Sun. Nov 17th, 2024

    एक बार फिर मौत की सजा पर बहस तेज होती दिख रही है। भारत जो कि एक अहिंसक देश के रूप में जाना जाता है। उस देश में फांसी जैसी दर्दनाक सजा मिलनी चाइये या नहीं? इस बात पर लोगो के अपने अपने मत है। कुछ लोग मौत के सजा को ही ख़त्म कराने के पक्ष में है, तो कुछ इस सजा को बरकरार रखना चाहते है।

    अब इस बहस को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से हवा मिली है। दरसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में केंद्र सरकार से पुछा है कि मौत की सजा के लिए फांसी के अलावा और क्या तरीका अपनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के प्रश्न के जवाब में केंद्र सरकार ने कुछ समय कि मोहलत मांगी है। जिसपर गौर करते हुए कोर्ट ने केंद्र को 6 हफ्ते का समय दिया है।

    यानी अब केंद्र सरकार को 6 हफ्ते में कोई ऐसा तरीका सोच समझकर देना होगा जो फांसी से कम कष्टदायक तथा ज्यादा आरामदायक हो। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में बाकायदा याचिका डालकर फांसी के सजा को बदलने का आग्रह किया गया था। याचिकर्ताओं ने न सिर्फ फांसी के इस सजा को दर्दनाक बताया था, बल्कि इस तरीके को बर्बर बताया था।

    याचिका में जहर का इंजेक्शन लगाने जैसे तरीको को मौत के सजा के तौर पर अपनाने का आग्रह किया गया था। याचिका में कहा गया था कि फांसी के सजा में औसत 40 मिनट का समय लगता है, जो कि दर्दनाक है। भारत जैसा देश जो अहिंसा का पुजारी है वहां इस तरह की सजा सहीं नहीं है।

    उल्लेखनीय है कि कई देशों ने हाल ही में मौत की सजा को समाप्त कर दिया है। कई देशों ने मौत के सजा को ही गलत बताया है। सुरीनाम (2015), अर्जेंटीना (2009) और बोलीविया (2009) जैसे कई देशों ने मौत की सजा को ही ख़त्म कर दिया है।

    ऐसे में क्या भारत को भी मौत की सजा पर कुछ नरमी बरतनी चाहिए? इस मुद्दे पर लोगो के अपने अपने विचार है। ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि केंद्र के जवाब के बाद इस मुद्दे पर बहस तेज हो सकती है।