हमारे जीवन की यात्रा कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़ी हुई है चाहे हम एक दूसरे को जानते हों या फिर अनजान हों। हमारी हर छोटी-छोटी बातों से पूरा यूनिवर्स प्रभावित होता है।
कई बार किसी और की गलती की सजा किसी अच्छे आदमी को मिल जाती है तो कभी-कभी लोगों के साथ न्याय हो जाता है। लेकिन व्यक्ति के हर कार्य का कोई न कोई परिणाम जरूर होता है और कहीं न कहीं हर व्यक्ति गलतियां करता है चाहे वह छोटी हों या बड़ी। इसलिए यदि हर व्यक्ति अपनी तरफ से कुछ अच्छा करने की कोशिश करे तो इस दुनिया की सूरत बदली जा सकती है।
अंकुश भट्ट की हाल ही में रिलीज़ हुई शॉर्ट फिल्म यही गंभीर मैसेज देती है।
अंकुश भट्ट द्वारा निर्देशित शॉर्ट फिल्म ‘स्पर्श’ हाल ही में यूट्यूब चैनल लार्ज शॉर्ट फिल्म्स पर रिलीज़ की गई है। फिल्म में के के मेनन और पूजा गुप्ता जो मिस इंडिया भी रह चुकी हैं, मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म को बरुन दास, सब्यसाची मिश्रा और जगन्नाथ पाधे ने मिलकर प्रोड्यूस किया है।
इस सीरियस कॉप ड्रामा की कहानी लिखी है प्रिया रंजन पाणिग्रही ने और संगीत दिया है संदीप गोस्वामी ने।
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फिल्म एक समझदार और सवेंदनशील पुलिस अफसर अभिजीत शेलार की कहानी है जो एक थाने से शुरू होती है। अभिजीत के पास दिनभर में कई फ़ोनकॉल्स आते हैं और एक के बाद एक, वह हमेशा किसी न किसी केस में लगा रहता है।
उसके पास एक लड़की से हुए छेड़छाड़ और बद्तमीज़ी की रिपोर्ट आती है जिसे वह अपने साथी पुलिस के साथ इन्वेस्टीगेट करने जाता है और वहां उसे केस का दूसरा पहलु समझ में आता है।
अभिजीत ने कानून के प्रति अपना कर्त्तव्य निभाते हुए और लोगों के प्रति अपनी संवेदना बनाए रखते हुए तथा यह सुनिश्चित करते हुए कि किस प्रकार किसी निर्दोष को सजा न मिले, इस केस को कैसे हैंडल किया, यही ट्विस्ट फिल्म को आगे बढ़ाता है।
अंकुश भट्ट के निर्देशन की बात करें तो उन्होंने इस बात का अच्छी तरह ख्याल रखा है कि दर्शकों को कैसे बांधे रखना है और कैसे छोटे-छोटे दृश्यों में जान डालनी है।
फिल्म की सबसे खास बात यह है कि इसके हरेक दृश्य दिल को छू जाने के साथ-साथ एक बड़ा मैसेज भी देते हैं। फिल्म यह भी बताना चाहती है कि कैसे हम कई चीज़ों के लिए बड़े असंवेदनशील हो सकते हैं इसके साथ ही एक समाज के रूप में में हर काम पुलिस पर ही थोपना चाहते हैं और यहाँ तक कि कई बार किसी व्यक्ति के कुछ बोले बिना उसकी बात का सही या गलत मतलब निकाल लेता हैं।
एक शार्ट फिल्म देखने का यह अनुभव आपके लिए अलग हो सकता है क्योंकि यह फिल्म एक इंसान के तौर पर आपको बदल सकती है।
हम अनजान लोगों की मदद नहीं करते, किसी फ़साद में नहीं पड़ना चाहते और महिलाओं का सम्मान भी नहीं करते। कई चीज़ों को एक छोटी सी कहानी में पिरोने का काम एक कमाल का स्टोरीटेलर ही कर सकता है और प्रिया रंजन अपना काम बखूबी जानती हैं।
और इनकी कहानी में चार चाँद लगाया है अंकुश भट्ट के निर्देशन ने। अभिनय की बात करें तो के के मेनन के नाम से ही दर्शक आश्वस्त हो जाते हैं कि इस बार भी स्क्रीन पर कुछ खास देखने के लिए मिलेगा और हुआ भी ऐसा ही है।
के के मेनन ने अपने किरदार के साथ जो न्याय किया है, शायद ही कोई और अभिनेता कर पाता। अभिजीत शेलार के किरदार में उन्होंने इस कदर जान भरी है कि पूरी फिल्म में उनपर से आप नज़रें ही नहीं हटा पाएंगे।
फिल्म देखते हुए दर्शक के तौर पर हम यह जानना चाहेंगे कि अभिजीत और क्या सोच रहा है? वह आगे क्या करेगा? कहाँ रहता है? कहाँ जाने वाला है? कुल मिलाकर के के मेनन को देखकर आपका मन नहीं भरेगा और आप आगे भी देखना चाहेंगे।
फिल्म के बाकी कलाकारों ने भी, उन्हें जितना समय दिया गया है उसमें अच्छा अभिनय किया है फिर चाहे वह सहायक पुलिसमैन हो या फिर कैब वाला ड्राइवर या फिर लड़की का बॉयफ्रेंड।
इस फिल्म में दो अभिनेत्रियां हैं पहली पूजा गुप्ता और अस्मिता बक्शी। दोनों ही अभिनेत्रियां बिल्कुल कन्विंसिंग नहीं हैं लेकिन फिल्म की कहानी इतनी अच्छी है कि इन दोनों पर जल्दी ध्यान नहीं जाता है।
बाकी कलाकारों जैसे मिशल रहेजा और सब्यसाची मिश्रा ने अच्छा अभिनय किया है और फिल्म का म्यूजिक भी काफी अच्छा है जो इसमें में घट रही हर परिस्थिति से मेल खाता है। कुल मिलाकर फिल्म को देखने का आपका अनुभव काफी अच्छा रहने वाला है। यह एक बड़े मैसेज के साथ आपको सोचने के लिए मज़बूर कर देगी।
फिल्म यहां देखें:
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Wow ma’am bhut khoobsurat likha hai apne.