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    हिमाचल प्रदेश चुनाव

    देशभर में सियासी बयार बह रही है। देश के कई राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है। इस वर्ष जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है उनमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश के नाम शामिल हैं। भाजपा के सामने अपना गढ़ गुजरात बचाने की चुनौती है वहीं गिने-चुने राज्यों में सत्ता पर काबिज कांग्रेस किसी भी हालत में हिमाचल प्रदेश की गद्दी छोड़ना नहीं चाहती है। चुनाव आयोग ने दोनों ही राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों के लिए तिथियों की घोषणा कर दी है। इन विधानसभा चुनावों को ‘मिशन-2019’ का आगाज माना जा रहा है। इस वजह से भाजपा और कांग्रेस चुनाव प्रचार में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं। इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आज हिमाचल प्रदेश के रायगढ़ में चुनावी रैली की। अमित शाह ने मंच से प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होने की घोषणा भी की।

    बीते कुछ समय में यह पहली बार है जब भाजपा ने चुनाव पूर्व किसी राज्य में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषण की हो। इससे पूर्व हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और गोवा विधानसभा चुनावों में भाजपा बिना किसी चेहरे के चुनावी मैदान में उतरी थी। भाजपा हिमाचल प्रदेश में सत्ता वापसी को लेकर कितनी सजग है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। बता दें कि चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के मतदान के लिए 9 नवंबर की तिथि निर्धारित की है वहीं नतीजों के घोषणा 18 दिसंबर को की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में पिछले 5 सालों से वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार है। कार्यकाल के दौरान वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और बीते कुछ दिनों से हिमाचल कांग्रेस इकाई में भी फूट के आसार नजर आ रहे थे।

    भाजपा के पक्ष में हैं रुझान

    हिमाचल कांग्रेस में उठे बगावत के सुरों का असर वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की लोकप्रियता पर भी पड़ा था। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह से उभरे मतभेदों को सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा था। वीरभद्र सिंह के पक्ष में लामबंद होकर हिमाचल कांग्रेस के विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखी थी। बाद में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने वीरभद्र सिंह को मनाया था और उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। मण्डी की रैली से राहुल गाँधी ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी अभियान का श्रीगणेश भी किया था। अगर ओपिनियन पोल के रुझानों पर यकीन करें तो हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती दिख रही है। ऐसे में भाजपा किसी भी तरह की कोताही बरतने के मूड में नजर नहीं आ रही है।

    शाह को है प्रचण्ड बहुमत मिलने का यकीन

    देश को भगवामय करने की राह में हिमाचल प्रदेश भाजपा के लिए एक अहम पड़ाव है। भाजपा नेतृत्व इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है और इसी वजह से भाजपा के शीर्ष नेता लगातार हिमाचल प्रदेश की ओर रुख कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज प्रेम कुमार धूमल की उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए कहा, “मुझे विश्वास हैं कि प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश में प्रचण्ड बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।” प्रेम कुमार धूमल इससे पूर्व 2 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। धूमल हिमाचल भाजपा के सबसे लोकप्रिय और सशक्त चेहरे हैं। अगर पीएम मोदी के ‘रूल 75’ की बात करें तो 2 साल बाद धूमल भी इस आयुसीमा को लांघ जाएंगे। इसके बावजूद भाजपा उन्हें आगे कर राज्य में उनकी लोकप्रियता को भुनाने का प्रयास कर रही है।

    हिमाचल में किसी भी करवट बैठ सकता है ऊँट

    हिमाचल प्रदेश की राजनीति का रुख उस ऊँट की तरह है जो किसी भी करवट बैठ सकता है। यहाँ चुनाव परिणामों को लेकर किसी भी तरह के पूर्वानुमान और आंकलन गलत साबित होते रहे हैं। अगर पिछले ढ़ाई दशकों के इतिहास पर नजर डालें तो बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर आसीन होती आई है। भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल 2 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश की 68 सीटों में से 36 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी वहीं भाजपा के हाथ 26 सीटें लगी थी। चुनावों के लिए राज्य में 7,521 मतदान केंद्र बनाए गए हैं और सभी जगह वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल होगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।