खाने को और उसके तत्वों के इस्तेमाल करने की प्रक्रिया को पोषण कहा जाता है। पोषण के दो प्रकार होते हैं – परपोषी (heterotropic) और स्वपोषी पोषण (autotrophic nutrition)।
इस आर्टिकल में हमारा मुख्य विषय स्वपोषी यानी औटोट्रोफिक पोषण है।
विषय-सूचि
स्वपोषी पोषण क्या होता है? (autotrophic nutrition in hindi)
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कुछ तरह के जीव, कार्बन डाइऔक्साइड और पानी जैसे इनौर्गनिक तत्व द्वारा, धूप की मदद से, अपना खाना बनाते हैं। हरे पौधे और औटोट्रोफिक बैक्टीरिया, ऐसे जीव के उदाहरण हैं। ऐसे जीव को औटोट्रोफ्स (autotrophs) कहते हैं।
हरे पौधों में एक हरा पिगमेंट पाया जाता है जिसे क्लोरोफिल कहते हैं। यह पिगमेंट, क्लोरोप्लास्ट नामक, एक सैल से पनपता है। इसका काम है धूप की किरणों को अपने में समा लेना, जिसकी मदद से बाकी की प्रक्रिया पूरी होती है।
इस पूरे खाना बनाने के प्रक्रिया को फोटोसिंथेसिस कहते हैं, और क्लोरोफिल की उपस्थिति में ही, इस प्रक्रिया को एक आकार मिलता है।
स्वपोषी प्रक्रिया (autrophic nutrition process in hindi)
प्रकाश संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जो पौधों में कभी-कभी नहीं, बल्कि हर रोज़ चलती है। कार्बन डाइऔक्साइड के तत्व को हवा से प्राप्त किया जाता है और पानी को मिट्टी से।
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को गहराई से जानने के लिए यहाँ दिए गए लिंक पर क्लिक करें। (प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया क्या है? photosynthesis in hindi)
धूप की किरणों से, पौधे में उचित केमिकल रीएक्शन होते हैं – और ये तब मुमकिन होता है, जब क्लोरोफिल इन धूप की किरणों को ग्रहण करे।
- सबसे पहले तो, पौधे के पत्तों तक कार्बन डाइऔक्साइड का तत्व, बारीक पोर्स के द्वारा पहुँचता है। इन पोर्स को स्टोमैटा कहते हैं। ये पत्तों के ऊपर ही पाए जाते हैं, और अधिक पोर्स से घिरे हुए होते हैं। इन अधिक पोर्स को गार्ड सैल्स कहते हैं।
- दुसरी ओर, मिट्टी की मदद से, जड़ें और तना से जाते हुए, पत्तों तक पानी पहुँचता है।
- फोटोसिंथेसिस के इस प्रक्रिया के अंत में औक्सीजन और ग्लूकोस बनता है।
- बचे हुए ग्लूकोस को स्टार्च में बदला जाता है, जिसे हम कार्बोहाइड्रेट्स कहते हैं। ये तत्व, पत्तों में स्टोर किया जाता है।
कम शब्दों में, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कुछ ऐसी है:
- क्लोरोफिल द्वारा धूप की किरणों का ग्रहण होना।
- धूप की किरणों से केमिकल रीएक्शन का होना, और, औक्सीजन और ग्लूकोस का बनना।
- ग्लूकोस से कार्बोहाइड्रेट्स का बदलाव।
गार्ड कोशिका (guard cells in hindi)
जैसा की पहले बताया गया है, गार्ड सैल्स वो पोर्स होते हैं जो स्टोमैटा के इर्द-गिर्द पाए जाते हैं। इनकी मदद से:
- जब पानी इन तक पहुँचता है, तो ये सूझ जाते हैं और स्टोमैटा खुल जाता है।
- जब पानी इनसे बाहर निकलता है, तो ये छोटे हो जाते हैं और स्टोमैटा बंद हो जाता है।
स्टोमैटा क़े खुलने और बंद होने के आधार पर ही पौधे में अनेक तत्वों का मिलन हो पाता है। इसलिए फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया में गार्ड सैल्स और स्टोमैटा का भी बड़ा काम है।
चौड़े पत्तों में, स्टोमैटा पत्ते के नीचले हिस्से में पाए जाते हैं, और पतले पत्तों में, स्टोमैटा ऊपरी और नीचले हिस्से में पाए जाते हैं।
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Kya guard cells ka kaam sirf stomata k kholna or band karna hota h ?
Photosynthesis ki prakriya me stomata and guard cells ke Kya Kya functions hote Hain? Kya ye bhi nutrition me help karte Hain?
All question of answers
Very good my friends.
Subhi chapter ka question & answer chiya
you are very great boy