CMIE : सेन्टर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बेरोजगारी का आलम यह है कि इस देश मे 45 करोड़ लोगों ने निराश और हताश होकर नौकरी की तलाश करना ही बंद कर दिया है।
भारत की कुल आबादी में लगभग 90 करोड़ जनसंख्या काम या नौकरी करने की कानूनी रूप से निर्धारित उम्र (Legal Working Age) 15 – 64 वर्ष के दायरे में आता है।
इस लिहाज़ से 45 करोड़ की उपरोक्त संख्या कुल लीगल वर्किंग एज़ (Legal Working Age) जनसंख्या का आधा है। यह संख्या रूस और अमेरिका जैसे बड़े देशों की कुल जनसंख्या के बराबर है।
5 सालों में LPR में 6 % की गिरावट : CMIE
CMIE के मुताबिक 2017 से लेकर 2022 के बीच कुल “श्रम भागीदारी दर (Labor Participation Rate- LPR) 46% से गिरकर 40% पर आ गई है। महिलाओं के संदर्भ में यह आंकड़ा और भी चिंतनीय है। लगभग 2.1 करोड़ महिलाओं ने नौकरियां दी है जिससे देश की आबादी में 49% भागीदारी रखने वाली महिलाओं का लेबर पार्टिसिपेशन दर मात्र 9% रह गया है।
महिलाओं के द्वारा इतनी बड़ी संख्या में नौकरी छोड़ने की वजह यह है कि उनकी नौकरियां उनके माकूल नही होती। साथ ही महिलाओं के ऊपर शादी या मातृत्व जैसी पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन होता है जिस से महिला LPR में गिरावट दर्ज की जा रही है। महिलाओ द्वारा नौकरी छोड़ने की वजह में सामाजिक सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण कारण है।
EPFO और ESIC से जुड़े लोगों की संख्या में भी गिरावट
फरवरी महीने में EPFO से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या 8.40 लाख रही जबकि 9.35 लाख लोग EPFO से बाहर हो गए। ESIC से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या फरवरी में 3.3% घटी जबकि NPS में जुड़ने वाले सदस्यों की संख्या भी 0.59% घटी।
इन आंकड़ों का साफ मतलब है कि लोगों के पास आय के स्रोत घट गया है या फिर साथ ही लोगों के पास नौकरियां नहीं बची है।
बढ़ रही है आर्थिक असमानता
अंग्रेजी की प्रतिष्ठित समाचार पत्रिका Business Standard में छपे अभिलेख में अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू के अनुसार भारत अपने युवा श्रम शक्ति का फ़ायदा उठाने में नाकामयाब रहा है और इसलिए भारत मिडिल-इनकम वाला देश ही बना रहेगा। भारत मे रोजगार की समस्या अभी जिस तरह से है, इसमें K-shape विकास ही संभव होगा। इस वजह से देश मे आर्थिक असमानता और बढ़ेगी।
K- Shape मे अमीरो की आय तेजी से बढ़ती है जबकि माध्यम या निम्न आय वालों के आय में उतना इज़ाफ़ा नहीं होता। इस से समाजिक असमानता तेजी से बढ़ती है।
कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि आज जब भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी युवा श्रम-शक्ति है, देश मे बेरोजगारी उस मुक़ाम पर है कि हम इस युवा शक्ति की उर्जा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। देश का युवा उम्रदराज भी हो रहा है और रोजगार के अवसर भी कम हो गए हैं।
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