Wed. Jun 26th, 2024
    हिमाचल प्रदेश चुनाव

    हिमाचल प्रदेश के ठंडी वादियों में चुनावी गर्माहट घुल गई है। आगामी 9 नवंबर को प्रस्तावित हिमाचल विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दलों की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। सत्ताधारी दल कांग्रेस सत्ता में बने रहने की हरसंभव कोशिश कर रही है वहीं प्रमुख विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए जोर-आजमाइश कर रहा है। कांग्रेस ने 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके पार्टी के वरिष्ठम नेता वीरभद्र सिंह को अपना चेहरा बनाया है वहीं भाजपा ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को आगे किया है। वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण सीट अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए खाली कर दी है और सोलन जिले की अर्की सीट से दावेदारी पेश की है। वहीं भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने अपने गृह जनपद हमीरपुर की सुजानपुर सीट से दावेदारी पेश की है।

    प्रेम कुमार धूमल इससे पूर्व बामसन सीट से चुनाव लड़ा करते थे। यह पहली बार होगा जब प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर से चुनाव लड़ेंगे। सुजानपुर विधानसभा सीट प्रेम कुमार धूमल के गृह जनपद हमीरपुर में स्थित है। धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर पिछले 2 बार से लगातार हमीरपुर से सांसद हैं। इस वजह से धूमल को अपनी सीट पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत नहीं है। सुजानपुर में धूमल का चुनावी प्रचार अभियान उनके बेटे अरुण धूमल और उनके भतीजे अरविन्द धूमल संभाल रहे हैं। पिछले दिनों अनुराग ठाकुर भी सुजानपुर में अपने पिता के लिए वोट मांगते नजर आए थे। धूमल भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चुनावी रैलियां करने में व्यस्त हैं और सुजानपुर में प्रचार के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं। वह चुनावी प्रचार के अंतिम चरण में 6 और 7 नवंबर को सुजानपुर में रहेंगे और प्रचार करेंगे।

    वादियों में गूँजा ‘कांग्रेस मुक्त हिमाचल’ का नारा

    सुजानपुर में प्रेम कुमार धूमल का प्रचार अभियान संभाल रहे उनके पुत्र अरुण धूमल गाँव-गाँव जाकर लोगों से मिल रहे हैं और ‘कांग्रेस मुक्त हिमाचल’ बनाने का आह्वान कर रहे हैं। कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने के लिए वह ख़राब सड़कें और पेयजल समस्या जैसी जमीनी समस्याओं से जुड़े मुद्दे भी उठा रहे है। उनका कहना है कि हमीरपुर का कोना-कोना उन्होंने देखा है और छात्र जीवन से ही अपने पिता के लिए प्रचार कर रहे हैं। वीरभूमि कहे जाने हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में रक्षा सेवाओं से जुड़े लोग रहते हैं। जिस सुजानपुर से प्रेम कुमार धूमल ने दावेदारी पेश की है वहाँ रक्षा सेवाकर्मियों की बड़ी आबादी है। हमीरपुर से भाजपा सांसद और प्रेम कुनार धूमल के बड़े बेटे अनुराग ठाकुर भी गाँव-गाँव जाकर सैनिकों के परिवारों से मिल रहे हैं और केंद्र सरकार के ‘वन रैंक वन पेंशन’ का वादा दोहरा रहे हैं।

    सुजानपुर में महिला वोटरों की संख्या अधिक

    हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की सुजानपुर विधानसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 67,065 है।
    मतदाताओं में महिलाओं की संख्या 34,671 है। सुजानपुर में कुल 102 चुनाव बूथ बनाए गए है जहाँ 9 नवंबर को मतदान होगा। प्रेम कुमार धूमल के बेटे अरुण धूमल और भतीजे अरविन्द धूमल सुजानपुर में भाजपा की जमीन तैयार करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। दोनों गाँव-गाँव जाकर प्रतिदिन 10-12 बैठकें कर रहे हैं और दूर-दर्ज के क्षेत्रों में जाकर भी लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। हिमाचल भाजपा संगठन के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी गाँव-गाँव जाकर लोगों को मतदान के लिए जागरूक कर रहे हैं और सत्ताधारी कांग्रेस सरकार की असफलताएं गिना रहे हैं। अब सबकी नजर इस ओर टिकी है कि क्या बेटे और भतीजे द्वारा तैयार की गई सियासी बुनियाद पर प्रेम कुमार धूमल भाजपा का विजय पताका फहरा पाएंगे?

    धूमल के साथ है 35 सालों का सियासी अनुभव

    हिमाचल प्रदेश में जे पी नड्डा की उम्मीदवारी की आस पाले समर्थकों को उस वक्त झटका लगा जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। पिछले 2 सालों से भाजपा आलाकमान जिस तरह से नड्डा को हिमाचल प्रदेश में प्रोजेक्ट कर रहा था उसके बाद धूमल की उम्मीदवारी की घोषणा चौंकाने वाली बात थी। जे पी नड्डा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जे पी नड्डा की भी पहली पसंद माना जा रहा था। हिमाचल प्रदेश में पीएम मोदी और अमित शाह की रैलियों की जिम्मेदारी भी नड्डा के कन्धों पर थी। पर राज्य में सत्ता वापसी की कोशिशों में जुटे भाजपा आलाकमान ने ऐन वक्त पर व्यक्तिगत पसंद नड्डा की जगह सियासी समीकरणों में फिट बैठ रहे धूमल पर दांव खेला।

    धूमल की उम्मीदवारी के सियासी मायने

    अगर भाजपा हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने में सफल रहती है तो प्रेम कुमार धूमल के हाथ में मुख्यमंत्री पद की कमान होगी। मुमकिन है भाजपा सत्ता में आने के बाद हिमाचल प्रदेश में भी ‘रूल 75’ का पालन करे। ऐसे में तकरीबन डेढ़ वर्षों बाद धूमल की विदाई तय है। भाजपा उनकी जगह अपनी पहली पसंद जे पी नड्डा को हिमाचल प्रदेश सौंप सकती है और प्रेम कुमार धूमल को नड्डा की खाली की गई सीट से राज्यसभा भेज सकती है। 2019 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर हिमाचल प्रदेश के ‘किंग मेकर’ राजपूत समाज को साधने के लिए भाजपा आलाकमान प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर को मोदी मन्त्रिमण्डल में शामिल कर सकती है। अनुराग ठाकुर लगातार 2 बार से हमीरपुर से सांसद हैं और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।

    प्रेम कुमार धूमल
    धूमल की उम्मीदवारी के सियासी मायने

    अनुराग ठाकुर अब राष्ट्रीय पहचान वाले नेता बन चुके हैं और कई मौकों पर वह लोकसभा में मजबूती से मोदी सरकार का पक्ष रखते नजर आए हैं। हिमाचल प्रदेश में हालिया चुनाव प्रचार के दौरान अनुराग ठाकुर का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल है। भाजपा अनुराग ठाकुर को हिमाचल प्रदेश की जगह केंद्र में अधिक प्रोजेक्ट कर रही है और इसकी वजह भाई-भतीजावाद है। अगर भाजपा हिमाचल की कमान अभी अनुराग ठाकुर को सौंप दे तो उसपरवंशवाद की राजनीति करने का आरोप लग सकता है। भाजपा में कोई भी व्यक्ति एक साथ 2 जिम्मेदारियां नहीं उठा सकता और अनुराग ठाकुर को भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद के प्रभार से मुक्त करना इस बाबत संकेत भी देता है। मुमकिन है भाजपा आलाकमान अनुराग ठाकुर के लिए कुछ बड़ा सोच रही हो और अगले मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें मोदी मन्त्रिमण्डल में जगह मिल जाए।

    बढ़ी भाजपा की सत्ता वापसी की उम्मीदें

    हिमाचल प्रदेश का सियासी माहौल लगातार बदल रहा है। ताजा रुझानों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के आसार हैं। मुख्यमंत्री पद के लिए धूमल की उम्मीदवारी के ऐलान के साथ भाजपा की सत्ता वापसी की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। अगर हिमाचल प्रदेश में पिछले ढ़ाई दशकों के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो कोई भी दल लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आया है। भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर आसीन होती आई है। हिमाचल प्रदेश की राजनीति का रुख उस ऊँट की तरह है जो किसी भी करवट बैठ सकता है। यहाँ चुनाव परिणामों को लेकर किसी भी तरह के पूर्वानुमान और आंकलन गलत साबित होते रहे हैं।

    वरिष्ठ भाजपा नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल ने बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में बुनियादी ढांचों के विकास, सड़क निर्माण पर काफी जोर दिया था जिस वजह से वह ‘सड़क वाला चीफ मिनिस्टर’ उपनाम से विख्यात है। ओपिनियन पोल के रुझान भी हिमाचल विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका में बैठे धूमल के पक्ष में है। ऐसे में अगर हिमाचल विधानसभा चुनावों के नतीजे भाजपा के पक्ष में आए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।