उनकी गुटनिरपेक्ष नीति का संरक्षण करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। सामरिक और तकनीकी क्षमता से हम सैन्य क्षेत्र में संबंधों को अधिक मज़बूत कर सकते हैं। दक्षिण एशिया में हम श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और मालदीव के साथ साझेदारी को उभार रहे हैं। भारत और जापान के साथ मालाबार अभ्यास हमारे त्रिपक्षीय संचालन की क्षमता को बढ़ाने का बेहतरीन मौका है।”