जम्मू-कश्मीर के जमात-ए-इस्लामी संगठन पर पांच साल तक का प्रतिबंध लगाने की घोषणा होने के कुछ घंटों बाद ही पूरे प्रदेश में हुर्रियत नेताओं ने इस बैन के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरु कर दिया है। इस आदेश के खिलाफ श्रीनगर व दक्षिण कश्मीर के अंंनतानाग शहर में लोगों ने जुलूस निकाले।
अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक, यासीन मलिक और सैयद अली गिलानी ने संयुक्त रुप से पांच साल के प्रतिबंध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। प्रदर्शनकारियों ने इस प्रतिबंध को संविधान के विरोध बताया है। मीरवाइज उमर फारुक ने ट्वीट कर लिखा कि,”शुक्रवार को मुझे मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए भी नहीं जाने दिया गया। तानाशाही अपने चरम पर है। जब से जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा हुई है तब से ज्यादातर शहरों में मस्जिदें बन कर दी गई हैं।”
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सहयोगी दल नेशनल कॉफ्रेंस व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों ने ही सरकार के इस बैन के विरोध में आवाज उठाया है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर लिखा कि,”लोकतंत्र में विचारों का टकराव होता है लेकिन किसी राजनीतिक पार्टी पर प्रतिबंध लगाना निंदनीय काम है। भारत सरकार अपने विचार दूसरों पर थोप रही है। यह बैन एक और उदाहरण है कि किस तरह सरकार बल का प्रयोग करके जम्मू-कश्मीर के हालात नियंत्रित करना चाहती है।”
आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का हवाला देते हुए गुरुवार को सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर पांच सालों का प्रतिबंध लगा दिया था।
बीते शनिवार से पुलिस, सीआरपीएफ व एनआईए के अधिकारियों ने लगभग 400-500 जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को जेल में डाल दिया था। जिसमें पार्टी के मुख्य अब्दुल हामिद फैयाज, प्रवक्ता जाहिद अली और पूर्व सचिव गुमाल कादिर लोन भी शामिल थे। इसके अलावा कई नेताओं के घर पर छापेमारी भी की गई। जमात-ए-इस्लामी की ओर से जारी एक बयान में उन्होंने इसे एक “सोचा-समझा षड़यंत्र” बताया है।