शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर सर्वदलीय बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में राजनाथ सिंह के अलावा सत्ता पक्ष से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री अरुण जेटली, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश सचिव और गृह सचिव भी शामिल हुए। विपक्ष के नेताओं में कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और आनंद शर्मा मौजूद थे। इनके अलावा इस सर्वदलीय बैठक में सपा, बसपा, लेफ्ट, जेडीयू, डीएमके, एआईडीएमके, तृणमूल कांग्रेस समेत कुल 14 दलों के 19 अन्य नेता भी उपस्थित रहेे।
आगामी 17 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले डोकलाम सीमा विवाद और अमरनाथ यात्रियों पर हमले की घटनाओं को लेकर सरकार ने विपक्ष को विश्वास में लेने के लिए यह सर्वदलीय बैठक बुलाई थीे। इसपर विपक्ष ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी हैे। विपक्षी नेताओं ने कहा कि वे आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता से परे देश की एकता और अखण्डता के किसी भी मुद्दे पर सरकार के साथ हैं।
यह बैठक तीन घंटे से ज्यादा देर तक चली जिसमें गृह सचिव राजीव गौबा ने अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले को प्रेजेंटेशन के माध्यम से समझाया। उन्होंने मौजूदा परिस्थिति और सुरक्षा इंतजामों के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
बातचीत है प्रभावी रास्ता : गुलाम नबी आज़ाद
बैठक में मौजूद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि अमरनाथ यात्रियों पर हमला लोगों की धार्मिक भावनाओं पर बड़ी चोट थी जिसकी देश के हर कोने में निन्दा हुई। उन्होंने बातचीत की जरुरत पर जोर देते हुए कहा कि बंदूकों से कश्मीर समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता। सरकार को लोगों से बात करनी होगी और सीमापार से वार्ता कर इस मुद्दे का कोई स्थायी हल निकालना होगा।
पाँव पसार रहा है ड्रैगन
डोकलाम में जारी सीमा विवाद पर विदेश सचिव एस जयशंकर ने अपने प्रेजेंटेशन में कहा कि चीनी सेना की हरकतें इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि ड्रैगन अपने पाँव पसारने को बेताब है। उन्होंने इस चीनी कदम को खतरनाक बताते हुए कहा कि यह उत्तर-पूर्व में उसकी भारत को घेरने की साजिश है। उन्होंने तीनों सेनाओं की स्थिति भी स्पष्ट की।
सरकार की तरफ से तीनों मंत्रियों ने सेनाओं की तैयारी और स्थिति स्पष्ट करते हुए विपक्ष को आश्वस्त किया। दरअसल सरकार इस कोशिश में लगी है कि आने वाले मानसून सत्र में विपक्ष इन अतिसंवेदनशील मामलों पर उसे सदन में ना घेरे।