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    स्टैंडर्ड एंड पुअर्स भारत रेटिंग

    क्रेडिट रेटिंग किसी भी देश के लिए इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसी के जरिये विदेशी निवेशक या कंपनियां दुसरे देशों में निवेश करती हैं। यदि किसी देश की क्रेडिट रेटिंग मजबूत है, इसका मतलब है वह देश लोन चुकाने या निवेश हुए पैसों में अच्छा ब्याज देने में सक्षम है।

    स्टैंडर्ड एंड पूअर्स आज भारत कोई क्रेडिट रेटिंग में बदलाव कर सकता है। ऐसे में यदि भारत की रेटिंग में सुधार होता है, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए काफी लाभदायक साबित होगी।

    क्रेडिट रेटिंग क्या है?

    क्रेडिट रेटिंग एक तरह से क्रेडिट रिस्क का मापदंड है। यदि किसी देश में निवेश को लेकर ज्यादा रिस्क हैं, इसका मतलब उसकी क्रेडिट रेटिंग कम है। उदाहरण के तौर पर अमीर देशों की क्रेडिट रेटिंग हमेशा मजबूत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये देश कोई भी लोन चुकाने में पूरी तरह से सक्षम रहते हैं।

    इसके बावजूद क्रेडिट रेटिंग के नियम निश्चित नहीं हैं। किसी भी देश की क्रेडिट रेटिंग मापते समय भविष्य की धारणाएं आदि को ध्यान में रखकर फैसला किया जाता है।

    स्टैंडर्ड एंड पूअर्स में भारत की स्थिति

    वर्तमान में स्टैंडर्ड एंड पूअर्स में भारत की रेटिंग ‘BBB-‘ है। इस रेटिंग का मतलब है कि भारत लोन आदि चुकाने में तो पूरी तरह से सक्षम है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से इसमें रिस्क भी शामिल है। साधारण भाषा में बात करें तो स्टैंडर्ड एंड पूअर्स के मुताबिक भारत की आर्थिक हालत स्थिर है, लेकिन इसमें सुधार किया जा सकता है।

    स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने साल 2007 में अंतिम बार भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार किया था। हालांकि इसमें बाद भारत की आर्थिक हालात काफी सुधरी है। साल 2010-11 के बाद से साल 2016-17 के बीच भारत का नॉमिनल जीडीपी 36 फीसदी की दर से बढ़ा है। वर्त्तमान में भारत का नॉमिनल जीडीपी 2.26 ट्रिलियन डॉलर के साथ विश्व में छटे नंबर पर है। इस साल भारत की रेटिंग यदि बढ़ती है, तो इसमें इसका योगदान अहम् होगा।

    इसके अलावा दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा है, प्रति व्यक्ति जीडीपी। इसे ज्ञात करने का सीधा सा फार्मूला है, कुल नॉमिनल जीडीपी से देश की कुल जनसंख्या का भाग। प्रति व्यक्ति जीडीपी भी भारत का तेजी से बढ़कर अब प्रति व्यक्ति 6,105 डॉलर के पार पहुँच गया है।

    इसके अलावा अन्य मुख्य बिंदुओं जैसे विदेशी निवेश, चालू खाता घाटा, सरकारी कर्ज आदि में भी भारत की स्थिति में काफी सुधार आया है।

    सरकारी कदम

    भारतीय सरकार ने पिछले कुछ समय में देश की आर्थिक हालात को देखते हुए कई फैसले किये हैं। इनमे जीएसटी, आधार बिल, वित्तीय संसोधन, दिवालिया संसोधन, बैंकों का वीमुद्रीकरण जैसे फैसले शामिल हैं। इसके अलावा सरकार ने लगातार कोशिश की है कि देश की अर्थव्यवस्था से किसी भी अड़चन को जल्द से जल्द दूर की जाए।

    यदि स्टैंडर्ड एंड पूअर्स मानती है, कि हाल ही में किये गए संसोधन भविष्य के लिए लाभदायक है, तो भारत की क्रेडिट रेटिंग को जरूर इसका फायदा देखने को मिलेगा।

    अन्य देशों से तुलना

    स्टैंडर्ड एंड पूअर्स की रेटिंग के हिसाब से चीन की रेटिंग ‘AA’ है। यदि भारत की तुलना चीन से की जाए, तो भारत का विकास दर चीन से काफी ज्यादा है। इसके अलावा चीन सरकार का कर्ज और घाटा भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा है। ऐसे में चीनी अर्थव्यवस्था आने वाले समय में और धीमी हो सकती है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अगले 15 सालों तक 7 फीसदी से ज्यादा की दर से विकास करेगा।

    ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि क्रेडिट रेटिंग बढ़ने के सभी नियम इस समय भारत के पक्ष में है। यदि स्टैंडर्ड एंड पूअर्स आज भारत की क्रेडिट रेटिंग में बदलाव करता है, तो यह भारत के भविष्य के लिए काफी लाभदायक होगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।