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    हिमाचल प्रदेश चुनाव

    हिमाचल प्रदेश के सियासी दंगल भाजपा और कांग्रेस के बीच शाह और मात का खेल जारी है। भाजपा सत्ताधारी दल कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंकने की हरसंभव कोशिश कर रही है वहीं कांग्रेस हिमाचल की सत्ता में बने रहने की जुगत में लगी है। भाजपा हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है और उसके शीर्ष नेता लगातार हिमाचल प्रदेश के चुनावी अभियान में नजर आ रहे हैं। भाजपा ने अपनी परंपरा को तोड़ते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं कांग्रेस की कमान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता वीरभद्र सिंह के हाथों में हैं।

    ठियोग में स्टोक्स के बिना कांग्रेस

    हिमाचल प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जहाँ दशकों से किसी एक ही दल का एकक्षत्र राज रहा है और अब वह उसका गढ़ बन चुकी है। शिमला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ठियोग ऐसी ही एक सीट है जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। दिग्गज कांग्रेसी नेता विद्या स्टोक्स अब तक इस सीट से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करती आई हैं मगर इस बार वह चुनावी मैदान में नहीं हैं। कांग्रेस ने उनकी जगह राहुल गाँधी के खासमखास दीपक राठौड़ को ठियोग से चुनावी मैदान में उतारा है। राठौड़ छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे हैं और एनएसयूआई में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं। 45 वर्षीय दीपक राठौड़ पेशे से वकील हैं और वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव हैं। इसके अतिरिक्त वह राजीव गाँधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश संयोजक भी है।

    हिमाचल प्रदेश चुनाव
    ठियोग में स्टोक्स के बिना कांग्रेस

    स्टोक्स ने क्यों खींचे हाथ?

    हिमाचल प्रदेश में विद्या स्टोक्स की पहचान एक सक्रिय समाजसेविका के तौर पर है। उनकी सियासी लोकप्रियता का यही आधार रहा है। विद्या स्टोक्स ने ठियोग से अपना नामांकन पत्र दायर किया था लेकिन अधूरा होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया था। खबरों पर यकीन करें तो वह इस बार खुद चुनाव लड़ने के मूड में नहीं थी। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों और बढ़ती उम्र का हवाला दिया था। हालाँकि इसकी असली वजह कुछ और ही बताई जा रही है। बीते दिनों ठियोग के कोटखाई में हुए गैंगरेप और हत्या के अपराधियों को ढूँढने में पुलिस अब तक नाकाम रही है। इस वजह से क्षेत्र की जनता में विद्या स्टोक्स और कांग्रेस सरकार के खिलाफ रोष है। स्टोक्स को इस बाबत खबर लग चुकी थी कि चुनावी मैदान में उतरने पर जनता उन्हें सिरे से नकार देगी। इस वजह से उन्होंने चुनावों से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा।

    ठियोग में मजबूत नजर आ रही है भाजपा

    कांग्रेस के गढ़ ठियोग में भाजपा मजबूत नजर आ रही है। भाजपा ने ठियोग से अपने पुराने शागिर्द राकेश कुमार को मैदान में उतारा है। राकेश कुमार इससे पहले 3 बार ठियोग से विधायक रह चुके हैं। राकेश कुमार को हिमाचल कांग्रेस के अभेद्य दुर्ग ठियोग में सेंध लगाने का श्रेय प्राप्त है। राकेश कुमार पहली बार 1993 में भाजपा के टिकट पर ठियोग से विधायक चुने गए थे। इसके बाद हिमाचल भाजपा में मची अन्तर्कलह के वक्त उन्होंने अलग राह चुन ली थी और वर्ष 2003 व 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ठियोग से जीत दर्ज की थी। गौर करने की बात है कि 2003 में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी वहीं 2007 में भाजपा सत्ता में आई थी। इसके बावजूद राकेश कुमार की निर्दलीय विधायक के तौर पर जीत क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता और जनता में उनकी पकड़ की मिसाल थी।

    दिग्गज कांग्रेसी नेता और मौजूदा वीरभद्र सिंह सरकार में सिंचाई मंत्री रही विद्या स्टोक्स कांग्रेस का बड़ा चेहरा थी और ठियोग में कांग्रेस की लोकप्रियता को चरम पर ले जाने का श्रेय उन्हीं को है। इस बार उनके चुनावी मैदान में ना उतरने का सीधा फायदा भाजपा प्रत्याशी राकेश कुमार को मिलता दिख रहा है। राकेश कुमार के सामने अपेक्षाकृत अनुभवहीन दीपक राठौड़ की चुनौती है। ऐसे में अगर वह हिमाचल कांग्रेस के गढ़ में ठियोग में सेंधमारी करने में सफल रहते हैं तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी। ठियोग से सीपीएम ने राकेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है वहीं 2 निर्दलीय प्रत्याशी भी सीट से अपनी ताल ठोंक रहे हैं। विद्या स्टोक्स के चुनावी मैदान में ना होने से ठियोग में राकेश कुमार की जीत के आसार बढ़ गए हैं।

    हिमाचल कांग्रेस का गढ़ रहा है ठियोग

    शिमला जिले की ठियोग विधानसभा सीट को हिमाचल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। 1952 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के गठन के बाद से कांग्रेस ने लगातार 5 बार ठियोग की सीट जीती थी। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर के दौरान जनता पार्टी के उम्मीदवार मेहर सिंह चौहान ने कांग्रेस का तिलिस्म तोड़ा था और पहली बार किसी गैर कांग्रेसी दल के हाथ जीत लगी थी। इसके बाद कांग्रेस ने विद्या स्टोक्स के नेतृत्व में लगातार 3 बार ठियोग से जीत दर्ज की थी। 1993 में भाजपा उम्मीदवार राकेश कुमार ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2003 और 2007 में भी राकेश कुमार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विजयी रहे। कांग्रेस ठियोग में 10 बार जीत दर्ज करने में सफल रही है। भाजपा, जनता पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों को 4 बार इस सीट पर सफलता मिली है।

    आर्थिक व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है ठियोग

    शिमला जिले में स्थित ठियोग विश्वभर में सब्जियों के लिए प्रसिद्द है। ठियोग का हल्का सर्द वातावरण हरी सब्जियों की उपज के लिए अनुकूलित माना जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर ठियोग की पहचान एशिया में सब्जियों के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में है। इसके अतिरिक्त ठियोग की अपनी सांस्कृतिक पहचान भी है। पहाड़ी लोक संगीत में भी ठियोग का बड़ा योगदान रहा है और ठियोग के राम रफीक प्रसिद्द गीत लेखक रहे हैं। हालाँकि इस बार के चुनावों में यह सभी मुद्दे भूतल में जाते दिख रहे हैं। इस बार मुकाबला पार्टी बनाम नेता का है। विद्या स्टोक्स के चुनाव ना लड़ने से एक दिग्गज राजनीतिक शख्सियत की कद्दावर राजनीति का अंत होता दिख रहा है। अभी तक ठियोग की जनता ने पार्टी विशेष की बजाय क्षेत्रीय नेताओं को तवज्जो दी है। अब यह देखना होगा कि इस बार के चुनावों में जनता का रुख किस ओर होता है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।