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    चीन और पाकिस्तान

    चीन अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान को बीते एक दशक में मज़बूती प्रदान कर रहा है, वह इस्लामबाद का प्रमुख हथियार निर्यातकं बनकर उभर रहा है। साथ ही पाकिस्तान को जटिल सैन्य अभ्यास में प्रशिक्षण साझेदार भी बन रहा है। इसमें हवाई युद्ध के लिए आधुनिक तकनीक भी शामिल हैं।

    पाकिस्तान को सबसे अधिक हथियार निर्यात करने में चीन ने अमेरिका को कब का पछाड़ दिया है और आगामी वर्षों में यह साझेदारी अधिक मज़बूत होगी। बीते वर्ष बीजिंग ने आधिकारिक रूप से सबसे बड़ी रक्षा डील की घोषणा की थी। यह समझौता 4 अरब डॉलर का है, जिसमे पाकिस्तान को आठ नयी पनडुब्बियां सप्लाई करनी है।

    बीते सप्ताह चीन ने एक बार फिर पाकिस्तान को अपना ‘आयरन ब्रदर’ कहा था, जो दोनों देशों के करीबी रिश्ते को दर्शाता है। दोनों राष्ट्रों के संबंधों में मज़बूती तब आयी जब चीन ने पाकिस्तान के परम्परागत हथियार मुहैया करने वाले अमेरिका को पीछे छोड़ दिया था।

    आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान हथियारों को खरीदने में म्यांमार और बांग्लादेश का जैसी रणनीति अपना रहा है क्योंकि म्यांमार और बांग्लादेश चीन से सबसे बड़े हथियार खरीदने वाले देशों में शुमार है।

    पाकिस्तान द्वारा नए हथियारों को चलने में सक्षम बनाने के लिए चीन ने कई प्रमुख युद्ध खेलों में प्रशिक्षण दिया है। हाल ही में हुआ अभ्यास शाहीन-iv था। यह वायुसेना का अभ्यास था जिसके लिए न सिर्फ लड़ाकू विमान भेजा था बल्कि एयरक्राफ्ट भी भेजा था।

    आंकड़ों के मुताबिक चीन ने बीते 10 वर्षों में 6.4 अरब डॉलर के हथियार पाकिस्तान को मुहैया किये थे। इस दौरान अमेरिका दूसरे पायदान पर खिसक गया है और 2.5 अरब डॉलर के हथियार निर्यात किये थे। इटली ने पाकिस्तान को 47.1 करोड़ डॉलर के हथियार निर्यात किये थे।

    चीन खुद को सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बताता है और पाकिस्तान उसके हथियारों को खरीदने के लिए सबसे प्रमुख देश है। बीते एक दशक में चीन के हथियारों को निर्यात करने का सबसे प्रमुख गंतव्य पाकिस्तान बना है। इसके बाद बांग्लादेश और भारत का पड़ोसी देश म्यांमार है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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