अमेरिका के सैनिक वर्षों से अफगानी सरजमीं पर तैनात है और पेंटागन की नयी नीति के मुताबिक साल 2024 तक वे अपनी सरजमीं पर लौट जायेंगे। न्यूयोर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार तालिबान और अमेरिका के मध्य वार्ता को फलदायी मन जा रहा है। इस नीति के तहत अफगानिस्तानी सरजमीं में तैनात 14000 सेनिकों में से आधों को वापस बुलाने की बात हुई थी।
नाटो द्वारा मान्यता प्राप्त इस नीति के तहत अफगानिस्तान में तैनात 8600 यूरोपीय और अन्य देशों के सैनिकों का कार्य़ अफगानी सैनिको को प्रशिक्षित करना होगा, जिससे अमेरीकी सेना आतंकवादी विरोधी अभियान में जुट जाएगी। पेंटागन के प्रवक्ता कोन फॉकनर ने स्पष्ट कर दिया है कि, अभी शांति वार्ता जारी है इसलिए कोई फैसला नहीं लिया गया है और अमेरिका सेना की तैनाती और संख्या पर विचार कर रहा है।
अमेरिका के अधिकारियों की शांति वार्ता के लिए तालिबान के प्रतिनिधियों से बातचीत जारी है, जिससे 17 वर्ष के विवाद के थमने के आसार बढ़ गए हैं।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सीरिया से सेना को वापस आने के आदेश दिए है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस जंगी सरजमीं पर हमने आईएसआईएस को खदेड़ दिया है। अधिकारीयों के मुताबिक अमेरिकी सेना इस आदेश का जल्द पालन कर रही है।
हाल ही में यूएई में तालिबान प्रतिनिधियों ने अफगान सरकार के अधिकारीयों, अमेरिकी राजदूत व अन्य लोगों से शांति के बाबत बातचीत की थी। साल 1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार रही थी। केवल सऊदी अरब, यूएई और पाकिस्तान ने तालिबान की सरकार को मान्यता दी थी।
नवम्बर में नाटो के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अशरफ गनी की सरकार का प्रभाव या नियंत्रण 65 फीसदी जनता पर है लेकिन अफगानिस्तान के 407 जिले ही अफगान सरकार के पास है। तालिबान के दावे के मुताबिक वह देश के 70 फीसदी भाग पर नियंत्रण करता है।