सूडान की सत्ताधारी सैन्य परिषद् और विपक्षी नेताओं ने पूरी रात बातचीत के बाद सत्ता साझा करने के समझौते पर दस्तखत किये थे। सूडान की सैन्य परिषद् के उपप्रमुख मोहमद हमदान हेमेती दगोलो ने कहा कि “यह देश के लिए एक ऐतिहासिक पल है।”
अप्रैल में राष्ट्रपति ओमर अल बशीर के तख्तापलट के बाद सूडान में संकट का दौर है। प्रदर्शनकारियों ने सेना से नागरिकों को सत्ता का हस्तांतरण करने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों पर 3 जून को हिंसक हमला किया गया था, इसमें 100 से अधिक लोगो की मौत होती है।
दोनों पक्षों ने संप्रभु परिषद् को बारी बारी नियंत्रण करने पर सहमती जाहिर की थी। यह सिर्फ तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए होगा। यह परिषद् पांच नागरिकों ने बनायीं थी, पांच सैन्य व्यक्तियों और 11 वें नागरिक का चयन 10 सदस्यों में से होगा।
पहले 21 महीनो के लिए इस परिषद् का कार्यभार सैन्य जनरल संभालेंगे और अगले 18 महीनो के लिए नागरिक इसका प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने हिंसा की जांच का वादा किया है। संवैधानिक मामलो पर दूसरा समझौता शुक्रवार को फाइनल करेंगे। कई महीनो से दोनों पक्षों में बातचीत का सिलसिला जारी था और आखिरकार दोनों पक्षों ने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
30 वर्षों के सैन्य हुकूमत के बाद सूडान नागरिक प्रशासन से तीन वर्षो की दूरी पर है। इस समझौते की शेष जानकारियों और इसकी संवैधानिक तत्वों पर अभी रजामंदी नहीं हुई है। अभी भी देश का नेतृत्व करने के लिए संप्रभु परिषद् के गठन की जरुरत है।
अशांति सूडान दिसम्बर 2018 सूडान वापस शान्ति की पटरी पर वापस आ सकता था, जब राष्ट्रपति ओमर का तख्तापलट सेना ने किया था। महीनो के प्रदर्शन के बाद सेना ने राष्ट्रपति को पद से बर्खास्त कर दिया था और हुकूमत की बागडोर संभाली थी।
प्रदर्शनकारियों ने सेना से सत्ता की डोर को नागरिक प्रशासन को सौंपने के लिए प्रदर्शन किये थे। 3 जून को सैन्य मुख्यालय के बाहर बैठे प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए सेना ने हिंसक हमला कर दिया था।