नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भारत का सबसे ज्यादा व्यस्त रेलवे स्टेशन मान जाता है और नियमित रूप से यहाँ से सैकड़ों ट्रेन आती जाती है। व्यस्तता और बड़ी संख्या में ट्रेनों के गुजरने के कारण इस स्टेशन में प्रवेश करने से पहले एक क्रासिंग पर रुकना पड़ता है। राजधानी एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों को भी ऐसा ही अनुभव मिलता है।
हालांकि जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए रेल फ्लाईओवर बनाने की एक योजना पेश की है। इसके अंतर्गत करीब 250 ने रेल फ्लाईओवर बनाए जायेंगे जिससे ट्रेनों की आवाजाही में तेजी बढ़ेगी।
रेल फ्लाईओवर से होंगे ये फायदे :
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यदि रियाल फ्लाईओवर बन जाते हैं तो इससे कई फायदे होंगे। इनमे से सबसे बड़ा फायदा यह होगा की ट्रेनों को स्टेशन पर आने से पहले इंतज़ार नहीं करना होगा। जब रिल्वय फ्लाईओवर होगा तो वह बिना रुके सीधे अपने निर्धारित प्लेटफार्म पर जा पायेंगे। इससे परिवहन की गति तेज होगी और यात्रियों को असुविधा नहीं होगी।
भारत में ट्रेनों की आवाजाही को तेज करने के उद्देश्य से, भारतीय रेलवे क्रॉउसवर्स में ट्रेनों की गति को मौजूदा 15 किमी प्रति घंटे से 30 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए भी मुस्तैद है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा था।हालांकि, इस परिवर्तन को सिग्नलिंग प्रक्रिया में परिवर्तन की आवश्यकता होगी।
रेलवे की अन्य योजनाएं :
हाल ही की दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुल बनाने की योजना पेश करने से पहले, 2017 में, भारतीय रेलवे ने उत्तर प्रदेश के इटावा में 10.978 किलोमीटर लंबे रेल फ्लाईओवर के निर्माण का निर्णय लिया था। भारतीय रेलवे ने तब कहा था कि इटावा के इस फ्लाईओवर से यात्री ट्रेनों की समयबद्धता में सुधार करने और हावड़ा- कानपुर-नई दिल्ली, इटावा-आगरा और इटावा- मैनपुरी जैसे मार्गों को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी। परियोजना की कुल लागत 894.47 करोड़ रुपये आंकी गई थी और इसके 2020-21 तक पूरा होने का अनुमान है।
भारतीय रेलवे ने हाल के वर्षों में वंदे भारत ट्रेन 18 और गतिमान एक्सप्रेस जैसी तेज़ ट्रेनों की शुरुआत करके भारत में दो गंतव्यों के बीच यात्रा-समय में कटौती करने की कोशिश की है ताकि लोग उड़ानों के बजाय ट्रेनों का चयन करें।