हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से मशहूर सोलन शहर में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है। सोलन की विधानसभा सीट पर चाहे बीजेपी जीते या फिर कांग्रेस जीते जश्न एक ही परिवार में मनाया जायेगा। दरअसल सोलन में ससुर-दामाद इस चुनाव में आमने सामने आ गए है। हिमाचल प्रदेश के सोलन में कांग्रेस से धनी राम शांडिल और उनके दामाद राजेश कश्यप भाजपा की तरफ से मैदान में है।
हिमाचल प्रदेश का सोलन औद्योगिक शहर होने के कारण राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा संख्या-53 में आने वाले सोलन की कुल जनसंख्या 1,20,238 है। इस बार के चुनाव में 80,192 मतदाता अपने मतों का प्रयोग करेंगे। हिमाचल प्रदेश के सोलन को ‘सोने की घाटी’ भी कहा जाता है। सोलन शहर अपने घने जंगलों और घने पहाड़ों के सुन्दर दृश्यों के लिए पूरे हिमाचल में मशहूर है। सोलन शहर में उद्योगों की संख्या भारी मात्रा में होने से यह क्षेत्र हिमाचल के लिए अर्थव्यवस्था के नजरिये से भी काफी महत्वपूर्ण है।
बराबर है भाजपा-कांग्रेस का पलड़ा
हिमाचल प्रदेश के सोलन को राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो यहां की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सोलन विधानसभा चुनाव में 1977 से अभी तक हुए 9 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 4 बार और भारतीय जनता पार्टी को 4 बार जीत मिली है। वही एक बार इस सीट से जनता पार्टी को जीत मिली है। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो यहां की जनता किसी पार्टी विशेष की बजाय क्षेत्रीय व्यक्तित्व पर भरोसा करती है, शायद इसी कारण से इस क्षेत्र से कोई भी नेता दो बार से ज्यादा अपनी सीट नहीं बचा पाया है। इस सीट पर बड़े-बड़े दिग्गजों को भी हार का मुँह देखना पड़ा है, चाहे वह भाजपा के राजीव बिंदल हो या फिर कांग्रेस की कृष्णा मोहिनी हो किसी की जीत बरकरार नहीं रही है।
वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस के धनी राम शांडिल का कब्जा है। धनी राम शांडिल राजनीति से पहले सेना में थे। धनी राम शांडिल्य सेना के कर्नल पद से सेवानिवृत होकर राजनीति में आये थे। जहां उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा था। धनी राम को कांग्रेस के कद्दावर दलित नेताओं में से एक माना जाता है। धनी राम 77 वर्षीय है और डोगरा रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे चुके है।
धनी राम एक सफल प्रत्याशी
कांग्रेस ने धनी राम के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें पुनः विधानसभा का टिकट दिया है। कांग्रेस के बैनर तले 13वीं लोकसभा में शिमला से वह उम्मीदवार बने थे। 2014 के लोकसभा चुनावों में धनी राम शांडिल ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था। धनी राम को विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाना कांग्रेस के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। 2012 में कांग्रेस ने इस सीट से जब उन्हें विधानसभा उम्मीदवार के रूप में उतारा था तो उन्होंने 10 साल से चले आ रहे भाजपा के विजय रथ पर लगाम लगाई थी। धनी राम के लगातार अच्छे प्रदर्शन से कांग्रेस ने उन्हें दोबारा अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि धनी राम के लिए अपनी जीत को कायम रख पाना कितना मुश्किल होगा।
राजेश है धनीराम के दामाद
भारतीय जनता पार्टी ने राजेश कश्यप को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। राजेश कश्यप पेशे से डॉक्टर है और इस चुनाव में वह अपने ससुर और कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल धनी राम के सामने उतरे है। राजेश कश्यप पिछले चुनावों में अपने ससुर कर्नल धनी राम के लिए वोट मांगते हुए देखे गए थे। इसी कारण से दोनों उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बच रहे है और एक दूसरे की कमियां गिनाने की बजाय अपनी-अपनी प्राथमिकताएं बताने में लगे हुए है।