इतने लम्बे संघर्ष के बाद, आखिरकार बॉलीवुड लीजेंड दिलीप कुमार को राहत मिल ही गयी। 2006 के संपत्ति विवाद मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनका साथ दिया है। कल, सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया जिसने पूर्व अभिनेता को अपनी पाली हिल संपत्ति पर एक बिल्डर के साथ विवाद में 25 करोड़ रुपये की सुरक्षित संपत्ति देने का निर्देश दिया था।
बिल्डर ने 2006 में मुंबई के बांद्रा में अपने बंगले के पुनर्विकास के लिए एक समझौते से बाहर होने के लिए उसे क्षति के रूप में अभिनेता से 176 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह हाईकोर्ट के जज बर्गेस कोलाबावाला ने कहा है:
“किसी भी कोण से इसे देखते हुए, न्यायाधिकरण का कुमार को निर्देश पूरी तरह से अनुचित था कि वह एक संपत्ति के कब्जे के साथ विच्छेद या एनकाउंटर या भाग नहीं लेंगे, जो 25 करोड़ रुपये की सीमा तक मध्यस्थता का विषय-वस्तु था जबतक कार्यवाही संपन्न होती है।”
प्रसिद्ध अभिनेता 2006 में कानूनी मुसीबत में फंसे थे जब उन्होंने शरयांस डेवेलपर्स के साथ पाली हिल घर को सुधारने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। मगर 2010 में, डेवेलपर्स ने सौदा प्राजिता डेवेलपर्स नाम के अन्य डेवलपर को दे दिया। चूँकि, दिलीप कुमार इस फैसले से खुश नहीं थे, वह 2015 में पीछे हट गए जिसके बाद प्राजिता डेवेलपर्स ने कानूनी रास्ता अपनाया और मध्यस्थता खंड का आह्वान किया।
बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई होने के बाद, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। उसने अभिनेता को बिल्डर को 20 करोड़ रूपये देने के लिए कहा मगर बिल्डर ये पैसे दिलीप कुमार को पाली हिल संपत्ति देने के बाद ही ले पाते।
बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण को ये देखने के लिए नियुक्त किया कि कई अनुबंध का उल्लंघन तो नहीं हुआ है। फिर अभिनेता को 25 करोड़ रूपये देने के लिए कहा गया जिसे अब बॉम्बे होग़ कोर्ट ने रद्द कर दिया है।