ग्रेफाइट (Graphite Information in Hindi)
ग्रेफाइट कार्बन के क्रिस्टलीकरण होने के बाद उसका प्राप्त प्रारूप है। इसको ब्लैक lead के रूप में भी जाना जाता है। ग्रेफाइट में कार्बन की मात्रा 95% से अधिक रहती है। इसको कोयले के सबसे बेहतर श्रेणी में भी रखा जाता है। कार्बन के ज्यादातर प्रारूपों की तरह ग्रेफाइट ज्वलनशील नहीं होता।
यह मेटामॉरफिक एवं ज्वलनशील पत्थरों में भी पाए जाते हैं। इसकी सतह बहुत मुलायम होती है एवं इसके अंदर बहुत कम दबाव देखने को मिलता है। ऊष्मा के साथ इसकी कोई प्रक्रिया नहीं होती क्योंकि यह उनका प्रतिरोधी है।
जहाँ ऊष्मा और दबाव के कारण पत्थरों (लाइमस्टोन एवं जैविक सहित शैल पत्थर) का रूपांतरण (metamorphism) हुआ हो, वहां ग्रेफाइट ज्यादा पाए जाते हैं जैसे की अभिसरित प्लेट वाले क्षेत्र (convergent plate boundaries)।
पत्थरों का रूपांतरण होने से संगमरमर, शीस्ट (एक प्रकार का परतदार पत्थर), शैल आदि का निर्माण होता है जिसके द्वारा ग्रेफाइट के क्रिस्टल बनते हैं। कुछ ग्रेफाइट कोयले के रूपांतरण से बनते हैं जिसे आकृतिहीन (amorphous) ग्रेफाइट कहा जाता है। यह एक अधातु (non metal) है एवं सिर्फ यही एक अधातु है जो बिजली का कंडक्टर है।
ग्रेफाइट का उपयोग (application of Graphite in Hindi)
प्राकृतिक ग्रेफाइट का उपयोग बैटरी, स्टील के उत्पादन, रिफ्रैक्टरी (आग को रोकने का साधन), लुब्रीकेंट आदि बनाने में होता है। सिंथेटिक ग्रेफाइट को बैटरी के एनोड को बनाने में उपयोग लाया जाता है। आधुनिक पेंसिल में ग्रेफाइट एवं क्ले का मिश्रण रहता है।
ग्रेफाइट का स्रोत (Source Countries of Graphite)
चीन (50%) के बाद भारत (20%) ग्रेफाइट का प्रमुख उत्पादक है। भारत में अरुणाचल प्रदेश (43%), जम्मू कश्मीर (37%), झारखण्ड (6%), तमिलनाडु (5%) एवं ओडिशा (3%) ग्रेफाइट के प्रमुख स्रोत हैं। ग्रेफाइट के फैक्ट्री उत्पादन में तमिलनाडु (37%), झारखण्ड (30%) एवं ओडिशा (29%) अव्वल हैं। झारखण्ड का पलामू शहर ग्रेफाइट उत्पादन में पूरे देश में अव्वल है।
हीरा (Diamond Facts in Hindi)
पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थों में हीरा सबसे कठोर है। यह पृथ्वी के मेंटल भाग में बनता है एवं ज्वालामुखी के सक्रिय होने पर पृथ्वी के क्रस्ट भाग में पहुँचता है। हीरे ज्वालामुखी द्वारा बने खाई में भी मिलते हैं।
हीरे में कार्बन की मात्रा पूरे 100% होती है। हीरा इतना सख्त होता है कि यह बिना टूटे बहुत सारे धातुओं को काट पाने में सक्षम है। इसके उपयोग आभूषण बनाने में, धातुओं के सतह को चमकाने में एवं आभूषणों को काटने में उपयोग होता है।
भारत में हीरों के खदान (Diamond Mines in India)
भारत में विंध्याचल क्षेत्र हीरा के खदानों के लिए जाना जाता है। यहाँ पन्ना एवं गोलकोंडा खदान मौजूद हैं जहां से हीरा निकलता है। मध्य प्रदेश का पन्ना क्षेत्र, अनंतपुर का वज्रकरुर क्षेत्र एवं आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के बेसिन में हीरे प्रमुख रूप से मिलते हैं। भारत में हीरा के रिज़र्व के रूप में सिर्फ पन्ना क्षेत्र एवं कृष्णा बेसिन ही दर्ज है।
कर्नाटक के गुलबर्ग-रायचूर क्षेत्र में हीरे के कुछ नए खदान मिले हैं। सूरत, अहमदाबाद, पालमपुर, नवसारी आदि शहरों में हीरों को काटने एवं चमकाने (polishing) का काम होता है।
अन्य देशों में हीरों के खदान (Diamond Mines in other Countries)
रूस, बोत्सवाना, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अफ्रीका, कांगो आदि देश प्राकृतिक हीरों के प्रमुख स्रोत हैं। USA में सिंथेटिक इंडस्ट्रियल हीरों का बड़े पैमाने पर निर्माण होता है। रूस में हीरा पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मात्रा में मिलता है।
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