वीरभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। सत्ताधारी दल कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा एक-एक कर अपने तरकश से सियासी तीर निकाल रहे हैं और सत्ता तक पहुँचने की हर मुमकिन राह तलाश रहे हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर अपने दिग्गज नेता और 6 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह पर भरोसा जताया है वहीं भाजपा ने 2 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल को अपना चेहरा बनाया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कल हिमाचल प्रदेश के रायगढ़ में बतौर प्रोजेक्टेड मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के नाम पर मुहर लगा दी थी। इसके साथ ही सियासी गलियारों में चल रहा अटकलों का दौर भी समाप्त हो गया था। अब सबकी नजरें इस ओर टिक गई हैं कि क्या धूमल हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सत्ता वापसी की राह तलाशने में कामयाब साबित होंगे?
हिमाचल भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा
प्रेम कुमार धूमल वर्तमान परिदृश्य में हिमाचल भाजपा के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं। वह पूर्व में 2 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राष्ट्रीय स्तर की पहचान रखते हैं। भाजपा के यूथ विंग भाजयुमो से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले प्रेम कुमार धूमल अपने शुरूआती दिनों में अध्यापन का कार्य करते थे। प्रेम कुमार धूमल 1982 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने थे। वर्ष 1984 में हमीरपुर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद धूमल ने 1989 और 1991 में हमीरपुर से लगातार 2 बार जीत दर्ज की। वर्ष 1996 में वह हमीरपुर की सीट हार गए थे। 90 के दशक में प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के सियासी पटल पर उभरे थे और उन्होंने राज्यस्तरीय राजनीति में कदम रखा था। वर्ष 1993 में जगदेव चन्द के आकस्मिक निधन के बाद धूमल हिमाचल भाजपा के सबसे बड़े चेहरों में से एक बन गए थे।
3 दशक से अधिक का सियासी अनुभव
अनुभव के मामले में प्रेम कुमार धूमल की टक्कर का कोई नेता आज हिमाचल भाजपा के पास नहीं है। हालाँकि हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार अनुभव के लिहाज से प्रेम कुमार धूमल पर भारी पड़ सकते है पर बीते काफी समय से उनकी राजनीतिक सक्रियता ना के बराबर है। इस लिहाजन धूमल को हिमाचल भाजपा सबसे सशक्त और लोकप्रिय चेहरा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। प्रेम कुमार धूमल के पास बतौर मुख्यमंत्री 10 वर्षों का अनुभव है।
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अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी और फिर 2008 में दुबारा मुख्यमंत्री बने। उनका दूसरा कार्यकाल 2012 तक चला था। हिमाचल प्रदेश के भाजपा संगठन में भी धूमल की अच्छी पकड़ है। ऐसे में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व धूमल के भरोसे एक बार फिर हिमाचल फतह करने का ख्वाब संजोये है।
सत्ता वापसी के लिए ताक पर ‘रूल 75’
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए कितने महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा आलाकमान ने सत्ता वापसी के अपने ‘रूल 75’ को ताक पर रख दिया है। अमित शाह ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रेम कुमार धूमल के नाम का ऐलान कर यह स्पष्ट कर दिया कि भाजपा सत्ता वापसी के लिए एक बार अपने सिद्धांतों से समझौता कर सकती है। प्रेम कुमार धूमल की आयु 73 वर्ष, 6 महीने है। चुनाव परिणाम की घोषणा के वक्त तक उनकी आयु 73 वर्ष, 8 महीने हो जाएगी। अगर भाजपा के ‘रूल 75’ के लिहाज से देखें तो बतौर मुख्यमंत्री उनके पास 16 महीने का समय होगा। सरकार बनने की सूरत में भाजपा 2 वर्ष के भीतर किसी नए चेहरे को हिमाचल की कमान सौंपेगी। इससे स्पष्ट है कि भाजपा धूमल की लोकप्रियता को हिमाचल में सत्ता वापसी का आधार बनाना चाहती है।
‘मिशन 2019’ पर नजर
2019 लोकसभा चुनावों से पहले देश में होने वाले सभी चुनाव भाजपा के लिए साख की लड़ाई बन चुके हैं। भाजपा के सामने इस बात की चुनौती है कि वह इन चुनावों को जीतकर देशवासियों को मोदी सरकार की लोकप्रियता बरकरार होने का मजबूत सन्देश दे। वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस हर मुमकिन तरीके से भाजपा का समीकरण बिगाड़ने में जुटी हुई है और भाजपा पर जीत हासिल कर लोकसभा चुनावों से पहले मनोवैज्ञानोइक बढ़त हासिल करने की जुगत में लगी है। 2014 में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने के बाद भाजपा आलाकमान और मोदी-शाह की जोड़ी पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करने का आरोप लगता आया है। इस वजह से कई मौकों पर मोदी सरकार को अपने वरिष्ठ नेताओं के कोप का शिकार होना पड़ा है। भाजपा हिमाचल में ऐसी किसी भी स्थिति से बचना चाहती थी और इसीलिए उसने बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार धूमल का नाम आगे किया है।
आसान होगी अनुराग की सियासी राह
बीते दिनों कई बार यह अटकलें उठी थी कि प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश में भाजपा का चेहरा हो सकते हैं। अनुराग ठाकुर हमीरपुर से लोकसभा सांसद है और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। लोकसभा में उनकी सक्रियता किसी से छिपी नहीं है और कई मौकों पर उन्होंने मोदी सरकार का पक्ष मजबूती से सदन में रखा है। अनुराग ठाकुर बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और राष्ट्रीय पहचान वाले नेता हैं। युवा वर्ग में उनकी लोकप्रियता से किसी को इंकार नहीं है। भाजपा हमेशा से ही भाई-भतीजावाद का विरोध करती है और अनुराग ठाकुर को चेहरा ना बनाए जाने के पीछे यही वजह बताई जा रही है। मुमकिन है आगामी लोकसभा चुनावों के वक्त धूमल हमीरपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ लें और अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश की कमान संभाल लें।
धूमल के सिर सज सकता है जीत का सेहरा
अगर हिमाचल प्रदेश में पिछले ढ़ाई दशकों के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो कोई भी दल लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आया है। भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर आसीन होती आई है। हिमाचल प्रदेश की राजनीति का रुख उस ऊँट की तरह है जो किसी भी करवट बैठ सकता है। यहाँ चुनाव परिणामों को लेकर किसी भी तरह के पूर्वानुमान और आंकलन गलत साबित होते रहे हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में बुनियादी ढांचों के विकास, सड़क निर्माण पर काफी जोर दिया था जिस वजह से वह ‘सड़क वाला चीफ मिनिस्टर’ उपनाम से विख्यात है। ओपिनियन पोल के रुझान हिमाचल विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका में बैठे धूमल के पक्ष में है और विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का सेहरा उनके सिर सज सकता है।