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    नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)| इस वर्ष दक्षिण पश्चिम मानसून नीति निर्माताओं के लिए चिंता का सबब बन गया है, क्योंकि इसमें न केवल एक सप्ताह की देरी हुई है, बल्कि इसके सुस्त और अनिश्चित रहने की भी संभावना है। इस वजह से कृषि क्षेत्र में संकट उत्पन्न हो सकता है।

    प्रमुख खरीफ फसल धान को भी नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि जून और जुलाई में कम बारिश होने की संभावना है। दालों जैसे अरहर, सोयाबीन और मोटे अनाज भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।

    पूर्व केंद्रीय कृषि सचिव टी. नंदकुमार ने कहा, “सिंचाई की सुविधा वाले पंजाब और हरियाणा को लेकर चिंता नहीं है। मुख्य चुनौती वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में छोटे और गरीब किसानों की आय सुरक्षा पर ध्यान देने की है।”

    कृषि मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम मौजूदा स्थितियों से केंद्र को अवगत कराने के लिए लगातार राज्यों के संपर्क में हैं।

    अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, “हमने उन्हें कम वर्षा होने की स्थिति में एहतियाती और उपचारात्मक उपाय के साथ तैयार रहने को कहा है।”

    हालांकि इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि अगर बुवाई का पहला प्रयास असफल रहा तो राज्य सरकारों ने बीजों के पर्याप्त भंडार संरक्षित करके रखे हैं या नहीं।

    खाद्य मंत्रालय ने उत्पादन कम होने की आशंका में 50,000 टन प्याज की खरीद शुरू कर दी है, जो यह दिखाता है कि सरकार इस वर्ष अच्छी बारिश को लेकर आशान्वित नहीं है।

    मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी वेबसाइट स्काईमेट ने किसानों को बुवाई की पारंपरिक तिथि को एक सप्ताह बढ़ाने का आग्रह किया है, क्योंकि मॉनसून की देरी होने की स्थिति में बारिश कम होने की संभावना है।

    अगर बारिश होने के दो कालखंडों के बीच लंबा अंतर होता है तो इस बात की अत्यधिक संभावना है कि लगाए गए बीज मर जाएंगे।

    स्काईमेट ने मॉनसून के इस बार औसत से नीचे रहने – एलपीए का 93 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है, जिससे पूर्वी भाग और मध्य भाग के अधिकतर हिस्सों में बारिश कम होने की संभावना है।

    देश में औसत या सामान्य बारिश को मॉनसून के पूरे चार माह के 50 वर्ष के औसत के आधार पर 96 से 104 प्रतिशत के बीच माना जाता है।

    इसबीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने एलपीए का 95 प्रतिशत यानी लगभग सामान्य बारिश की संभावना जताई है।

    मॉनसून के सामान्य या इससे ज्यादा रहने की 51 प्रतिशत उम्मीद है, जबकि सामान्य से नीचे रहने की 49 प्रतिशत उम्मीद है।

    बारिश के मौसम के दूसरे भाग में अच्छी बारिश की उम्मीद है, क्योंकि अगस्त और सितंबर में सामान्य बारिश हो सकती है। हालांकि इस मौसम के कुल कम बारिश के समाप्त होने की संभावना है।

    स्काईमेट के अनुसार, जून में बारिश होने की संभावना एलपीए का 77 प्रतिशत(164 मिलीमीटर), जुलाई में 91 प्रतिशत(289 मिलीमीटर), अगस्त में 102 प्रतिशत(261 मिलीमीटर), सितंबर में 99 प्रतिशत(173 मिलीमीटर) है।

    स्काईमेट ने अुनमान लगाया है कि इसबार खरीफ मौसम में धान का उत्पादन घटकर 9.78 करोड़ टन रहने की संभावना है, जबकि पिछले वर्ष इसका उत्पादन 10.20 करोड़ टन था।

    नंदकुमार ने आशंका जताई है कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र, तेलंगाना, बिहार और झारखंड के करीब 100 जिलों में बारिश कम हो सकती है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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