Sat. Nov 23rd, 2024
    ट्विटर

    देश में अगले वर्ष यानि वर्ष 2019 में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में वर्ष 2014 के चुनाव की तरह ही इस बार भी चुनाव प्रचार के लिए इंटरनेट का पूर्ण इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसे में देश में एक निर्धारित प्रोपगंडा के चलते गलत या भ्रामक खबरों का भी बोलबाला रहने की पूरी संभावना है। इसे रोकने के संबंध में अब ट्वीटर ने बड़ी घोषणा की है।

    ट्वीटर के सह संस्थापक व सीईओ जैक डोरसे ने बताया है कि वर्ष 2019 के आम चुनाव में झूठी खबरों को रोकने के लिए ट्वीटर ‘बहु स्तरीय’ रणनीति का इस्तेमाल करेगा।

    डोरसे ने ये बातें आईआईटी दिल्ली में चल रहे एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए कहीं है। डोरसे के अनुसार ‘झूठी खबरों’ का दायरा बहुत बड़ा है।

    यह भी पढ़ें: चुनावों में फेक न्यूज को रोकने के लिए फेसबुक व ट्विटर की मदद लेगा चुनाव आयोग

    जैक के अनुसार ‘गलत जानकारी का होना कोई बड़ी बात नहीं है, इस तरह से तो चुटकुलों में भी गलत जानकारी परोसी जाती है, लेकिन किसी निश्चित उद्देश्य के साथ ऐसी जानकारी को फैलाना मुख्य समस्या है।’

    डोरसे ने बताया है कि इसे रोकने के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं अपनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए पहले से तैयार रहना होगा।

    ट्वीटर के सह संस्थापक इसके पहले भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस के मुखिया राहुल गांधी व तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात कर चुके हैं। राहुल गांधी के साथ हुई इनकी मुलाक़ात का मुख्य उद्देश्य ‘फेक न्यूज़’ को रोकने को लेकर चर्चा करना रहा है।

    यह भी पढ़ें: अब सड़क पर प्रदर्शन कर फेक न्यूज़ के बारे में जागरूकता फैला रहा है व्हाट्सएप

    इसी के साथ डोरसे इसी हफ्ते देश के आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद से मिलने वाले हैं। इस मुलाक़ात का भी मुख्य उद्देश्य ‘झूठी खबरों’ को रोकने की रणनीति पर काम करना माना जा रहा है।

    मालूम हो कि फेसबुक के ही साथ ट्वीटर पर भी ‘फेक न्यूज़’ फैलाने को लेकर काफी आरोप लगते रहे हैं। इस वक़्त देश के 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, इन राज्यों में भी सोशल मीडिया के जरिये ‘फेक न्यूज़’ फैलाये जाने की कई घटनाएँ सामने आई हैं।

    गौरतलब है कि नाइट फ़ाउंडेशन ने अक्टूबर माह में अपनी एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया था कि वर्ष 2016 में अमेरिकी आम चुनाओं के दौरान ‘झूठी खबर’ फैलाने वाले ट्वीटर अकाउंट में से 80 प्रतिशत अकाउंट अभी भी सक्रिय स्थिति में हैं।

    यह भी पढ़ें: फ़ेक न्यूज़ पर सिंगापुर लाने जा रहा है कड़ा कानून, भारत भी कर सकता है ऐसी पहल

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *