हिमाचल प्रदेश के सत्ताधारी दल कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। अभी तक वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और पार्टी संगठन में मतभेद उभरकर सामने आ रहे थे जिसे आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद सुलझा लिया गया था। अब हिमाचल प्रदेश की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को करारा झटका लगा है। वीरभद्र सिंह मन्त्रिमण्डल में ग्रामीण विकास मंत्री के ओहदे पर काबिज अनिल शर्मा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा आज भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें मण्डी से अपना प्रत्याशी बनाया है। बता दें कि अभी बीते दिनों ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने मण्डी में एक बड़ी रैली कर हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के अभियान का श्रीगणेश किया था।
अनिल शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने उन्हें और उनके पिता को पार्टी से दरकिनार कर दिया है। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस महासचिव पर आरोप लगाया कि उन्होंने राहुल गाँधी की मण्डी रैली में शामिल होने के लिए सुखराम को बुलावा भेजा था पर उनके वहाँ पहुँचने पर रैली में ना शामिल होने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस आलाकमान से पूछना चाहूँगा कि क्या सुखराम कांग्रेसी नहीं है? अनिल शर्मा ने आगे कहा, “विधानसभा चुनाव के लिए बनाई गई किसी भी समिति में मुझे शामिल नहीं किया गया और जब मैंने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरा नाम उच्च स्तर पर हटाया गया है, जिससे मुझे दुख हुआ और मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।” अनिल शर्मा के इस्तीफे से हिमाचल प्रदेश में एकजुट हो रही कांग्रेस को करारा झटका लगा है।
दिग्गज कांग्रेसी नेता और अनिल शर्मा के पिता सुखराम ने वर्ष 1962 से 1984 तक हिमाचल प्रदेश की मण्डी सीट का प्रतिनिधित्व किया था। 1984 में सुखराम लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। उनके बाद उनके पुत्र अनिल शर्मा ने वर्ष 1993 में मण्डी से जीत दर्ज की थी। दूरसंचार घोटालों में नाम आने के बाद कांग्रेस ने सुखराम को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस नाम से अपनी अलग पार्टी बनाई। चुनावों के बाद हिमाचल विकास कांग्रेस भाजपा से गठबंधन कर सरकार में शामिल हो गई थी। वर्ष 1998 में अनिल शर्मा राज्यसभा सांसद चुने गए थे।
राहुल गाँधी की मण्डी रैली से चुनावी श्रीगणेश कर चुकी है कांग्रेस
बीते दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने मण्डी में एक बड़ी रैली कर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी अभियान का श्रीगणेश किया था। देश में लगातार बढ़ रही बेरोजगारी के लिए राहुल गाँधी ने केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। राहुल गाँधी ने अपने भाषण के दौरान भाजपा शासित गुजरात को केंद्र बिंदु बनाए रखा था। राहुल गाँधी ने कहा था कि वह पिछले दिनों गुजरात गए थे और गुजरात की हकीकत से वाकिफ हुए। उन्होंने कहा था कि, “गुजरात सरकार बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता नहीं देती जबकि हिमाचल सरकार 1000 रुपए प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देती है। देश में जहाँ भी भाजपा की सरकार है वहाँ किसान आत्महत्या कर रहे हैं। भाजपा द्वारा लगातार की जा रही किसानों की उपेक्षा से आजिज आकर किसान खुदकुशी करने को मजबूर हो रहे हैं।”
राहुल गाँधी ने केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि सरकार जनता की भावनाओं के साथ जुड़ने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा था कि देश को वही चला सकता है जो देशवासियों से जुड़ सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात तो करते हैं पर जनता के मन की बात नहीं सुनते हैं। हिमाचल प्रदेश की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा था कि हिमाचल सरकार ने पिछले 5 सालों में राज्य को 4 नए मेडिकल कॉलेज दिए हैं जबकि इस दौरान गुजरात में कोई भी नया मेडिकल कॉलेज नहीं बना है। राहुल गाँधी ने हिमाचल सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि छोटा राज्य होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश में 5 सालों में 70,000 लोगों को सरकारी नौकरी मिली है जबकि गुजरात में यह आंकड़ा सिर्फ 10,000 तक ही सीमित है।
9 नवंबर को होंगे हिमाचल प्रदेश में चुनाव
चुनाव आयोग ने बीते 12 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश में चुनावी तिथि की घोषण कर दी थी। वीरभूमि कहे जाने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए रणभेरी बज चुकी है। चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी थी कि हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे। इन चुनावों के लिए अधिसूचना 16 अक्टूबर को जारी की जाएगी। मतों की गिनती 18 दिसंबर को होगी। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि मतदान के लिए फोटोयुक्त वोटर आईडी कार्ड का इस्तेमाल होगा। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हिमाचल प्रदेश के कुल 7,521 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। सभी मतदान केंद्र जमीनी तल (ग्राउंड फ्लोर) पर होंगे। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में सभी जगह वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा।