न्यूयॉर्क, 9 जुलाई (आईएएनएस)| ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2006 में श्रीलंका के पूर्वोत्तर के शहर त्रिंकोमाली में पांच तमिल छात्रों की हत्या मामले में श्रीलंकाई मजिस्ट्रेट द्वारा सभी 13 अभियुक्तों को बरी करने की आलोचना की है।
मजिस्ट्रेट ने तीन जुलाई को पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के 12 सदस्यों और एक पुलिस अधिकारी को ‘सबूतों के अभाव’ के कारण बरी कर दिया था।
ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा दुनियाभर का ध्यान खींचने वाली बेरहमी से की गई ‘त्रिंको फाइव’ हत्याओं ने तीन दशक पुराने गृहयुद्ध के दौरान किए गए गंभीर अपराधों के लिए श्रीलंकाई सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के लिए एक तरह से मानक बना दिया था।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, “श्रीलंकाई अधिकारी पर्याप्त सबूत उपलब्ध होने के बावजूद पांच युवाओं की हत्याओं के मामले में न्याय करा पाने में असमर्थ साबित हुए हैं।”
संस्था ने कहा कि 13 साल बाद इस मामले में किसी को भी दोषी ठहराने में विफलता अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी वाली अदालत की आवश्यकता को प्रदर्शित करती है जो पीड़ितों और गवाहों की उचित सुरक्षा कर सकती है।
2 जनवरी 2006 को, त्रिंकोमाली समुद्र तट पर नए साल के जश्न के बीच, श्रीलंकाई सुरक्षा बलों ने पांच छात्रों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और दो अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
सरकार ने बिना सबूत के फौरन दावा किया था कि मारे गए युवक तमिल टाइगर विद्रोही थे।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि ‘त्रिंको फाइव’ मामले में लोगों को बरी किए जाने का मतलब है कि हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए सरकार का दायित्व अभी बना हुआ है।