देशभर में लगातार दो महीने से ज्यादा समय से जारी किसान आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन किसी न किसी की मौत और हिंसा की खबर इस आंदोलन में देखने को मिल रही है। वही गणतंत्र दिवस के दिन इस आंदोलन में होने वाली ट्रैक्टर रैली के बाद जो उपद्रव हुआ उससे हर कोई वाकिफ है।
आज सर्वोच्च न्यायालय ने गणतंत्र दिवस के दिन हुए हिंसा पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। 26 जनवरी को हुई किसान आंदोलन में हिंसा को लेकर बहुत सारी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। इन याचिकाओं में किसानों के खिलाफ कोई एक्शन लेने की बात कही गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज इनसे इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत का मानना है कि इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकती।
याचिकाओं में 26 जनवरी के दिन हुए उपद्रव की जांच को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में आयोग बनाए जाने और फिर इस मामले की जांच किए जाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया है और कोर्ट का कहना है कि इन मामलों पर सरकार नजर रख रही है। कोर्ट को इसमें दखल देने की अभी कोई आवश्यकता नहीं लग रही है। न्यायालय का मानना है कि कानून अपना काम कर रहा है और मामले को सरकार भी गंभीरता से ही देख रही है।
इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश बोबडे, वी रामसुब्रमण्यन और एएस बोपन्ना की अध्यक्षता में हुई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं में कुछ याचिकाएं किसानों के पक्ष में हैं तो कुछ सरकार के पक्ष में। कुछ याचिकाओं में यह दावा किया गया है कि किसानों को बदनाम करने की साजिश के चलते गणतंत्र दिवस के दिन वह उपद्रव किया गया। यह किसान आंदोलन को की छवि को खराब करने की साजिश माना जा रहा है। साथ में मीडिया की भूमिका को भी कुछ याचिकाओं में घेरा गया है।
न्यायालय कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, लेकिन इस आंदोलन के खिलाफ कोई एक्शन लेने से फिलहाल बचता दिखाई दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले में यदि कोई याचिका दायर करना चाहता है तो वह सरकार को ज्ञापन सौंप सकता है। किसान आंदोलन के बीच दिल्ली के सभी बॉर्डर पर बैरिकेडिंग लगाई जा चुकी है। आवाजाही प्रभावित है और लोगों को रूट बदलकर जाना पड़ रहा है।
आम जनता को इससे काफी परेशानी हो रही है। साथ ही संसद में भी यह मामला जोर-शोर से उठ रहा है। 1 फरवरी के दिन पेश हुए बजट के दौरान भी विपक्ष ने बजट पेश नहीं होने दिया और किसान आंदोलन को लेकर हंगामा किया। किसान नेताओं के लगातार भड़काने और राजनीतिक लोगों के इस आंदोलन में शामिल होने के बाद या आंदोलन और ज्यादा उग्र हो रहा है। धीरे-धीरे आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा किसान जुड़ने लगे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही है आंदोलन उग्र हो सकता है। राजनीतिक पार्टियां भी किसानों को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। अब यदि न्यायालय कोई निर्णय नहीं देता है तो यह आंदोलन और भी बड़े नुकसान कर सकता है।